इस्लामी क्रांति के नेता ने हमास आंदोलन और हिज़्बुल्लाह के मज़बूत और शक्तिशाली प्रतिरोध का ज़िक्र करते हुए कहा कि ईश्वर की मदद के वादों और पिछले दशकों में हिज़्बुल्लाह और हमास के सफल अनुभवों के आधार पर ज़ायोनी शासन के मुक़ाबले में हालिया संघर्षों में भी निश्चित रूप से प्रतिरोधी मोर्चे की जीत होगी।
इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनई ने गुरुवार की सुबह विशेषज्ञों की एसेंबली के सदस्यों के मुलाक़ात में कहा कि ग़ज़ा और लेबनान में जो अपराध किए जा रहे हैं, उसमें अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों के हाथ ख़ून में डूबे हुए हैं। उन्होंने आगे कहाः दुनिया और क्षेत्र देखेंगे कि एक दिन इन मुजाहिदीन के हाथों ज़ायोनी शासन की स्पष्ट हार होगी।
सुप्रीम लीडर ने कहा कि पिछले 4 दशकों के दौरान, हिज़्बुल्लाह ने विभिन्न चरणों में बेरूत, सेदा और सूर और आख़िरकार दक्षिणी लेबनान से पूरी तरह पीछे हटने पर मजबूर कर दिया और इस देश के गांवों और शहरों और पहाड़ियों को इस अशुभ शासन के वजूद से पाक कर दिया।
इस्लामी क्रांति के नेता ने कहा कि विभिन्न प्रकार के सामरिक, प्रचारिक और आर्थिक हथियारों से लैस और अमरीकी राष्ट्रपतियों जैसे विश्व के बड़े शैतानों का समर्थन प्राप्त दुश्मन को हराने वाले हिज़्बुल्लाह की शक्ति आश्चर्यचकित करने वाली है, जो दिन ब दिन बढ़ रही है और आज एक छोटे से समूह से एक बड़ी शक्ति में बदल चुकी है। उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध का भी यही अनुभव रहा है। वह भी 1388 शम्सी हिजरी से आज तक 9 बार ज़ायोनी शासन से टकरा चुका है और हर बार ज़ायोनी शासन पर हावी रहा है।
आयतुल्लाह ख़ामेनई ने हिज़्बुल्लाह को मज़बूत बताते हुए कहाः सैयद हसन नसरुल्लाह और सैयद सफ़ीद्दीन जैसी महान हस्तियों के अभाव के बावजूद, हिज़्बुल्लाह संगठन भरपूर आत्मविश्वास से दुश्मन से लोहा ले रहा है और दुश्मन उसे हराने में न सक्षम था और भविष्य में भी नहीं होगा।
अपने भाषण के एक अन्य हिस्से में सुप्रीम लीडर ने महान प्ररिरोधकर्ता सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत के चालीस दिन बीत जाने के अवसर पर उन्हें और शहीद हनिया, सफ़ियुद्दीन, सिनवर और नीलफ़रोशान जैसे प्रतिरोध के महान कमांडरों को याद करते हुए कहाः इन शहीदों ने इस्लाम और प्रतिरोध मोर्चे की शक्ति और गौरव कई गुना बढ़ा दिया।
हिज़्बुल्लाह को शहीद नसरुल्लाह की यादगार बताते हुए उन्होंने कहाः प्रतिरोध के लीडर के साहस, समझ, धैर्य और अजीब विश्वास के कारण, हिज़्बुल्लाह ने ऐसा ज़बरदस्त विकास किया है कि विभिन्न प्रकार के हथियारों से लैस होने के बावजूद दुश्मन उस पर जीत हासिल नहीं कर सका और इस आश्चर्यचकित शक्ति पर जीत हासिल कर भी नहीं पाएगा।
इस्लामी क्रांति के नेता का कहना था कि इस युद्ध में भी फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध की जीत हुई है। क्योंकि इस युद्ध में ज़ायोनी शासन का लक्ष्य, हमास को जड़ से उखाड़ फेंकना था, लेकिन वह दसियों हज़ार आम नागरिकों के नरसंहार और प्रतिरोध और हमास के नेताओं को शहीद करने और दुनिया वालों के सामने अपना बदसूरत, घृणित और निंदीय चेहरा पेश करने के बावजूद, इस लक्ष्य को हासिल नहीं कर सका। हमास आज भी प्रतिरोध कर रहा है, जिसका मतलब है कि ज़ायोनी शासन को हार का मुंह देखना पड़ा है।