कर्बला में अबुसमामा अम्र बिन अब्दुल्लाह सैदावी की महान कुर्बानी

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कर्बला में अबुसमामा अम्र बिन अब्दुल्लाह सैदावी की महान कुर्बानी

आप का पूरा नाम अम्र इब्ने अब्दुल्लाह इब्ने कैब इब्ने शरजील इब्ने उमर इब्ने हाशिद इब्ने जशम इब्ने हैरदन इब्ने औफ बिन हमदान साअएदी अल-सैदावी था और कुन्नियत अबू समामा था।

आप का पूरा नाम अम्र इब्ने अब्दुल्लाह इब्ने कैब इब्ने शरजील इब्ने उमर इब्ने हाशिद इब्ने जशम इब्ने हैरदन इब्ने औफ बिन हमदान साअएदी अल-सैदावी था और कुन्नियत अबू समामा था।

आप ताबई थे। आप का शुमार हज़रत अली अलै० के असहाब में था। आप ने हज़रत अली के साथ तमाम जंगो में शिरकत की थी । आप बड़े शहसवार और शियों में बड़ी अजमतों, शौकत के मालिक थे। अमीरुल मोमिनीन के बाद इमाम हुसैन की खिदमत में रहे।

हजरत मुस्लिम इब्ने अक़ील जब कूफे तशरीफ़ लाये तो आपने उनकी पूरी इमदाद की। उनके लिए असलहे खरीदे और दारुलअमारापर हमले में बनी तमीम, हमदान की कयादत की। हजरते मुस्लिम की शहादत के बाद आप चंद रोज़ रु-पोश हो गए फिर इमाम हुसैन की खिदमत में हाज़िर हो गए।

कर्बला के बाद इब्ने सअद ल० ने कासीर इब्ने अब्दुल्लाह ने शअबी के जरिये से इमाम हुसैन अलै० के पास एक पैगाम भेजा कासिद चाहता था की हथियार लगाये इमाम हुसैन से मिले मगर अबू समामा ने उस को कामयाब न होने दिया और वह बगैर पैगाम पहुंचाये वापस चला गया।

नमाज़े ज़ौहर के लिए आप ने ऐन हंगामा-ए-कार्ज़ार में इमाम हुसैन अलै० से दरखास्त की कि नमाज़े जमाअत होनी चाहिए। चुनांचे इमामे मज़लूम ने नमाज़ पढ़ाई फिर जंग के मौके पर आपने कमाले दिलेरी से शमशीर जनी की।बिल-आखिर आप के चचा ज़ाद भाई कैस ल० इब्ने अब्दुल्लाह अल-सआएदी ने आप को शहीद कर दिया।

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