संयुक्त राष्ट्रसंघ में ईरान के स्थाई प्रतिनिधि व राजदूत ने सुरक्षा परिषद के नाम एक पत्र लिखकर ईरान विरोधी आरोपों को रद्द करते हुए कहा है कि अमेरिका क्षेत्र और विश्व में आतंकवाद का मूल समर्थक और प्रसारक है।
8 अगस्त 2024 को सुरक्षा परिषद की खुली बैठक में अमेरिकी राजदूत ने रूसी राजदूत के बयानों के जवाब में इस्लामी गणतंत्र ईरान के ख़िलाफ़ आतंकवाद के संबंध में निराधार आरोप लगाया और अनुचित बातें कहीं।
राष्ट्रसंघ में ईरान के राजदूत अमीर सईद एरवानी ने सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष और राष्ट्रसंघ के महासचिव के नाम पत्र में अमेरिका के आरोपों के बारे में कहा कि ईरान कड़ाई से इन निराधार आरोपों का खंडन और उसकी भर्त्सना करता है। उन्होंने कहा कि यह हास्यास्पद और शर्म की बात है कि अमेरिका ऐसी स्थिति में ईरान पर आरोप लगा रहा है जब वह नस्ली सफ़ाया करने वाली ज़ायोनी सरकार का मुखर समर्थक है और बहुत सारे हथियारों को ज़ायोनी सरकार को दे रहा है ताकि वह फ़िलिस्तीन के बच्चों और महिलाओं सहित निर्दोष लोगों की हत्या व नरसंहार को जारी रख सके और ग़ज़ा पट्टी में हिंसा, रक्तपात और भय को अधिक लंबा कर सके।
राष्ट्रसंघ में ईरानी राजदूत ने कहा कि ज़ायोनी सरकार के हालिया अपराध में कम से कम 100 फ़िलिस्तीनी शहीद हो गये। राष्ट्रसंघ में ईरानी राजदूत ने कहा कि जारी महीने की 10 तारीख़ को यानी 10 अगस्त को ज़ायोनी सरकार ने ग़ज़ा के केन्द्र में स्थित ताबेईन स्कूल पर हमला किया जिसमें कम से कम 100 फ़िलिस्तीनी शहीद हो गये। शहीद होने वालों में सबसे अधिक संख्या बच्चों और महिलाओं की थी और यह किसी प्रकार के चूं- चेरा के बिना अमेरिकी समर्थन का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त अमेरिका उन आतंकवादी गुटों का समर्थन करता है जिन्हें राष्ट्रसंघ आतंकवादी मानता है जैसे सीरिया में नुस्रा फ्रंट और यह कार्य राष्ट्रसंघ के घोषणापत्र का खुला उल्लंघन है।
इसी प्रकार अमेरिका का यह काम अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का भी खुला उल्लंघन है और यह इस वास्तविकता का एक अन्य प्रमाण है कि अमेरिका क्षेत्र में आतंकवाद का अस्ली व मूल समर्थक है और इस प्रकार के काले अतीत के साथ अमेरिका इस लाएक़ नहीं है कि वह दूसरों पर आरोप लगाये या राष्ट्र संघ के दूसरे सदस्यों को नसीहत करे।
संयुक्त राष्ट्रसंघ में ईरान के राजदूत ने सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के नाम अपने पत्र में मांग की है कि एक प्रमाण के रूप में इस पत्र को सुरक्षा परिषद में दर्ज करके इसका वितरण किया जाये।