इस्राईल के एक आयरन डोम को तबाह करने में लेबनान के हिज़्बुल्लाह को मिलने वाली नई कामयाबी

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इस्राईल के एक आयरन डोम को तबाह करने में लेबनान के हिज़्बुल्लाह को मिलने वाली नई कामयाबी

लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह ने एक बयान जारी करके बताया है कि ड्रोन हमला करके उसने ज़ायोनी सरकार के एक आयरन डोम को तबाह कर दिया है।

लेबनान के हिज़्बुल्लाह आंदोलन ने एक बयान जारी करके कहा है कि उसके ड्रोन विमानों ने अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन के उत्तर में स्थित अज़्ज़ाऊरा क्षेत्र में ज़ायोनी सैनिकों के ठिकाने को लक्ष्य बनाया। पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के बयान के अनुसार इस हमले में ज़ायोनी सरकार को जानी नुकसान पहुंचा है और इस्राईली सेना का आयरन डोम भी तबाह हो गया।

हिज़्बुल्लाह ने सात अक्तूबर 2023 से ग़ज़ा युद्ध के आरंभ होने के समय से अतिक्रमणकारी ज़ायोनी दुश्मन के ख़िलाफ़ विस्तृत पैमाने पर कार्यवाही आरंभ कर रखी है। उत्तरी मोर्चे पर युद्ध आरंभ होने से इस्राईल अपने एक तिहाई सैनिकों को लेबनान की सीमा पर तैनात करने पर मजबूर हो गया है। हिज़्बुल्लाह ने अपने बयान में बल देकर कहा है कि ज़ायोनी सरकार ने दक्षिणी लेबनान के गांवों व नगरों पर जो हमला किया था यह हमला उसके जवाब में किया गया है।

ज़ायोनी सरकार ने पश्चिमी देशों के व्यापक समर्थन से 7 अक्तूबर 2023 से ग़ज़ा पट्टी और पश्चिमी किनारे पर फ़िलिस्तीन के मज़लूम लोगों के ख़िलाफ़ व्यापक युद्ध आरंभ कर दिया है परंतु अब तक घोषित लक्ष्यों में से किसी भी एक लक्ष्य को वह हासिल नहीं कर सकी है।

इसके मुक़ाबले में ग़ज़ा में फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध और लेबनान, इराक़, यमन और सीरिया के प्रतिरोधकों गुटों ने एलान कर रखा है कि वे अतिग्रहणकारी इस्राईल के अपराधों का बदला लेकर रहेंगे।

प्राप्त ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार इस्राईल के पाश्विक हमलों में अब तक शहीद होने वाले फ़िलिस्तीनियों की संख्या 40 हज़ार से अधिक हो चुकी है जबकि घायलों की संख्या भी 94 हज़ार से अधिक हो चुकी है।

ज्ञात रहे कि ब्रिटेन की साम्राज्यवादी नीति के तहत ज़ायोनी सरकार का ढांचा वर्ष 1917 में ही तैयार हो गया था और विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों से यहूदियों व ज़ायोनियों को लाकर फ़िलिस्तीनियों की मातृभूमि में बसा दिया गया और वर्ष 1948 में ज़ायोनी सरकार ने अपने अवैध अस्तित्व की घोषणा कर दी। उस समय से लेकर आजतक विभिन्न बहानों से फ़िलिस्तीनियों की हत्या, नरसंहार और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा यथावत जारी है।

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