इंग्लैंड के राष्ट्रीय स्वास्थ्य और चिकित्सा संगठन ने देश में डिमेंशिया (Dementia) रोगियों की संख्या में वृद्धि की सूचना दी है।
ब्रिटिश राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन के एलान के मुताबिक़, पूरी दुनिया में डिमेंशिया या "संवेदनशीलता" की दर, इस देश में सबसे ज़्यादा है।
डिमेंशिया किसी एक बीमारी का नाम नहीं है बल्कि ये एक लक्षणों के समूह का नाम है, जो मस्तिष्क की हानि से सम्बंधित हैं। Dementia शब्द 'de' मतलब without और 'mentia' मतलब mind से मिलकर बना है।
अधिकतर लोग डिमेंशिया को भूलने की बीमारी के नाम से जानते हैं. याददाश्त की समस्या एकमात्र इसका प्रमुख लक्षण नहीं है। हम आपको बता दें की डिमेंशिया के अनेक गंभीर और चिंताजनक लक्षण होते हैं, जिसका असर डिमेंशिया से पीड़ित लोगों के जीवन के हर पहलु पर होता है। दैनिक कार्यों में भी व्यक्ति को दिक्कतें होती हैं और ये दिक्कतें उम्र के साथ बढ़ती जाती हैं।
यह बीमारी 65 वर्ष से अधिक उम्र के दस लोगों में से एक को और 85 साल के चार में से एक को प्रभावित करती है. 65 साल से कम उम्र के लोग भी बीमारी से ग्रस्त हैं जिसे अल्जाइमर की शुरुआत के रूप में जाना जाता है।
डिमेंशिया के दो कारण है पहला- मस्तिष्क की कोशिकाओं का नष्ट हो जाना और दूसरा उम्र के साथ मस्तिष्क की कोशिकाओं का कमजोर होना। इसमें अल्ज़ाइमर, वैस्कुलर डिमेशिया, फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया और पार्किंसन डिजीज आदि जैसी भूलने की बीमारी शामिल है। इसके साथ डायबिटीज, ट्यूमर, उच्च रक्तचाप के कारण भी डिमेंशिया होता है। साथ ही यह भी देखा जाता है कि डिमेंशिया प्रतिवर्ती या स्थिर होता है।
पार्सटुडे के अनुसार, डिमेंशिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें रोगी की याद रखने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। डिमेंशिया रोग में रोगी अपने से जुडी छोटी-छोटी बातों को भूलने लगता है। कभी-कभी तो परिचित व्यक्ति को भी रोगी पहचानने से इंकार कर देता है।
इस बिमारी से ग्रसित व्यक्ति में प्रमुख लक्षण दिखाई देते हैं:
स्मरण शक्ति की क्षति का होना, ज़रूरी चीज़ें भूल जाना, सोचने में कठिनाई होना, छोटी-छोटी समस्याओं को भी न सुलझा पाना,भटक जाना, व्यक्तित्व में बदलाव, किसी वस्तु का चित्र देखकर यह न समझ पाना कि यह क्या है, नंबर जोड़ने और घटाने में दिक्कत, गिनती करने में दिक्कत, स्व: प्रबंधन में दिक्कत, समस्या हल करने या भाषा और ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत का होना, यहां तक कि डिमेंशिया लोग अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होते हैं, यानी मूड या व्यवहार का बदलना, पहल करने में झिजक का होना इत्यादि।
यह बीमारी सबसे हल्के चरण से गंभीरता में तबदील हो सकती है और इस अधिक गंभीर चरण में व्यक्ति अपने दैनिक कार्यों के लिए भी दूसरों पर पूरी तरह से निर्भर हो जाता है।
बहुत से लोग memory loss से ग्रस्त होते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनको अल्जाइमर या अन्य डिमेंशिया बिमारी है, memory loss होने के कई कारण हो सकते हैं.
प्रतिवर्ती यानी किसी एक अवस्था को ठीक करने से डिमेंशिया ठीक हो सकता है। जैसे कभी-कभी थायरायड के होने पर भी डिमेंशिया की समस्या हो सकती है, लेकिन थायरायड को कंट्रोल करने से यह अपने आप ठीक हो जाता है। दूसरा डिमेंशिया स्थिर होता है, यानी जो बदलाव हो चुके है उन्हें बदला नहीं जा सकता। लेकिन रोगी के व्यवहार में बदलाव ला सकते हैं। जिससे रोगी को बहुत मदद मिलती है।
इंग्लैंड के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि जून 2024 में इस देश में 487 हज़ार से ज्यादा लोग किसी न किसी तरह से डिमेंशिया से पीड़ित थे।
इस संबंध में गार्जियन पत्रिका ने लिखा: इंग्लैंड में डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की संख्या पिछले साल जनवरी की तुलना में 12 प्रतिशत बढ़ गई है।
इंग्लैंड में डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि एक राष्ट्रीय संकट है और इस देश की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के लिए एक चेतावनी समझा जा रहा है जिसकी वजह से वर्तमान समय में चिकित्सा देखभाल की लागत का दबाव बढ़ रहा है।
"डिमेंशिया" के बारे में ब्रिटिश संसद के प्रतिनिधियों के एक ग्रुप की रिपोर्ट, इन रोगियों के प्रति भेदभाव का संकेत देती है जिससे 1 लाख 15 हजार से अधिक पीड़ित, इस देश के वंचित क्षेत्रों में रहने की वजह से बीमारियों की पहचान और इलाज से भी वंचित हो गये हैं।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि संरचनात्मक बाधाएं, सांस्कृतिक अंतर, पारिवारिक डॉक्टरों के कार्यालयों में जाने में अंतर, लंबी याददाशत चेकिंग समय, रोगी की पहचान करने के बाद समर्थन की कमी, स्कैनिंग उपकरणों की कमी जैसी चीजें इन भेदभावों की अहम वजहें हैं।
डिमेंशिया नर्सिंग यूके ने हाल ही में एलान किया था कि इस देश में 10 में से एक मौत, डिमेंशिया और अल्ज़ाइमर की वजह से होती है।
दुनिया भर में 50 मिलियन से अधिक लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं जिसकी संख्या 2050 तक 15 करोड़ 30 लाख या 153 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है।
डिमेंशिया की बड़ी संख्या और इस हाई टेंशन बीमारी से जूझने वाले देशों में इंग्लैंड, अमेरिका और कनाडा जैसे देशों का नाम लिया जा सकता है।