जवानी एक बढ़ता हुआ पौधा है। यह अधिकांश खूबियों, रौनक और नूरानीयत का केंद्र है। मेरे प्यारों ! मैं आपसे अर्ज़ करूं कि यह मोहब्बत और उल्फत दो तरफा है। आपके बुज़ुर्ग और बूढ़े बाप के तौर मेरा दिल आपकी मोहब्बत से भरा हुआ है।
हमारे देश के जवान युद्ध के दौरान और उसके बाद भी अपनी पाकीज़गी को बाक़ी रखने में कामयाब रहे। ऐसा भी नहीं है कि मैं जवानों के बीच गलत मूवमेंट और रुझान को फैलाने की कोशिशों से बेखबर और अनभिज्ञ हूँ , ऐसा बिल्कुल नहीं है ! मैं समझता और जनता हूँ कि क्या हो रहा है। लेकिन इन तहों और गर्दो ग़ुबार के नीचे मुझे शराफत, तक़वा, पाकीज़गी और नूरानीयत की धारा भी नज़र आती है।
वह सब लोग जिनका सरोकार और वास्ता जवानों और नौजवानों से है, या मेरे जवानों आप खुद जो किसी इस्लामी संस्था और तालीम और तरबियत के काम में लगे हुए हैं कोशिश करें कि आपका तरीक़ा और काम करने के अंदाज़, प्रेमपूर्वक, बुद्धिमता से भरा, ख़ुलूस , पाकीज़गी और परोपकारी हो। तुम में से प्रत्येक इस्लाम का सिपाही है। आप सब इस्लाम के सिपाही हैं। अपनी हिफाज़त करें, आत्मनिर्माण करें, अपने विकास का ध्यान रखें। यूनिवर्सिटी हो या हौज़ए इल्मिया, दाखिले के लिए तैयार हो जाएं ताकि बाद में देश और समाज में अपनी चमक बिखेर सकें।
मुझे इस में ज़रा भी संदेह नहीं है कि आप में से बहुत से जवान हैं जिन पर इमामे ज़माना अ.स. की ख़ास नज़र है। मुझे इस बात में ज़रा भी शक नही है कि आपके पाको पाकीज़ा दिल इमाम की निगाहों के केंद्र में हैं।