इस्राईलियों के लिए सबसे भयानक सपना, वेस्ट बैंक में नरक के द्वार का खुलना है।
कड़ी निगरानी और सुरक्षा के बावजूद, इस्राईली सुरक्षा बल अवैध बस्तियों में बसने वाले सैटलर्स को सुरक्षा प्रदान नहीं कर पा रहे हैं। इस्राईली सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान और इस्लामी रेज़िस्टेंस, रिंग ऑफ़ फ़ायर की रणनीति पर चल रहे हैं, ताकि इस्राईल को युद्ध के कई मोर्चों पर फंसाया जा सके।
इस रिंग की पहली कड़ी में बेस्ट बैंक और ग़ज़ा में स्थित वह गुट आते हैं, जो ज़ायोनी शासन और सैटलर्स के ख़िलाफ़ प्रतिरोध कर रहे हैं और उनके लिए माहौल को असुरक्षित बना रहे हैं। युद्धविराम वार्ता के दौरान नेतनयाहू की नकारात्मक और ग़ैर-रचनात्मक स्थिति स्पष्ट होने के बाद, इस्लामिक आंदोलन हमास और इस्लामिक जिहाद ने क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों में अपनी पूरी ताक़त से अभियान शुरू कर दिया और नेतनयाहू को राजनीतिक वार्ता से पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया।
ज़ायोनी शासन की सेना और सुरक्षा बलों ने वेस्ट बैंक के उत्तर में सैन्य-नागरिक लक्ष्यों के ख़िलाफ़ एक पूर्वव्यापी और त्वरित अभियान शुरू किया। ऐसे में कुछ विश्लेषक इस सवाल का जवाब तलाश कर रहे हैं कि क्या वेस्ट बैंक में युद्धक्षेत्र के विस्तार के साथ ज़ायोनी पूर्वी मोर्चे पर प्रतिरोध का सामना करने के लिए तैयार हैं?
इस्राईल के विदेश मंत्री इज़रायल काट्ज़ ने अपने एक ट्वीट में दावा किया कि जॉर्डन से वेस्ट बैंक तक हथियारों की तस्करी की प्रक्रिया ने इस सेना के हस्तक्षेप की आवश्यकता बढ़ा दी है है। इसी तरह से उन्होंने ईरान पर आरोप लगाते हुए दावा किया कि तेहरान, पूर्वी मोर्चे पर युद्ध शुरू करने की योजना बना रहा है। काट्ज़ ने वेस्ट बैंक में मौजूदा सुरक्षा स्थिति का हवाला देते हुए ग़ज़ा की तरह, वेस्ट बैंक से नागरिकों को निकालने का आह्वान भी किया।
इस तरह के दावों से पता चलता है कि ज़ोयनी शासन, वेस्ट बैंक में राजनीतिक और सुरक्षा की मौजूदा स्थिति को बदलने की तैयारी कर रहा है।
अगस्त के आखिरी दिनों में प्रतिरोधी अभियानों के दायरे में वृद्धि के संबंध में ख़ालिद मशल के ख़ुलासे के कुछ ही घंटों के बाद, ज़ायोनी सेना ने उत्तरी वेस्ट बैंक पर हमला कर दिया। नूर अल-शम्स, जेनिन, तुलकेरम और नाब्लुस क्षेत्र ज़ायोनी सेना के हालिया हमलों में निशाना बने हैं।
फ़िलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस हमले में कम से कम 10 फ़िलिस्तीनी शहीद गए, जिनमें वेस्ट बैंक में इस्लामिक जिहाद के मुख्य कमांडरों में से एक मोहम्मद जाबेर भी शामिल थे। यह खुली आक्रामकता तब हो रही है, जब इस क्षेत्र में फ़िलिस्तीनी हितों के तथाकथित रक्षक के रूप में फ़िलिस्तीनी अथॉर्टि ने उसके ख़िलाफ़, थोड़ा सा भी प्रतिरोध नहीं दिखाया है, बल्कि वह नेतनयाहू के सहयोगी की तरह काम कर रही है।
इस्राईल ने बाइडन के तीन-चरणीय प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, जिसके बाद हमास और फ़िलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद आंदोलन ने इस शासन के हितों के ख़िलाफ़ अभियान के रूप में दक्षिणी तेल-अवीव पर हमला किया।
30 अगस्त को, हमास ने दो कार बम धमाकों में कई ज़ायोनी बलों को गंभीर रूप से घायल कर दिया। इन सफल अभियानों के बाद, इस फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधी समूह ने चेतावनी दी कि अगर नेतनयाहू की आक्रामक नीति जारी रही, तो ऐसी कार्यवाहियां अधिक गंभीरता के साथ दोहराई जाएंगी।
उसके कुछ ही घंटों के बाद, हेब्रोन में एक अन्य आत्मघाती हमले में 3 ज़ायोनी सुरक्षा बल मारे गए। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि तेहरान में इस्माईल हनिया की हत्या के बाद, इस्लामिक आंदोलन हमास और इस्लामिक जिहाद ने पूरे क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों में असुरक्षा के बदले असुरक्षा का समीकरण बनाने का फ़ैसला किया है। इस रणनीति के तहत तेहरान ने हनिया की हत्या के बदले के वादे के साथ अर्ध-कठिन युद्ध शुरू कर दिया है।
तीसरे इंतिफ़ादा की शुरुआत के साथ, "पत्थर" अब प्रतिरोध का एकमात्र हथियार नहीं रह गया है।
आर्थिक संकेतकों की गिरावट, अंतर्राष्ट्रीय सहमति और क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों में सार्वजनिक सुरक्षा का नुक़सान, ज़ायोनियों को 1987-1993 और 2000-2005 में फ़िलिस्तीनियों के विद्रोह की याद दिलाता है। उस समय इस संकट से निकलने के लिए, ज़ायोनियों को दूसरे पक्ष को कुछ रियायतें देनी पड़ीं थीं, चाहे वह दिखावा ही क्यों नहीं था।
अब, ग़ज़ा युद्ध की शुरूआत के कई महीनों के बाद, बेन गुविर द्वारा अल-अक्सा मस्जिद को बार-बार निशाना बनाए जाने और क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों के उत्तर में इस्राईली सेना के हमलों ने फ़िलिस्तीनियों के इंतेफ़ाज़ा की संभावना को पहले से कहीं अधिक बढ़ा दिया है। पूर्वी मोर्चे के खुलने का मतलब, पत्थरों या लाठियों के माध्यम से लोगों का प्रतिरोध नहीं है, बल्कि आज प्रतिरोध स्वचालित हथियारों जैसे विभिन्न उन्नत हथियारों से जवाब देने की क्षमता रखता है।
बड़ा दुःस्वप्न
ज़ायोनियों का सबसे बड़ा दुःस्वप्न वेस्ट बैंक में नरक के द्वार खुलना है। हालांकि यह फ़िलिस्तीनी क्षेत्र तीन क्षेत्रों "ए", "बी" और "सी" में विभाजित है। ज़ायोनी सैनिक, इन इलाक़ो में सभी ज़ायोनी आक्रमणकारियों का बचाव नहीं कर सकते हैं और प्रतिरोधियों की आसानी से पहचान नहीं कर सकते हैं।
तेल अवीव, गोश एट्ज़ियन, कर्मी तज़ूर और अल-ख़लील के अभियानों में तेल अवीव के लिए यह संदेश है कि प्रतिरोध बंद नहीं होगा और क़ब्ज़ा करने वालों का सामना करने के तरीक़े समय, स्थान और संभावना के अनुसार बदल जाएंगे।
नेतनयाहू को सत्ता में बने रहने के लिए ग़ज़ा युद्ध जारी रखने या संकट को क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों से बाहर ले जाने के अलावा, कोई दूसरा रास्ता खोजना होगा, क्योंकि इस जोखिम भरे खेल में, सीधे ज़ायोनी शासन की आंतरिक सुरक्षा निशाना बन सकती है।