हिज़्बुल्लाह के नेता सैयद हसन नसरुल्लाह का कहना है कि ग़ज़ा युद्ध में ज़ायोनी सेना का हाल, बेहाल हो चुका है।
बुधवार को हसन नसरुल्लाह ने टीवी पर अपने संबोधन में कहाः हर मोर्चे पर इस्राईली सेना की हालत बहुत ख़स्ता है। दुश्मन के विशेषज्ञों ने रणनीतिक हार को स्वीकार करने पर ज़ोर दिया है।
ग़ौरतलब है कि 7 अक्तूबर को अवैध क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में हमास के अल-अक़सा ऑप्रेशन के बाद से इस्राईल ने ग़ज़ा के ख़िलाफ़ व्यापक युद्ध छेड़ दिया था, लेकिन 6 महीने बाद भी हमास को नष्ट करने समेत वह अपने किसी भी घोषित लक्ष्य को हासिल नहीं कर सका है।
हालांक ज़ायोनी सेना ने ग़ज़ा में बड़े पैमाने पर फ़िलिस्तीनियों का नरसंहार किया है और पूरे इलाक़े को वीरान कर दिया है।
हिज़्बुल्लाह प्रमुख ने अपने भाषण में कहाः ग़ज़ा कि जो प्रतिरोध और संघर्ष कर रहा है वह किसी चमत्कार से कम नहीं है, जहां से दुनिया आश्चर्यचकित करने वाले दृश्य देख रही है। यह क़ुरान की संस्कृति है और यह पूरी दुनिया के लिए एक दिव्य प्रमाण है।
हसन नसरुल्लाह का कहना था कि इस्राईली सेना को उससे कहीं ज़्यादा नुक़सान पहुंचा है, जिसकी उसने घोषणा की है। उन्होंने कहा कि हम अपने शहीदों की घोषणा लाइव ब्रोडकास्ट में करते हैं, जबकि दुश्मन अपने मृतकों की संख्या को छिपाता है, जिसका ज़ायोनी सेना पर असर पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि उत्तरी मोर्चे पर इस्राईल ने अपने जानी और माली नुक़सान पर भारी पर्दा डाल रखा है।
नसरुल्लाह का कहना था कि पांच महीने के युद्ध के बाद, इस्राईली सेना के पास सैनिकों की कमी है और वह 14,500 अधिकारियों और सैनिकों की भर्ती करना चाहती है, यहां तक कि वह हरेदीम यानी अति-रूढ़िवादी यहूदियों को प्राप्त सेना में भर्ती की छूट को भी समाप्त करना चाहते हैं।