राष्ट्रपति रईसी के हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त के बाद ईरान में सैन्य तख्तापलट की आरज़ू करने वाली अमेरिकी मैगज़ीन

Rate this item
(0 votes)
राष्ट्रपति रईसी के हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त के बाद ईरान में सैन्य तख्तापलट की आरज़ू करने वाली अमेरिकी मैगज़ीन

अमेरिकी मैगजीन हिल की वेबसाइट पर शहरज़ाद अहमदी का लिखा एक लेख प्रकाशित हुआ है जिसमें ईरान के राष्ट्रपति के हेलीकॉप्टर हादसे के बाद ईरान के राजनीतिक हालात को गंभीर बताने की कोशिश की गई है।

अमेरिकी मैगजीन हिल की वेबसाइट पर शहरज़ाद अहमदी का लिखा एक लेख प्रकाशित हुआ है जिसमें ईरान के राष्ट्रपति के हेलीकॉप्टर हादसे के बाद ईरान के राजनीतिक हालात को गंभीर बताने की कोशिश की गई है।''ईरान के चुनाव एक और सैन्य तख्तापलट को जन्म दे सकते हैं'' (Iran’s elections could give rise to another military coup) शीर्षक के तहत यह आर्टिकल हिल साइट पर प्रकाशित हुआ था।

लेखिका, शहरज़ाद अहमदी, सेंट थॉमस विश्वविद्यालय में इतिहास की एसोसिएट प्रोफेसर हैं, जो ईरान और इराक़ मामलों की माहिर हैं। वह ईरानी मूल की हैं और ईरान के खिलाफ अमेरिकी सरकार की सेवा में व्यस्त रहती हैं।

पार्सटुडे ने पत्रिका की इस रिपोर्ट के बारे में लिखा कि हम इस आर्टिकल की लेखिका और अमेरिकी पत्रिका द हिल (The Hill) के कुछ दावों पर एक नज़र डालते हैं।

यह आर्टिकल एक अजीब कल्पना के आधार पर शुरू होता है और अंत तक उसी कल्पना के आधार पर ही आगे बढ़ता रहता है: "इस्लामी गणतंत्र की स्थिरता, निश्चित रूप से सवालों के घेरे में है"। इस आर्टिकल की लेखक को लगता है कि यदि वह "निश्चित रूप से" शब्द का उपयोग करती हैं तो उपरोक्त अप्रामाणित आधार सिद्ध हो जाएगा।

हालांकि सभी साक्ष्यों और पुख़्ता सबूतों से संकेत मिलता है कि पिछली सरकार से वर्तमान सरकार को सत्ता का हस्तांतरण योजना के अनुसार और निश्चित रूप से ईरान के इस्लामी गणतंत्र के संविधान के आधार पर हुआ था जिसे कई दशक पहले ही मंज़ूरी मिल गयी थी।

लेख में एक अन्य स्थान पर कहा गया है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान में अप्रत्याशित परिवर्तन हुए हैं क्योंकि अब व्यवस्था की समर्थक हस्तियां राष्ट्रपति की भूमिका के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही हैं।

लेखक का यह दावा कि इस्लामी गणतंत्र में अप्रत्याशित परिवर्तन हुए हैं और वह इस दावे की वजह, राष्ट्रपति पद के लिए व्यवस्था के समर्थकों की प्रतिस्पर्धा क़रार दे रहे हैं।

हिल वेबसाइट पर आर्टिकल लिखने वाली शायद यह भूल गयीं कि किसी भी राजनीतिक व्यवस्था में चुनावी प्रतिद्वंद्वी वे लोग होते हैं जिन्होंने उस देश की राजनीतिक संरचना को स्वीकार किया हो और यह लोग उस देश के संविधान के तहत प्रतिस्पर्धा करते हैं।

दुनिया के कई हिस्सों में होने वाली गर्मागरम और तनावपूर्ण प्रतिस्पर्धा, किसी भी तरह से किसी भी राजनीतिक व्यवस्था के लिए स्थिति के आपातकालीन होने का संकेत नहीं देती।

हिल पत्रिका की लेखिका शहरज़ाद अहमदी के लेख के एक अन्य हिस्से में उन्होंने अमेरिका और ज़ायोनी शासन द्वारा मारे गए और शहीद हुए ईरानियों का ब्योरा, इस्लामी गणतंत्र के लिए मारे गये लोगों के रूप में की है और इन अपराधों में इस्राईली शासन और अमेरिका की भागीदारी का उल्लेख तक नहीं किया है।

एक क़ानूनी राजनीतिक व्यवस्था के प्रति एक लेखिका का इस प्रकार का रवैया, लेखिका और इस लेख को प्रकाशित करने वाली वेबसाइट की दुश्मनी और द्वेष को ज़ाहिर करता है।

क़ुद्स फ़ोर्स के कमांडर जनरल क़ासिम सुलेमानी, ब्रिगेडियर जनरल मुहम्मद रज़ा ज़ाहेदी और ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद हादी हाजी रहीमी, सीरिया में ईरानी सैन्य सलाहकार और ईरान के आठवें राष्ट्रपति शहीद सैयद इब्राहीम रईसी के नाम इस पक्षपातपूर्ण आर्टिकल में ज़िक्र किए गये हैं।

आर्टिकल में दावा किया गया है कि केवल एक प्रमुख सदस्य बचा है जो संभव है कि सभी चीज़ों को बचाए रखे वह हैं ईरान के सुप्रीम लीडर सैयद अली ख़ामेनेई।

किसी को हिल साइट की आर्टिकल लिखने वाली लेखिका से पूछना चाहिए कि जब एकमात्र बचे प्रमुख सदस्य वह स्वयं ही हैं तो हर कोई सुप्रीम लीडर को कैसे बचा सकता है? साथ ही, यह सवाल भी किया जा सकता है कि आखिरकार कैसे यही एक इंसान एक ईरानी सैन्य प्रमुख और कमांडर हैं और बाकी ईरानी सैन्य कमांडर, ईरानी राजनीतिक ढांचे के शेष प्रमुख सदस्य नहीं हैं?

आर्टिकल लिखने वाली लेखिका ने बचकानी भविष्यवाणी करते हुए दावा किया है कि इस्लामी गणतंत्र के मौजूदा नेता के बाद उनके बेटे सैयद मुजतबा ख़ामेनेई, ईरान के अगले सुप्रीम लीडर बनेंगे।

एक असंभव और ग़ैर मुमकिन दावा जिसके बारे में एक कहावत मशहूर है ख़याली पुलाव पकाना, यह सब चीज़ें ईरान में नेतृत्व चयन की संरचना और क्रांति के वरिष्ठ नेता के परिवार की राजनीतिक पोज़ीशन के बारे में लेखिका की कम जानकारी और अज्ञानता को दर्शाती हैं।

इस लेख के अंत में राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी के अंतिम संस्कार और जनरल सुलेमानी के अंतिम संस्कार, जो कि 5 साल पहले हुआ था, की तुलना करके बताया गया है कि इस कार्यक्रम में कम लोगों ने भाग लिया था और लिखका के अनुसार, इससे पता चलता है कि इस्लामी गणतंत्र की सामाजिक पूंजी में कमी आई है।

मशहद जैसे कुछ शहरों में शहीद राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी के अंतिम संस्कार में, जनरल क़ासिम सुलेमानी के अंतिम संस्कार की तुलना में अधिक भीड़ थी।

यह लेख एक विचारशील विश्लेषण से ज़्यादा एक व्यक्तिगत बयान बाज़ी और ईरान विरोधी अमेरिकी चरमपंथी आंदोलन की इच्छाओं और भ्रमों पर आधारित एक लेख है जिसे ईरान के भी की घटनाओं की सही ढंग से समझ ही नहीं है।

एक ऐसा आर्टिकल जो हर प्रकार तथ्यों या दस्तावेजों से कोसों दूर है और ईरान की इस्लामी गणतंत्र व्यवस्था के प्रति लेखिका और हिल पत्रिका की नफ़रत ज़ाहिर करने का एक हथकंडा है।

इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि ईरान में 1953 का सैन्य तख्तापलट जिसे 28 मुर्दाद के तख्तापलट के रूप में जाना जाता है, अमेरिका और इंग्लैंड द्वारा ईरानी सेना में प्रभावशाली तत्वों का इस्तेमाल करके निर्वाचित प्रधानमंत्री मुहम्मद मुसद्दिक़ की सरकार को उखाड़ फेंकने और पश्चिम पर निर्भर मुहम्मद रज़ा शाह पहलवी को बचाने के लिए था।

Read 88 times