एक ज़ायोनी रब्बी ने खुल्लम- खुल्ला फिलिस्तीनी महिलाओं और बच्चों की हत्या कर देने का आह्वान किया है।
इससे पहले एक अतिवादी जायोनी मंत्री ने कहा था कि फिलिस्तीनियों पर परमाणु बम मार देना चाहिये।
अतिवादी जायोनी रब्बी ने कहा कि आज जंग में विनाशकारी वही बच्चे हैं जिन्हें हमने पिछली जंगों में जीवित छोड़ दिया और महिलायें भी वास्तव में वही हैं जो इन बच्चों को आतंकवादी बनाती हैं।
यह जुमले जायोनी रब्बी इल्याहू माली के हैं। इसी प्रकार इस अतिवादी जायोनी रब्बी ने कहा है कि यह पवित्र युद्ध है और शरीयत का कानून बहुत स्पष्ट कि अगर इनकी हत्या नहीं करोगे तो वे तुम्हारी हत्या करेंगे। इसी प्रकार जायोनी रब्बी इल्याहू माली ने कहा कि इसका मतलब यह है कि हम रहेंगे या वे। इसी प्रकार उसने कहा कि जो तुम्हारी हत्या करने के लिए आ रहे हैं पहले तुम उनकी हत्या कर दो। इसमें केवल वे लोग शामिल नहीं हैं जो 16.18.20 या 30 साल के हों और तुम्हारे खिलाफ हथियार उठा रहे हैं बल्कि इसमें भावी पीढ़ी के बच्चे भी शामिल हैं और इसी प्रकार इसमें वे फिलिस्तीनी भी शामिल हैं जो भावी पीढ़ी को जन्म देंगे।
वर्ष 1948 में फिलिस्तीनियों की मातृभूमि में जायोनी सरकार के अवैध अस्तित्व की घोषणा की गयी और तब से लेकर आजतक फिलिस्तीनियों के खिलाफ इस्राईल के अनवरत जघन्य अपराधों का सिलसिला यथावत जारी है। इस्राईल अब तक चालिस लाख से अधिक फिलिस्तीनियों को उनकी मातृभूमि से निकाल चुका है जो दूसरे देशों में बहुत ही दयनीय दशा में शरणार्थी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
सवाल यह पैदा होता है कि यहूदियों और जायोनियों ने कैसे और किस बहाने से फिलिस्तीनियों की मातृभूमि पर कब्ज़ा किया और वहां पर इस्राईल के अवैध अस्तित्व की घोषणा की? इसका जवाब स्पष्ट है। ब्रिटेन ने इसकी भूमि प्रशस्त की और बिलफौर घोषणापत्र को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा सकता है। इस्राईल के अवैध अस्तित्व की घोषणा के बाद पूरी दुनिया के यहूदियों व जायोनियों को अवैध अधिकृत फिलिस्तीन लाकर फिलिस्तीनियों की मातृभूमि पर लाकर बसाया गया और अपनी मातृभूमि को इस्राईल के अवैध कब्ज़े से आज़ाद कराने के लिए फिलिस्तीनी हमेशा संघर्ष करते रहे हैं परंतु बड़े खेद के साथ कहना पड़ता है कि अगर अमेरिका और पश्चिम की वर्चस्ववादी नीतियों के विरोधी किसी देश में किसी एक इंसान की मौत हो जाती है तो तुरंत वे उसे मानवाधिकारों के हनन की संज्ञा देते हैं परंतु इस्राईल के पाश्विक और बर्बर हमलों में 31 हज़ार से अधिक फिलिस्तीनी शहीद हो गये अब उन्हें कहीं मानवाधिकारों का हनन नज़र नहीं आ रहा है।
रोचक बात यह है कि इस्राईल के समर्थक और मानवाधिकारों का राग अलापने वाले इस्राईल के कृत्यों के बचाव में उसे आत्म रक्षा का नाम देते हैं। यही नहीं इस्राईल के समर्थक फिलिस्तीनियों के कानूनी, नैतिक और स्वाभाविक संघर्ष को आतंकवाद का नाम देते हैं।