सूरए मोमेनून की आयत नंबर 115
« أَفَحَسِبْتُمْ أَنَّمَا خَلَقْنَاكُمْ عَبَثًا وَأَنَّكُمْ إِلَيْنَا لَا تُرْجَعُونَ»
तो क्या तुमने यह समझा था कि हमने तुम्हें व्यर्थ पैदा किया है और यह कि तुम्हें हमारी और लौटना नहीं है?"
इस आयत की रौशनी में सिर्फ यही नहीं कि अल्लाह ने इंसान को व्यर्थ में नहीं बनाया, बल्कि उसने उसे बहुत ऊंचे मक़सद के लिए ख़ल्क़ किया है।
इंसान की ख़िल्क़त का असली मक़सद
सूरह बकरा की आयत नंबर 30
وَإِذْ قَالَ رَبُّكَ لِلْمَلَائِكَةِ إِنِّي جَاعِلٌ فِي الْأَرْضِ خَلِيفَةً قَالُوا أَتَجْعَلُ فِيهَا مَن يُفْسِدُ فِيهَا وَيَسْفِكُ الدِّمَاءَ وَنَحْنُ نُسَبِّحُ بِحَمْدِكَ وَنُقَدِّسُ لَكَ قَالَ إِنِّي أَعْلَمُ مَا لَا تَعْلَمُونَ . وَعَلَّمَ آدَمَ الْأَسْمَاءَ كُلَّهَا ثُمَّ عَرَضَهُمْ عَلَى الْمَلَائِكَةِ فَقَالَ أَنبِئُونِي بِأَسْمَاءِ هَـٰؤُلَاءِ إِن كُنتُمْ صَادِقِينَ»
ऐ रसूल उस समय को याद करो जब तुम्हारे रब ने फ़रिश्तों से कहा: मैं धरती पर अपना ख़लीफ़ा बनाने वाला हूँ और उन्होंने कहा, क्या उसे बनाएगा जो ज़मीन में फसाद बरपा करे और ख़ूंरेज़ी करे जबकि हम तेरी तस्बीह और तक़्दीस करते हैं। इरशाद हुआ मैं वह जानता हूँ जो तुम नहीं जानते। और अल्लाह ने आदम अस को तमाम अस्मा की तालीम दी और फिर उन सबको फरिश्तों के समाने पेश करके फ़रमाया कि ज़रा तुम इन सबके नाम तो बताओ अगर तुम अपने विशेषधिकार के ख़्याल में सच्चे हो।
इंसान की ख़िल्क़त का सबसे बुलंद मक़सद उसका ज़मीन पर अल्लाह के खलीफा के रूप में चयन है। इसी लिए अल्लाह ने उसे अपने मख़लूक़ात में सबसे अफ़ज़ल क़रार दिया और अपने बेहद ख़ास लुत्फ़ो करम से उसे खलीफा ए इलाही की सिफ़त से नवाज़ा।