ईरान के विदेश मंत्री शहीद हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने तूफ़ान अल-अक़्सा ऑप्रेशन की शुरुआत के बाद से फ़िलिस्तीन के समर्थन में क्षेत्रीय अभियानों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
ईरान के दिवंगत विदेशमंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान, क्षेत्रीय स्तर पर ईरान की विदेश नीति और प्रतिरोध के मोर्चे में एक प्रभावशाली व्यक्ति थे।
पश्चिम एशियाई क्षेत्र में हालिया वर्षों की घटनाओं में ईरान की विदेश नीति को लागू करने के कर्णधार के रूप में उनकी भूमिका पर नज़र डालने, प्रतिरोध के मोर्चे का समर्थन करने, तूफ़ान अल- अक़्सा ऑप्रेशन के बाद फ़िलिस्तीनी जनता के अधिकारों की रक्षा में ईरान की विदेश नीति में संतुलन और गतिशीलता पैदा करने में उनकी सक्रिय भूमिका साफ़ तौर पर नज़र आई है।
विदेश नीति को संतुलित करना
ईरान की विदेश नीति में संतुलन का मतलब है कि पूरब और पश्चिम की क्षमताओं का उपयोग करना और साथ ही पश्चिम एशिया में अमेरिका की एकतरफा नीतियों का मुकाबला करना।
शहीद हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान, अमेरिका को प्रतिबंध हटाने के लिए मजबूर करने के लिए ईरान की प्रभावी शक्ति बढ़ाने में विश्वास रखते थे। उनके मुताबिक, ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाकर बातचीत में अपना दबदबा बनाए रखना चाहिए।
इस वर्ष अप्रैल के महीने में सीएनएन के साथ बातचीत में उन्होंने अमेरिका की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि: "अमेरिका और कई पश्चिमी देश विभिन्न मुद्दों पर दोहरे मानदंड लागू करने की नीति का पालन करते हैं"।
वह ईरान के साथ बातचीत करने वाले पक्षों के साथ सहयोग करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। उन्होंने 1400 हिजरी शम्सी वर्ष के आज़र माह में एक भाषण में कहा: "यदि वे निष्पक्षता से काम करते हैं, तो हम कभी नहीं कहेंगे कि हम सहयोग नहीं करेंगे, दूसरे पक्ष को ही अपना रास्ता सही करना होगा।"
पड़ोस नीति पर निर्भरता
शहीद अमीर अब्दुल्लाहियान ईरान की विदेश नीति को पड़ोसियों की नीति और एशिया की केंद्रीयता पर आधारित मानते थे। उन्होंने संसद की पुष्टि बैठक में कहा: "सरकार की विदेश नीति की प्राथमिकता पड़ोसी-उन्मुख और एशिया-उन्मुख दृष्टिकोण है और 21वीं सदी एशिया की है।" पश्चिम एशिया में, हम प्रतिरोध धुरी की उपलब्धियों को संस्थागत बनाना चाहते हैं और पूरब में, हम अपनी अर्थव्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को विकसित करने के लिए उभरती आर्थिक शक्तियों की क्षमताओं का इस्तेमाल करना चाहते हैं।
अमीर अब्दुल्लाहियान: प्रतिरोध के मोर्चे को जोड़ने की ज़ंजीर
ईरान की विदेश नीति के बारे में इलाक़े की प्राथमिकता की वजह से ही विदेशमंत्री के रूप में शहीद अमीर अब्दुल्लाहियान ने पश्चिम एशिया की घटनाओं और कूटनीति के बीच संबंधों पर ज़ोर देकर क्षेत्रीय समस्याओं को हल करने पर बहुत ज़्यादा ध्यान दिया। इसकी एक वजह यह थी कि पश्चिम एशिया में प्रतिरोधकर्ता बल के रूप में क़ुद्स फ़ोर्स के कमांडर शहीद जनरल क़ासिम सुलेमानी से उनके बहुत ही अच्छे और मधुर संबंध थे।
फ़िलिस्तीन के लिए व्यापक समर्थन
इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेशमंत्री के रूप में शहीद अमीर अब्दुल्लाहियान की सबसे महत्वपूर्ण कार्रवाई, 2023 के ग़ज़ा युद्ध और फ़िलिस्तीनी जनता के ख़िलाफ ज़ायोनी शासन के हमलों का सामना करने के समय सामने आई। उन्होंने इस संबंध में ईरान की विदेश नीति की गतिशीलता को चरम पर पहुंचा दिया और इस संबंध में परामर्श, साक्षात्कार, फोन कॉल, इस्लामी सहयोग संगठन, संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा आदि सहित संबंधित संगठनों और संस्थानों में आपातकालीन बैठकें आयोजित करने का अनुरोध किया और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेकर क्षेत्रीय एजेंडे को दुनिया के सामने पेश किया।
वास्तविक समाधान पेश करना
मार्च महीने में जेद्दा में इस्लामी सहयोग संगठन के मंत्रिपरिषद की आपातकालीन बैठक में ईरान के विदेशमंत्री ने बैतुल मुक़द्दस में ज़ायोनी शासन को और अधिक कार्रवाई से रोकने के लिए छह प्रस्ताव दिए जो इस तरह थे:
1- संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा से ज़ायोनी शासन को निकालना और अन्य संस्थाओं से उसकी सदस्यता ख़त्म करना।
2- नरसंहार और युद्ध अपराधों की तत्काल समाप्ति, ग़ज़ा पट्टी से इस्राईली सैनिकों की वापसी और ग़ज़ा पट्टी के सभी क्षेत्रों में अधिक से अधिक मानवीय सहायता पहुंचाना।
3- जिन लोगों ने अपने घर खो दिए हैं उनके लिए अस्थायी आवास की बनाने के लिए स्थितियां मुहैया की जाएं।
4- पूरे ग़ज़ा पट्टी में अस्पतालों और चिकित्सा केंद्रों की स्थापना और उन्हें सुसज्जित करना।
5- गंभीर रूप से घायल लोगों और बच्चों तथा महिलाओं को इलाज के लिए फ़िलिस्तीन से बाहर पहुंचाने की ज़रूरत।
6- संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव और मिस्र की मदद से रफ़ह क्रॉसिंग को जितनी जल्दी हो सके फिर से खोलना।
यह लेख मेहर समाचार एजेंसी से लिया गया है।