ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने शुक्रवार की सुबह तेहरान में इस्लामी देशों के राजदूतों एवं ईरानी अधिकारियों को संबोधित करते हुए अपने मार्ग की पहचान और शत्रु की चालों के प्रति होशियारी को वर्तमान समय में मुस्लिम समुदाय की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी क़रार दिया और कहा कि शत्रु की मूल साज़िश मुसलमानों में मतभेद उत्पन्न करना है, अतः इस्लामी जगत की महत्वपूर्ण आवश्यकता एकजुटता, सहयोग और समन्वय है।
वरिष्ठ नेता ने साम्राज्यवादी शक्तियों की ईश्वरीय दूतों विशेषकर पैग़म्बरे इस्लाम (स) से शत्रुता की ओर संकेत करते हुए कहा कि मार्क्सवाद एवं उदारवाद जैसे दर्शनों की नाकामी के बाद कि जो मानवता के कल्याण में विफल हो गए, आज निगाहें और हृदय इस्लाम की ओर हैं, इसलिए इस्लाम से शत्रुता ख़तरनाक क़दम है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने उल्लेख किया कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) का अपमान इस शत्रुता का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि विश्वास करने योग्य नहीं है कि इस्लामोफ़ोबिया और मुसलमानों के बीच फूट डालने की साज़िशें, विश्व की वर्चस्ववादी शक्तियों की सहायता के बग़ैर संभव हैं।
वरिष्ठ नेता ने इस बिंदु की ओर संकेत करते हुए कि पश्चिमी देश अतीत में साम्राज्यवाद द्वारा अपने हितों की आपूर्ति करते थे और आज मुसलमानों के बीच फूट डालकर अपने हित साधना चाहते हैं, कहा कि मानवाधिकार और लोकतंत्र समर्थन के नारे लगाकर पश्चिमी देश अपने दामन से साम्राज्यवाद के धब्बे मिटा नहीं सकते।