इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि महिला व पुरुष के व्यक्तिगत व सामाजिक अधिकारों के संबंध में इस्लाम व क़ुरआन के विचार सबसे तर्कसंगत, सबसे ठोस और सबसे व्यवहारिक विचार हैं।
आयतुल्लाहिल उज़मा इमाम ख़ामेनेई ने बुधवार को हज़रत फ़ातेमा अलैहस्सलाम तथा इमाम ख़ुमैनी के जन्म दिवस के अवसर पर पैग़म्बरे इस्लाम व उनके परिजनों के गुणगान में शेर लिखने वाले कवियों व वक्ताओं के एक समूह से भेंट में महिलाओं के सम्मान की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि आध्यात्मिकता की प्राप्ति और व्यक्तिगत एवं सामाजिक अधिकारों की दृष्टि से ईश्वर के निकट महिला व पुरुष में कोई अंतर नहीं है और महिलाओं के साथ व्यवहार उनकी प्रतिष्ठा के अनुसार सम्मानपूर्ण होना चाहिए। उन्होंने महिलाओं के संबंध में पश्चिम की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि पश्चिमी सभ्यता ने महिला के संबंध में जो व्यवहार अपनाया है वह एक बड़ा और अक्षम्य पाप है जिसकी किसी भी रूप में क्षतिपूर्ति नहीं की जा सकती।