क़तर में शरण लिये हुए नॉटो मुफ़्ती के नाम से मशहूर यूसुफ़ क़रज़ावी नें मिस्र पहुँचने पर पश्चिमी देशों से मिस्र में हस्तक्षेप करने की मांग की है। क़रज़ावी अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद मुरसी का समर्थन कर रहा है। क़रज़ावी नें मुसलमानों से भी मांग की है कि वह मिस्र में होने वाली घटनाओं पर चुप न बैठें। क़रज़ावी नें जामिया अलअज़हर के शेख़ की भी कड़ी आलोचना की जिसने मुरसी के पद से हटाये जाने के बारे में मिस्री फ़ौज का समर्थन किया था। क़रज़ावी के हिंसक बयानों पर जामिया अल अज़हर के उल्मा नें एक मीटिंग बुलाई है। मोहम्मद मुरसी को क़तर की सरकार का समर्थन प्राप्त था जबकि मिस्र की अबवरी सरकार मिस्र की फ़ौज को सऊदी अरब और एमारात का पूरी तरह से समर्थन प्राप्त है। सूत्रों के अनुसार फ़ार्स की खाड़ी की अरब सरकारें मिस्र के विषय में दो भागों में बँटी हुई हैं और क़तर को इस समय मिस्र के सिलसिले में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा है। क़तर और सऊदी अरब दोनों देशों को अमरीका का ग़ुलाम माना जाता है लेकिन क्षेत्र में अमरीका की अच्छी सेवा करने के लिये दोनों देशों के अधिकारियों के बीच में खींचा तानी जारी है। क़तर आतंकवादियों और अमरीका के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है जबकि सऊदी अरब एक दूसरे ऐन्गिल से अमरीका की सेवा कर रहा है। सऊदी अरब इख़वानुल मुस्लेमीन की सरकार के विरुद्ध और हुस्नी मुबारक का समर्थक था और सऊदी अरब के रियाल नें अन्तत: मिस्र में इख़वानुल मुस्लेमीन की सरकार का तख़्ता पलट दिया।