अमेरिका अगर ग़ज़ा युद्ध को समाप्त करना चाहता होता तो 20 अरब डॉलर का हथियार इस्राईल को न देता

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अमेरिका अगर ग़ज़ा युद्ध को समाप्त करना चाहता होता तो 20 अरब डॉलर का हथियार इस्राईल को न देता

अब्दुलबारी अत्वान ग़ज़ा युद्ध के संघर्ष विराम के मुक़ाबले में अरब देशों के रवइये और क्रियाकलापों की समीक्षा करते हैं और वह मिस्र और क़तर जैसे देशों की भूमिका की तीव्र आलोचना करते और कहते हैं कि इन देशों ने किसी प्रकार की शर्त के बिना वार्ता की यहां तक कि इसके बाद नेतनयाहू ने जानबूझकर ग़ज़ा के अद्दरज मोहल्ले में अपराध अंजाम दिया।

अब्दुल बारी अत्वान ने रायुल यौम समाचार पत्र में हमास आंदोलन के नेता यहिया सिन्वार के दोहा वार्ता के बहिष्कार पर आधारित साहसी फ़ैसले की समीक्षा की। पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने अपने लेख में लिखा कि यहिया सिन्वार का फ़ैसला विदेशी दबावों के मुक़ाबले में हमास के मज़बूत व ठोस दृष्टिकोण का सूचक है।

इसी प्रकार उन्होंने हमास आंदोलन के फ़ैसले को अमेरिका और मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले अरब देशों के दबाव की नाकामी का सूचक बताया।

उन्होंने कहा कि यह वार्ता अमेरिका की गुप्तचर सेवा सीआईए के प्रमुख विलियम बेन्ज़ की अगुवाई में हुई और इस वार्ता का आयोजन उतावलेपन में किया गया और उसका लक्ष्य तेहरान में हमास के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख इस्माईल हनिया की शहादत और बैरूत में लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के एक वरिष्ठ कमांडर फ़ोवाद शुक्र की हत्या का बदला लेने से रोकना था पर उसका कोई नतीजा नहीं निकला क्योंकि नेतनयाहू ने जानबूझकर यह कृत्य अंजाम दिया ताकि वह इस रास्ते से क्षेत्र में युद्ध की आग को हवा दे सकें और साथ ही नेतनयाह अमेरिका और पश्चिमी घटकों को भी इस जंग में घसीटना चाहते थे।

अब्दुल बारी ने लिखा कि यहां तक कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन भी जंग रुकवाने के प्रयास में नहीं हैं और उनके अंदर नेतनयाहू और उनके मंत्रिमंडल पर दबाव डालने का साहस नहीं है और वह अपमान जनक ढंग से नेतनयाहू की मांगों को स्वीकार कर लेते हैं और अभी हाल ही में उन्होंने 20 अरब डॉलर का सैनिक पैकेज इस्राईल की सहायता के लिए दिया तो उसे इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है। इस पैकेज में एफ़ 35 युद्धक विमान, अधिक शक्तिशाली और विनाशकारी बम आदि शामिल है।

अब्दुल बारी अत्वान आगे लिखते हैं हमास आंदोलन के राजनीतिक कार्यालय के नेता यहिया सिन्वार ने अपने क्रियाकलापों से साबित कर दिया है कि वह अमेरिका और ज़ायोनी सरकार से बिल्कुल नहीं डरते हैं और जो अरब नेता अमेरिका और इस्राईल की धौंस में आकर उनके सामने नतमस्तक हो गये हैं उस पर वे ध्यान नहीं देते हैं और वे ज़ायोनियों का जवाब सैनिक और ताक़त की भाषा में दे रहे हैं।

अब्दुल बारी अत्वान ने लिखा कि नेतनयाहू समझते हैं कि ग़ज़्ज़ा के अद्दरज मोहल्ले में स्थित स्कूल पर बमबारी करके और इस्माईल हनिया को शहीद करके प्रतिरोध को डरा सकते हैं और फ़िलिस्तीन के साथ मिस्र की सीमा पर सलाहुद्दीन क्षेत्र में अपने अतिक्रमणकारी सैनिकों को रख सकते हैं और जिस समय चाहें दोबारा ग़ज़्ज़ा पट्टी पर हमला कर सकते हैं। इसी प्रकार वह फ़िलिस्तीनी संघर्षकर्ताओं पर अपनी दूसरी शर्तों को थोपना चाहते हैं परंतु उनकी सोच का उल्टा परिणाम निकला। जिसका जीवंत उदाहरण यह है कि हमास ने दोहावार्ता में भाग नहीं लिया। दूसरे शब्दों में अमेरिका और इस्राईल हमास पर अपनी शर्तों को नहीं थोप सकते और 10 महीनों से जारी युद्ध भी इस बात का कारण नहीं बन सका कि फ़िलिस्तीनी संघर्षकर्ता गुट हमास ग़ज़ा युद्ध में इस्राईल को कोई विशिष्टता दे जबकि इससे पहले जो कैंप डेविड और ओस्लो में समझौते हुए थे वे कुछ ही दिनों में या कुछ ही घंटों के अंदर हुए थे।

 इसी प्रकार उन्होंने इस ओर संकेत किया कि इस वार्ता में अरब देशों की ख़ुफ़िया सेवाओं के प्रमुख अमेरिकी मांगों के सामने झुक गये हैं और इस झुक जाने को उन्होंने ज़ायोनी सरकार को अपरोधों को जारी रखने हेतु प्रोत्साहन के रूप में याद किया। उन्होंने अरब देशों के नेताओं का आह्वान किया है कि वे उपलब्धियों को ध्यान में रखकर और बुद्धि से काम लेकर बात करें और नेतनयाहू और उनके जनरलों की सेवा करने से परहेज़ करें। इसी प्रकार अब्दुलबारी अत्वान ने लिखा कि अरब नेता इस्राईल की खाद्य ज़रूरतों को पूरा करके करके उनकी सेवा न करें विशेषकर इसलिए कि वे ग़ज़ा पट्टी के लोगों के लिए एक पैकेट आटा, पानी का एक बोतल और इसी प्रकार एक कार्टून दवा नहीं भेज सकते।

उन्होंने लिखा कि अमेरिका अरब देशों के नेताओं के साथ बच्चों जैसा व्यवहार व बर्ताव कर रहा है और बड़ी आसानी से उन्हें मूर्ख बना रहा है।

उन्होंने लिखा कि अमेरिका ने क्षेत्र में युद्धपोत भेजा और परमाणु पनडुब्बी भेजी परंतु यमनी उससे भयभीत नहीं हुए। उन्होंने हमास के राजनीतिक कार्यालय के नये प्रमुख की प्रशंसा व सराहना करते हुए लिखा कि यहिया सिन्वार को हक़ है कि वह निश्चिंत होकर ग़ज़ा के नीचे से मोहम्मद ज़ैफ़ और मरवान ईसा जैसे अपने सहायकों के माध्यम से हालात का संचालन व दिशा निर्देशन करें और मेरे विचार में यहिया सिन्वार न केवल फ़िलिस्तीनी जनता बल्कि अरब जगत के मार्गदर्शन व नेतृत्व की क्षमता रखते हैं।

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