हज़रत फातिमा मासूमा की शहादत

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हज़रत फातिमा मासूमा की शहादत

हज़रत मासूमा का पहली जिल्क़ादा साल 173 हिजरी मे मदीने मे जन्म हुआ.

कुरान समाचार (iqna)  इस्फहान शाखा के मुताबिक़ मासूमा ने 1 ज़िल्कादा साल 173 हिजरी मदीने मे आँख खोली,और 10 रबिऊस्सानी सन् 201 हिजरी में वफ़ात पाईं। आर आप सर ज़मीने क़ुम में दफ़्न हुईं । इस महान ख़ातून ने जन्म से ही ऐसे माहौल मे तर्बियत पाई जहाँ माँ,बाप,भाई बहन सभी लोग मानव कमालात मे सब से आगे थे.इबादत, ज़ोहद, तक़वा, सच्चाई,पाक दामनी वग़ैरा इस खान्दान की खुसुसियत थी.

शहज़ादी का पालंण पोषण इल्म व एख़लाक वाले कुटुम्ब मे हुआ बाबा इमामे मूसा काज़ीम (अ) की शहादत के बाद भाई इमाम रज़ा(अ)ने आप की पर्वरिश की ज़िम्मेदारी ली। जिस बिना पर आप सातवें इमाम की तमाम अवलादों मे बाद अज़ इमाम रज़ा(अ)सबसे ज़्यादा बा कमाल थीं.जैसा कि आप के नाम और लक़ब से ज़ाहिर है आप भी जनाबे ज़ैनब(अ)की तरह आलिमऐ ग़ैर मुअल्लिमा थीं.

आर आप की शान में आइम्मऐ मासूमीन(अ)से मुताअद्दिद रिवायतें नक़ल हुईं हैं जिनमें से कुछ येह हैं:

 

(1) इमाम सादिक़ अ.फरमाते हैं (होशयार होजाओ ख़ुदा के लिऐ ऐक मोहतरम जगह है वह मक्का है पैग़म्बर के लिऐ मदीना हरम है हज़र अली के लिऐ कूफा हरम है पणुं मेरे और मेरी अवलादों के लिऐ क़ुम हम है क़म हमारे लिऐ कूफे समान है जान लो कि जन्नत मे 8 दरवाज़े हैं उनमे 3 कुम की जानिब खुलते हैं मेरे वंश से ऐक बेटी ब नाम फातिमा यहां दफ्न हगी जो हमारे शियों शफाअत कराऐ गी)

 (2) (ـ عن سعد بن سعيد ، عن أبي الحسن الرضا ( عليه السلام ) ، قال : سألته عن قبر فاطمة بنت موسى بن جعفر ( عليهم السلام ) ، فقال : ( من زارها فله الجنّة

तर्जुमाँ: साद बिन सईद कहतें हैं मैं ने इमामे रिज़ा(अ) से जनाबे फातिमा मासूमा (अ) की क़ब्र के बारे मे पूछा तो आप ने फ़रमाया कि जो इनकी ज़ियारत करे उसके लिये जन्नत है।(1)

(3) ( قال الإمام الجواد ( عليه السلام ) : ( من زار قبر عمّتي بقم فله الجنّة

तर्जुमाँ: इमामे जवाद(अ)फ़रमाते हैं कि जे मेरी फूफी की क़ब्र की क़ुमँ में ज़ियारत करे तो उसके लिये जन्नत है।(2)

( عن سعد ، عن الإمام الرضا ( عليه السلام ) قال : ( يا سعد ، عندكم لنا قبر ) ، قلت له : جُعلت فداك ، قبر فاطمة بنت موسى ؟ قال : ( نعم ، من زارها عارفاً بحقّها فله الجنّة)

(4) तर्जुमाँ: साद कहतें हैं कि इमामे रिज़ा(अ)ने कहा कि( ऐ साद तुमहारे पास हमारी क़ब्र है) तो मैने कहा आप पर फ़ेदा हो जाऊँ हज़रत फातिमा मासूमा(अ)की क़ब्र ,आप ने कहा हाँ ,जो उनके हक़ की मारेफ़त के साथ उनकी ज़ियारत करे उसके लिये जन्नत है।(3)

(5) ـ قال الإمام الصادق ( عليه السلام ) : ( إنّ لله حرماً وهو مكّة ، وإنّ للرسول ( صلى الله عليه وآله ) حرماً وهو المدينة ، وإنّ لأمير المؤمنين ( عليه السلام ) حرماً وهو الكوفة ، وإنّ لنا حرماً وهو بلدة قم ، وستدفن فيها امرأة من أولادي تسمّى فاطمة ، فمن زارها وجبت له الجنّة

 तर्जुमाँ: इमाम सादिक़ अ.फरमाते हैं (बेशक ख़ुदा के लिऐ ऐक मोहतरम जगह है वह मक्का है और पैग़म्बर के लिऐ मदीना हरम है और हज़र अली(अ)के लिऐ कूफा हरम है और बेशक हमारे और हमारी अवलाद के लिऐ क़ुम हरम है और अनक़रीब ऐक ख़ातून हमारी औलाद में से वहाँ दफ़्न होगी जिनका नाम फातिमा होगा।(4)

(1) सवाबुल आमाल: 99

(2) कामिलुज़्ज़ियारात 536

(3) बिहारुल अनवार 48 ,317

(4) बिहारुल अनवार 57,216

 

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