ईरान ने तेल टैंकरों के युद्ध में इज़राइल, इंग्लैंड और अमेरिका हराया?

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ईरान ने तेल टैंकरों के युद्ध में इज़राइल, इंग्लैंड और अमेरिका हराया?

खुले पानी में ईरान और ज़ायोनी शासन के बीच एक ख़ामोश और निर्णायक लड़ाई जारी थी, एक ऐसी लड़ाई जिसका मुख्य निशाना ईरानी तेल ले जाने वाले तेल टैंकर थे।

ईरानी जहाजों पर ज़ायोनी शासन के गुप्त हमलों की वजह से, ईरान समुद्र में एक अनौपचारिक और भूमिगत युद्ध में दाख़िल हो गया, एक ऐसा युद्ध जिसने अंततः अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में ईरान की सर्वोच्च प्रतिरोधक क्षमता को दुनिया के सामने ज़ाहिर कर दिया।

आप ख़ुद ही सोचिए, खुले पानी में बीचो बीच, ईरानी तेल ले जाने वाले विशाल जहाज़ धीरे-धीरे अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे हैं और उन्हें इस बात की भनक भी नहीं थी कि छिपे हुए दुश्मन, उन्हें निशाना बना सकते हैं।

अचानक एक के बाद एक ये जहाज रहस्यमय तरीक़े से दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। 14 ईरान के तेल जहाजों या टैंकरों को निशाना बनाया गया जबकि शुरुआत में किसी को नहीं पता कि इन रहस्यमय हमलों के पीछे कौन है? लेकिन रिवोल्यूशनरी गार्ड या आईआरजीसी तुरंत सक्रिय हो गया और इन घटनाओं के अपराधियों का पता लगाने में जी जान लगा दी।

थोड़ी देर की ही खोजबीन और जांच पड़ताल के बाद, आईआरजीसी ने आख़िरकार इस रहस्य का ख़ुलासा किया, इन हमलों का मुजरिम ज़ायोनी शासन है।

जटिल और रहस्यमय रणनीति के साथ, उनका इरादा ईरानी तेल के निर्यात को रोकना था और शायद ईरान को एक कठिन आर्थिक स्थिति में फंसा देना था लेकिन यह इस कहानी का केवल एक ही रुख़ था, दूसरा रूख़ ईरान की त्वरित और निर्णायक जवाबी कार्यवाही थी।

इन हमलों पर आईआरजीसी का पहला जवाबी हमला, ज़ायोनी शासन के तेल टैंकरों पर गोलीबारी था। एक के बाद एक, इस शासन के जहाजों को निशाना बनाया गया लेकिन तभी एक निर्णायक और अहम घड़ी आ पहुंची, जब ईरान ने ज़ायोनी शासन के पांचवें जहाज़ को निशाना बनाया।

यहीं से खेल बदल गया, ज़ायोनियों ने जिन्हें तुरंत ही ईरान की जवाबी कार्यवाही की गंभीरता और ताक़त का एहसास हो गया, पीछे हटना शुरू कर दिया और आख़िरकार टैंकर युद्ध रोकने का एलान कर दिया।

लेकिन कहानी यहीं पर ख़त्म नहीं हुई। इसी बीच एक दिन ख़बर आई कि जिब्राल्टर में ब्रिटेन ने ईरानी तेल के एक जहाज़ को जब्त कर लिया है।

इस कार्रवाई पर ईरान की प्रतिक्रिया भी तीखी और समय पर ही थी, ब्रिटेन के स्वामित्व वाले स्टिना इम्पेरो जहाज़ को ईरान ने तुरंत ज़ब्त कर लिया।

इस कार्यवाही के तुरंत बाद ब्रिटेन मैदान छोड़कर पीछे हट गया और घुटने टेककर ईरानी जहाज को छोड़ने पर मजबूर हो गया, ग्रीस में भी पश्चिमी दुश्मन ने यही खेल दोहराया।

जब ग्रीस में दो ईरानी जहाजों को ज़ब्त कर लिया गया, तो ईरान ने भी दो ग्रीक जहाज़ों को ज़ब्त कर लिया जिसके बाद सामने वाला पक्ष पीछे हटने पर मजबूर हो गया।

लेकिन शायद इस कहानी का सबसे दिलचस्प हिस्सा वह क्षण था जब अमेरिका ने वेनेज़ुएला जा रहे ईरानी तेल टैंकरों को ज़ब्त करने की धमकी दी थी।

आईआरजीसी के कमांडर जनरल हुसैन सलामी, आईआरजीसी की नौसेना के कमांडर जनरल तांगसीरी के साथ व्यक्तिगत रूप से घटनास्थल पर पहुंचे।

उन्होंने एक अमेरिकी टैंकर को पकड़ने के लिए एक जाली ऑपरेशन तैयार किया, फिर उन्होंने वायरलेस से एलान किया कि वे अमेरिकी टैंकरों को ज़ब्त करने के लिए तैयार हैं।

नतीजा यह हुआ कि अमेरिकी, जो ईरान की गंभीरता और तत्परता से आश्वस्त थे, अपनी धमकियों से पीछे हट गए और ईरानी तेल टैंकर सुरक्षित रूप से अपने गंतव्य तक पहुंच गए।

ये साहसिक कार्यवाही एक बड़ी लड़ाई का ही हिस्सा थी, एक ऐसी लड़ाई जिसमें ईरान अपने दुश्मनों के खुले और छिपे खतरों के सामने खड़ा हुआ है और पूरी सतर्कता तथा मज़बूती के साथ अपनी शिपिंग लाइनों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है। एक ऐसी कहानी जिसने ज़ाहिर कर दिया कि समुद्र भी एक ख़ामोश युद्धक्षेत्र हो सकता है, लेकिन इन लड़ाइयों में इच्छाशक्ति और दृढ़ता का ही बोलबाला होता है।

पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार, आपने जो कहानी पढ़ी, वह इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स आईआरजीसी के कमांडर-इन-चीफ़ मेजर जनरल हुसैन सलामी ने अपने शब्दों में बयान की थी। उन्होंने यह कहानी राष्ट्रपति श्री मसऊद पिज़िश्कियान की खातमुल-अंबिया सैन्य छावनी के कमांडरों से मुलाक़ात के दौरान बयान की थी। इस बैठक में उन्होंने हालिया वर्षों में ईरान के सामने आने वाली चुनौतियों और संघर्षों के बारे में विस्तार से बताया था जिसमें तेल टैंकरों का युद्ध और अमेरिका, इज़राइल और इंग्लैंड के प्रतिबंधों और धमकियों से निपटने की कोशिशें भी शामिल हैं।

 

 

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