इन हालात में कि जब विश्व के लोग पिछले कुछ महीनों से प्रदर्शन करके ग़ज़्ज़ा में इस्राईल के अत्याचारों की निंदा कर रहे हैं, इस्लामी गणतंत्र ईरान का विपक्ष, पश्चिमी नेताओं के साथ अवैध ज़ायोनी शासन के समर्थन में लगा हुआ है।
ईरान का विपक्ष, रज़ा पहलवी का समर्थक है जो ईरान के अन्तिम शाह, मुह्मद रज़ा पहलवी का बेटा है। ईरान की इस्लामी क्रांति के साथ 1979 में मुहम्मद रज़ा पहलवी के शासन का अंत हो गया था। रज़ा पहलवी के समर्थक, अपनी रैलियों में ईरान के पुराने झंडे को लेकर अवैध ज़ायोनी शासन और नेतनयाहू का समर्थन करते हैं।
वास्तविकता यह है कि ग़ज़्ज़ा युद्ध के आरंभ से ईरान के राजतंत्रवादी आंदोलन के समर्थकों की रणनीति ने फ़िलिस्तीन के अधिकांश समर्थकों को चिंतित कर रखा है। NUFDI की ही भांति पहलवी की समर्थक लाबी, फ़िलिस्तीनी समर्थकों को डराने-धमकाने में लगी है। रज़ा पहलवी के समर्थकों का फ़िलिस्तीनियों के समर्थकों के साथ टकराव, दर्शाता है कि वे ईरान के आम जनमत के विरोधी हैं जो आरंभ से भी फ़िलिस्तीनियों की आकांक्षाओं का समर्थन करता आया है। इस्लामी गणतंत्र ईरान का विपक्ष, ईरान के संदर्भ में अमरीका के आक्रमक रुख़ का समर्थन करता है जिमसें ईरानी जनता के विरुद्ध लगे प्रतिबंधों में वृद्धि भी शामिल है। ईरान के अन्तिम शाह, मुहम्मद रज़ा पहलवी की सत्ता 1979 तक रही। इस दौरान उसके इस्राईल के साथ मैत्रीपूर्ण संबन्ध थे। वह ऊर्जा एवं सुरक्षा के क्षेत्र में इस्राईल के साथ सहयोग करता था। शीतयुद्ध के काल में वह अमरीकी ख़ेमे में था।
उसके बेटे रज़ा पहलवी ने हालिया कुछ वर्षों के दौरान इस्राईल से निकट होने के लिए अधिक प्रयास किये हैं। वे इस्राईल को अपना बहुत ही महत्वपूर्ण सहयोगी मानते हैं। उनका यह सहयोग उस समय अधिक सार्वजनिक हो गया जब अप्रैल सन 2023 में रज़ा पहलवी ने अपनी पत्नी के साथ अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में जाकर नेतनयाहू और इस शासन की सूचना मंत्री गीला गामलील के साथ बहुत ही गर्मजोशी के साथ मुलाक़ात की थी।
यह वह मुलाक़ात थी जिसमें रज़ा पहलवी के सलाहकार अमीर हुसैन एतेमादी और सईद क़ासिमी नेज़ाद भी उपस्थित थे जो वाशिगटन डीसी में डिफेंस आफ डेमोक्रेसी फाउंडेशन के दक्षिणपंथी थिंक टैंक के कर्मचारी हैं।
यह वे विवादित लोग हैं जो फ़िलिस्तीन विरोधी दृष्टिकोणों और युद्धोन्मादी सोच के कारण ईरानी राष्ट्र के निकट घृणा के पात्र हैं। यह लोग, ईरान के विरुद्ध प्रतिबंध लगाने और उसपर हमला करने के पक्षधर हैं। इन्होंने तो "फ़िलिस्तीन मुर्दाबाद" के नारे भी ट्वीट किये हैं। रज़ा पहलवी ने अवैध ज़ायोनी शासन की अपनी यात्रा में FDD के प्रमुख मार्क दूबोवीटर्ज़ से भी मुलाक़ात की थी। इस मुलाक़ात को संयुक्त राज्य अमरीका में इस्राईल के समर्थक गुटों ने काफ़ी हाईलाइट किया था।
ईरान के विपक्ष ने पिछली साल ज़न, ज़िंदगी, आज़ादी के नारे के साथ ईरानी समाज को नुक़सान पहुंचाने के प्रयास किये थे। ईरान का विपक्ष, वास्तव में ईरानी जनता का हमफ़िक्र नहीं है बल्कि इस्राईल और अमरीका में विरोधियों के साथ हैं। वे मानवीय एवं क्षेत्रीय दुष्परिणामों पर नज़र किये बिना ही ईरान की सरकार को गिराना चाहते हैं। यही वह चीज़ है जो ईरान की जनता में उनकी अविश्वसनीयता, अवैधता तथा जनता के लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति उनकी उपेक्षा को दर्शाती है।