ज़ायोनी शासन कोई सरकार नहीं यह अपराधियों और आतंकवादियों का एक गैंग है

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ज़ायोनी शासन कोई सरकार नहीं यह अपराधियों और आतंकवादियों का एक गैंग है

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने देश के राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान को राष्ट्रपति चुनाव में मिलने वाले जनादेश को अनुमोदित करने और उन्हें राष्ट्रपति पद का आदेशपत्र देने के कार्यक्रम के बाद अपने संबोधन में अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन की क्रूर कार्रवाइयों का उल्लेख किया और उसे अपराधी, हत्यारा और आतंकवादी गैंग क़रार दिया।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली खामेनेई ने रविवार की सुबह एक कार्यक्रम के दौरान संविधान के अनुच्छेद 110, की धारा 9 के आधार पर निर्वाचित राष्ट्रपति डॉक्टर मसऊद पिज़िश्कियान को राष्ट्रपति चुनाव में मिलने वाले जनादेश को अनुमोदित किया और उन्हें राष्ट्रपति पद का आदेशपत्र दिया।

जनादेश को अनुमोदित करने के बाद आयातुल्लाह ख़ामेनेई ने स्पष्ट किया: ज़ायोनी शासन एक सरकार नहीं है, बल्कि उसने दुनिया के सामने एक आपराधिक गिरोह का सबसे घिनौना चेहरा पेश किया है और मानव अपराधों के इतिहास में एक नया मानक और मापदंड बनाया है।

ग़ज़ा में बड़ी संख्या में शिशुओं, बच्चों, अस्पतालों में मरीजों और महिलाओं की शहादत की ओर इशारा करते हुए इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा: उन लोगों पर भारी ज़ायोनी बम गिराए जा रहे हैं जिन्होंने एक भी गोली नहीं चलाई।

सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने ग़ज़ा के विषय को एक वैश्विक मुद्दा क़रार दिया और कहा: फ़िलिस्तीन कभी सिर्फ़ मुस्लिम दुनिया के देशों का मुद्दा था, लेकिन आज यह एक सार्वजनिक और वैश्विक मुद्दा है जो अमेरिकी कांग्रेस, संयुक्त राष्ट्र संघ, ओलंपिक और दूसरे सभी इलाक़ों तक फैला हुआ है।

प्रतिरोध की ताक़त में निरंतर वृद्धि की ओर इशारा करते हुए सुप्रीम लीडर का कहना था: ज़ायोनी, अमेरिका और कुछ विश्वासघाती सरकारों की भरपूर मदद से, प्रतिरोधकर्ताओं को ख़त्म करने में कामयाब नहीं हुए, और हमास को ख़त्म करने का उनका घोषित लक्ष्य है भी नाकाम जबकि हमास, जिहादे इस्लामी और प्रतिरोध, पूरी ताकत से डटा हुआ है।

उन्होंने दो दिन पहले एक ज़ायोनी अपराधी की अपनी बातों पर अड़े रहने पर अमेरिकी कांग्रेस की कार्रवाई को बहुत बड़ा कलंक का टीका क़रार दिया और जोर दिया: पूरी दुनिया को ग़ज़ा की घटनाओं के बारे में गंभीर निर्णय लेना चाहिए और सरकारों, राष्ट्रों और राजनीतिक व बौद्धिक हस्तियों को विभिन्न क्षेत्रों और मैदानों में कुछ करना चाहिए।

सुप्रीम लीडर ने विदेश नीति के विषयों के संबंध में ईरान की नई सरकार को सलाह दी: वैश्विक और विशेष रूप से क्षेत्रीय घटनाओं और राजनीतिक और यहां तक ​​कि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस जैसे वैज्ञानिक मुद्दों के सामने निष्क्रिय न हों बल्कि सक्रिय और प्रभावी ढंग से इन मुद्दों से निपटें।

सुप्रीम लीडर ने इस बात की ओर इशारा करते हुए कि दुनिया और क्षेत्र की घटनाओं की अनदेखी करना और उनसे निश्चेत रहना, जाएज़ नहीं है, कहा: हर घटनाओं के बारे में देश की नीति को पूरे स्पष्ट तरीक़े से और संयमित ढंग से बयान किया जाना चाहिए ताकि दुनिया ईरान की स्थिति को बेहतर तरीक़े से जान सके।

उन्होंने ईरान की विदेश नीति की प्राथमिकताओं को बयान करते हुए कई देशों के साथ पड़ोस में स्थित होने को ईरान की एक ख़ासियत क़रार दिया और पड़ोसियों के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए काम करने और गंभीर प्रयास करने को ज़रूरी बताया।

उन्होंने कहा: विदेश नीति की एक अन्य प्राथमिकता, अफ़्रीक़ी और एशियाई जैसे देशों के साथ संपर्क और संचार है जो ईरान के राजनयिक क्षेत्र को विस्तृत कर सकते हैं।

आयतुल्लाह खामेनेई ने ईरान की विदेश नीति की एक और प्राथमिकता, उन देशों के साथ संबंधों का विस्तार और मज़बूती क़रार दिया है जिन्होंने दबाव की हालत में ईरान का समर्थन किया और राजनयिक और आर्थिक क्षेत्र में तेहरान की मदद की।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने इस संबंध में कहा: यह बात कि मैंने विदेश नीति की प्राथमिकताओं में यूरोपीय देशों का नाम नहीं लिया, इसका मतलब विरोध और दुश्मनी नहीं है, बल्कि इसकी वजह यह है कि उनके प्रतिबंधों, तेल और मानवाधिकार जैसे फ़र्ज़ी मामलों जैसे मुद्दों पर ईरान के साथ अच्छे रवैये नहीं रहे हैं, अगर उनके यह बुरे बर्ताव न होते, तो उनके साथ संचार और संपर्क हमारी प्राथमिकताओं में होते, बेशक, कुछ ऐसे भी देश हैं जिनका दुश्मनीपूर्ण रवैया और उनका परेशान करना, हम कभी भी नहीं भूल सकते।

 

 

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