महिलाओं के बारे में पश्चिम के विचारों को आधार न बनाया जाए

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महिलाओं के बारे में पश्चिम के विचारों को आधार न बनाया जाए

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनई ने ईरान में शिक्षित, प्रतिभावान और अच्छी विचारधारा रखने वाली वाली महिलाओं की बड़ी संख्या को इस्लामी गणतंत्र ईरान के लिए बड़ी गौरवपूर्ण ईश्वरीय विभूति बताया।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने शनिवार को पैग़म्बरे इस्लाम की सुपुत्री हज़रत फ़ातेमा ज़हेरा सलामुल्लाह अलैहा के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर सैकड़ों की संख्या में महिला बुद्धिजीवियों से मुलाक़ात में महिलाओं के मामले में पश्चिम के ग़लत और रूढ़िवादी विचारों को आधार और केन्द्र बनाने से परहेज़ की सलाह दी और महिलाओं की महान क्षमताओं के सही व स्वस्थ उपयोग के लिए इस्लामी शिक्षाओं को आधार बनाने को महत्वपूर्ण रणनीति घोषित किया।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने महिला के विषय को इस्लाम के मानवीय दृष्टिकोण के आधार पर परखने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि आध्यात्मिक ऊंचाइयों को तय करने के संबंध में महिला और पुरुष में कोई अंतर नहीं है केवल इस सफ़र के प्रारूप अलग अलग हैं अतः इस प्रक्रिया के जहां कुछ संयुक्त मंच हैं वहीं स्वाभाविक रूप से कुछ एसे मंच भी हैं जो एक दूसरे से अलग हैं।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने महिलाओं के बारे में पश्चिमी देशों में प्रकाशित होने वाली पुस्तकों का हवाला देते हुए कहा कि यदि हम महिला के बारे में तार्किक, स्वस्थ, सूक्ष्म और पथप्रदर्शक दृष्टिकोण अपनाना चाहते हैं तो रोज़गार तथा महिला व पुरुष की बराबरी जैसे विषयों में पश्चिम की विचारधारा से स्वयं को अलग करना होगा। इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमें महिलाओं के बारे में पश्चिम के दृष्टिकोण से पूर्ण रूप से अवगत होना चाहिए किंतु इन दृष्टिकोणों को आधार पर केन्द्र बनाए जाने का कड़ाई से मुक़ाबला करते हुए मन को इन आधुनिक दिखने वाले पुराने विचारों तथा विदित रूप से सहानुभूतिपूर्ण दिखाई देने वाले किंतु वास्तव में विश्वासघाती विचारों से मुक्त करना होगा क्योंकि इन विचारों से मानव समाज के कल्याण व सफलता का मार्ग कदापि प्रशस्त नहीं हो सकता।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने सृष्टि व संसार के बारे में पश्चिम के भौतिकवादी दृष्टिकोण को महिला के बारे में पश्चिम के विचारों के भटकाव का मुख्य कारण बताया और कहा कि रोज़गार सहित आर्थिक मामलों में महिलाओं की क्षमताओं को सौदागरों की दृष्टि से परखना तथा महिलाओं को अपमान की निगाह से देखना भी एसे कारक हैं जिन्होंने महिलाओं के बारे में पश्चिमी विचारों को रूढ़िवादी और अन्यायपूर्ण बना दिया है।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने अंनेक अंतर्राष्ट्रीय कन्वेन्शनों के मूल वैचारिक आधारों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इन आधारों पर पश्चिमी देशों आग्रह मानव समाज को ध्वस्त कर रहा है अतः सही व संतुलित विचारधारा स्थापित करने के लिए इन आधारों से बचना आवश्यक है।

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