यमन और ग़ज़ा पर हमलों से लेकर इस्राईली शासन को भारी नुक़सान पहुंचाने की प्रतिरोध की योजना

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यमन और ग़ज़ा पर हमलों से लेकर इस्राईली शासन को भारी नुक़सान पहुंचाने की प्रतिरोध की योजना

यमन के जनांदोलन अंसारुल्लाह के महासचिव सैयद अब्दुल मलिक बदरुद्दीन अल-हूसी ने ज़ायोनी शासन को चेतावनी दी है और स्पष्ट किया कि इस्राईली ठिकानों के ख़िलाफ़ यमनी सेना के आप्रेशन  का दायरा, हिंद महासागर और भूमध्य सागर तक फैला जाएगा।

इस्राईली शासन भीषण हमलों की प्रतिरोध की योजना, यमन, लेबनान और ग़ज़ा पर ज़ायोनी शासन के लगातार हमलों, मक़बूज़ा क्षेत्रों में नेतन्याहू के ख़िलाफ़ प्रदर्शन और यमन की बंदरगाह अल-हुदैदा पर ज़ायोनी शासन के हमले की निंदा, हालिया घंटों में पश्चिम एशिया के कुछ सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम हैं जो आज आपकी सेवा में पेश किए जा रहे हैं।

यमन पर अमेरिकी और ब्रिटिश हवाई हमला

 अल-मयादीन चैनल के मुताबिक, रविवार को अमेरिकी-ब्रिटिश गठबंधन ने यमन के अल-सलीफ़ इलाक़े में स्थित "रासे ईसा" बंदरगाह पर हमला किया।

उसी वक़्त, यमन के हज्जा प्रांत में मौजूद अल-मसीरा चैनल के संवाददाता ने यह भी बताया कि मीदी सेक्टर में "बहीस" क्षेत्र पर भी अमेरिकी-ब्रिटिश युद्धक विमानों ने दो बार हमला किया।

अब तक, इन हमलों में होने वाले जानी और माली नुक़सान का ब्योरा हासिल नहीं हो सका है।

यमन पर ज़ायोनी शासन के हमले पर कुवैत, सीरिया और ओमान की प्रतिक्रियाएं

अल-मयादीन के अनुसार, तीन देशों कुवैत, ओमान और सीरिया के विदेश मंत्रालयों ने रविवार को बयान जारी कर यमनी इलाक़ों पर ज़ायोनी सेना के हमलों पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और इन क्रूर हमलों की कड़े शब्दों में निंदा की।

वहीं, इराक़ के नोजबा इस्लामिक रेजिस्टेंस मूवमेंट के महासचिव अकरम अल-काबी ने यमन की हुदैदा बंदरगाह पर ज़ायोनी शासन के हमले की निंदा की।

उन्होंने कहा: मारे गये ज़ायोनियों की संख्या में वृद्धि और उनके शांत क्षेत्रों के अशांत होने के बाद प्रिय यमनियों के आधारभूत ढांचों को निशाना बनाने में ज़ायोनी शासन और उसके मूर्ख गठबंधन की कार्रवाईयां, कि किसी भी क्षण मौत उनके पास आ सकती है, ज़ायोनी शासन के अपराधों की की नाकामियों का एक नया अध्याय है।

ज्ञात रहे कि शनिवार शाम को यमन की अल-हुदैदा बंदरगाह पर ज़ायोनी शासन के लड़ाकू विमानों ने बमबारी की थी। इस हमले के बाद इस तटीय शहर के तेल टैंकों में आग लग गई।

अब्दुल मलिक अल-हूसी, बड़े ऑप्रेशन अंजाम दिए जाने वाले हैं/ क़ब्ज़ाधारी इस्राईलियों को भयभीत रहना चाहिए

अल-मसीरा चैनल के अनुसार, यमन के जनांदोलन अंसारुल्लाह के महासचिव अब्दुल मलिक अल-हूसी ने रविवार को एक बयान में कहा: क़ब्ज़ाधारी इस्राइलियों को डरना चाहिए और पहले से कहीं अधिक चिंतित होना चाहिए, यह जानकर कि उनके मूर्ख नेताओं ने उनके लिए बढ़ते ख़तरे पैदा कर दिए हैं।

श्री बदरुद्दीन अल-हूसी ने कहा: इस्राईली दुश्मन ने तेल कंपनी के टैंक और अल-हुदैदा बिजली विभाग के टैंक पर सीधा हमला किया। इन लक्ष्यों को चुनने की वजह, यमन की अर्थव्यवस्था को निशाना बनाना और हमारे प्रिय राष्ट्र और उसकी आजीविका को नुक़सान पहुंचाना है।

यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के महासचिव ने कहा: यमन पर हमला करके दुश्मनों को कोई फ़ायदा नहीं होगा और यह हमले उसकी रक्षा नहीं कर सकते और ग़ज़ा के समर्थन में हमारे आप्रेश्न्ज़ के पांचवें चरण को जारी रखने से बाज़ नहीं रख सकते।

मुहम्मद अब्दुस्सलाम: हम ज़ायोनीयों के साथ संघर्ष तेज़ करने को तैयार हैं

अल जज़ीरा चैनल की रविवार की रिपोर्ट के अनुसार, यमन की राष्ट्रीय मुक्ति सरकार की वार्ता समिति के प्रमुख और मुख्यवार्ताकार मुहम्मद अब्दुस्सलाम का भी कहना था: यमनवासी संघर्ष के बढ़ने से डरते नहीं हैं और फ़िलिस्तीनियों की न्यायपूर्ण उमंगों की रक्षा के मार्ग पर बढ़ रहे हैं।

बेन गुरियन एयरपोर्ट पर नेतन्याहू के ख़िलाफ प्रदर्शन

रविवार को अल जज़ीरा चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री बेंन्यामीन नेतन्याहू की वाशिंगटन यात्रा से पहले ज़ायोनी प्रदर्शनकारियों ने बेन गुरियन हवाई अड्डे पर विरोध प्रदर्शन किया।

इस प्रदर्शन में ज़ायोनी प्रदर्शनकारियों ने ज़ायोनी शासन और ग़ज़ा पट्टी में फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध के बीच क़ैदियों के आदान प्रदान के समझौते पर हस्ताक्षर की मांग की।

इससे पहले, मक़बूज़ा क्षेत्रों में कई बार ज़ायोनी निवासियों द्वारा इसी तरह के विरोध प्रदर्शन देखने में नज़र आए हैं।

ज्ञात रहे कि ग़ज़ा के ख़िलाफ़ युद्ध जारी रहने और ज़ायोनी शासन द्वारा कोई सैन्य उपलब्धि हासिल न होने की वजह से मक़बूज़ा क्षेत्रों में इस्राईली प्रधानमंत्री बेन्यामीन नेतन्याहू और उनके मंत्रिमंडल की आलोचनाएं तेज़ हो गई हैं।

यमनी प्रतिरोध के संभावित हमलों का ख़ौफ़, ज़ायोनी शासन बौखलाया

फ़िलिस्तीन की समा समाचार एजेंसी के अनुसार, ज़ायोनी शासन के मीडिया ने सोमवार की सुबह एलान किया कि यमन की अल-हुदैदा बंदरगाह पर इस्राईल के हालिया हमलों पर संभावित यमनी प्रतिक्रिया के डर से इस्राईल की वायु और नौसेना को पूरी तरह से अलर्ट पर रखा गया है।

कुछ ज़ायोनी सूत्रों ने बैतुल मुक़द्दस, वेस्ट बैंक और मक़बूज़ा फ़िलिस्तीन के उत्तरी क्षेत्रों में इस्राईली युद्धक विमानों की उड़ानों और गश्त लगाए जाने की भी सूचना दी।

शनिवार शाम को यमन की पश्चिमी प्रांत अल-हुदैदा की बंदरगाह पर ज़ायोनी शासन के हमलों के बाद यमनी सशस्त्र बलों के प्रवक्ता यहिया सरी ने इस बात पर ज़ोर दिया था कि इस अपराध का जवाब ज़ायोनियों के लिए निश्चित रूप से बड़ा और दर्दनाक होगा।

ख़ान यूनुस पर क्रूर इस्राईली हवाई हमलों में 13 शहीद और घायल

फ़िलिस्तीन की वफ़ा समाचार एजेंसी ने सोमवार को एलान किया: ख़ान यूनुस पर ज़ायोनी शासन द्वारा किए गए 2 हवाई हमलों के दौरान 2 महिलाएं शहीद हो गईं जबकि 11 अन्य नागरिक घायल हो गए। इन हमलों में ख़ान यूनिस के पश्चिम में एक घर और इसी इलाक़े के पूरब में स्थित बनी सहेला क्षेत्र में एक घर को निशाना बनाया गया।

लेबनानी सेना के वॉच टॉवर पर ज़ायोनी शासन का हमला

अल जज़ीरा के मुताबिक, इस्राईली सेना ने रविवार को लेबनानी सेना के एक निगरानी टॉवर को निशाना बनाया जिसके दौरान 2 लेबनानी सैनिक घायल हो गये।

इस रिपोर्ट के अनुसार, एक ज़ायोनी टैंक ने दक्षिणी लेबनान के "एता अल-शाब" शहर के आसपास स्थित लेबनानी सेना के एक वॉच टॉवर को निशाना बनाया।

  ग़ज़ा में शहीदों की संख्या बढ़ी

फ़ार्स समाचार एजेंसी के अनुसार, ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को कहा कि मलबे के नीचे अभी भी कई फ़िलिस्तीनी शहीद दबे हुए हैं। बयान में कहा गया है कि ग़ज़ा में शहीदों की संख्या 38980 से अधिक हो गई है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 36 घंटों में इस्राईली सेना ने ग़ज़ा पट्टी में 4 और सामूहिक हत्याओं को अंजाम दिया है जिसके परिणामस्वरूप 64 शहीदों और 105 घायलों को ग़ज़ा के अस्पतालों में स्थानांतरित किया गया।

अल-जज़ीरा ने सोमवार की अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि रविवार सुबह से दोपहर तक ज़ायोनी शासन के हमलों में 60 से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए। अल जज़ीरा ने ग़ज़ा में अल-नुसैरत और अल-बुरैज कैंपों पर ज़ायोनी शासन के तोपख़ाने द्वारा भारी हमलों के जारी रहने की सूचना दी है।

इस्राईल के 3 सैन्य ठिकानों पर हिज़्बुल्लाह का मिसाइल हमला

तस्नीम समाचार एजेंसी के अनुसार, लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह ने अलग-अलग बयान जारी कर एलान किया कि प्रतिरोधकर्ताओं ने रविवार को ज़ायोनी शासन के तीन सैन्य ठिकानों को कामयाबी से निशाना बनाया।

लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन ने अपना पहला बयान जारी कर बताया कि ग़ज़ा में दृढ़ फिलिस्तीनी जनता का समर्थन करने, ज़ायोनी शासन के हमलों और अदलून शहर में नागरिकों को निशाना बनाने के जवाब में, इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह ने रविवार को ज़ायोनी बस्ती दफ़्ना को कत्युशा रॉकेटों से निशाना बनाया।

लेबनान के हिज़्बुल्लाह ने अपने दूसरे और तीसरे बयान में कहा कि उसके जियालों ने मक़बूज़ा कफ़र शबआ के पहाड़ी इलाक़ों में समाक़ा और अल-रमसा के सैन्य ठिकानों पर मिसाइलों से हमला किया।

हिज़्बुल्लाह आंदोलन के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने आशूर के दिन ज़ायोनियों को खुलेआम धमकी देते हुए बल दिया था कि अगर इस्राईली सेना दक्षिणी लेबनान में घुसपैठ का इरादा रखती है तो उसके पास कोई टैंक ही नहीं बचेगा।

रविवार को हिब्रू भाषा के अख़बार येदीयेत अहारोनोत ने एक्स सोशल नेटवर्क पर अपने पेज पर ज़ायोनी शासन के पूर्वयुद्ध मंत्री एविग्डोर लिबरमैन के हवाले से कहा कि इस्राईल की सैन्य संरचना अभी भी विफलता की स्थिति में फंसी हुई है जबकि ख़ुफ़िया विफलताएं भी साथ ही जारी हैं।

 

 

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