आज तेहरान के मोसल्लाह मस्जिद ए इमाम खुमैनी (रह.) में रहबर-ए-इंक़लाब इस्लामी आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई की इमामत में जुमआ की नमाज़ अदा की जा रही है।
आज तेहरान के मोसल्लाह मस्जिद ए इमाम खुमैनी (रह.) में रहबर-ए-इंक़लाब इस्लामी आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई की इमामत में जुमआ की नमाज़ अदा की जा रही है।
यह ध्यान देने योग्य है कि गाज़ा और लेबनान पर ज़ायोनी सरकार के आक्रमण में वृद्धि और सैयद हसन नसरुल्लाह तथा अन्य प्रतिरोधी नेताओं की शहादत के बाद रहबर-ए-इंक़लाब इस्लामी की इमामत में जुमआ की नमाज़ को विशेष महत्व दिया जा रहा है।
नमाज़ से पहले नमाज़ियों के विशाल समूह ने अल्लाह की राह में अपने प्राणों की कुर्बानी देने वाले जिहादियों और इस्लामी उम्माह के प्यारे शहीद हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद हसन नसरुल्लाह और उनके साथियों जिसमें शहीद सरदार फरौशन भी शामिल हैं की याद में एक शोक सभा आयोजित की गई और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इस सभा में तीनों सरकारी प्रमुखों के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण सैन्य और नागरिक अधिकारी भी महान जिहादी और प्रतिरोध के प्रतीक, शहीद हसन नसरुल्लाह की याद में शामिल हुए।
सभा की शुरुआत कुरआन की आयात की तिलावत से हुई जिसके बाद अहमद बाबाई ने शहीद हसन नसरुल्लाह और उनके बहादुर साथियों की शान में भावुक शायरी पेश की। इसके बाद बहरैन के मशहूर सिपाही हुसैन अलअकरफ ने जोश भरे अंदाज़ में मदीह पढ़ी, जिसके दौरान जोशीला नारा मस्जिद के आंगन में गूंज उठी।
इसके बाद मशहूर मद्दाह ख़्वान मेंहदी रसूली ने मदीह पढ़ी जिसमें नमाज़ियों ने अपने हाथों को बंद करके ऊपर उठाया और पूरे जोश के साथ खैबर खैबर या हैदर और लानत अल्लाह की य इस्राईल पर जैसे नारों से वातावरण गूंज उठा।
इस अवसर पर मोहम्मद रसूलि ने भी एक प्रभावशाली कविता पेश की,अगर दुनिया भी तुम्हारे पीछे हो हमारे पास पंजतन पाक का सहारा है।
यह भव्य सभा शहादत, प्रतिरोध और उम्माह की एकता के जज़्बे का प्रतीक बनकर भाग लेने वालों के दिलों में एक नया हौसला और आत्मविश्वास पैदा कर रही है।