जिस चीज़ से अक्ल मना करती है, दीन भी उससे मना करता है

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जिस चीज़ से अक्ल मना करती है, दीन भी उससे मना करता है

मजलिस ए ख़ुबर्गान रहबरी के सदस्य ने कहा,यह संभव नहीं है कि दीन कभी अक्ल के खिलाफ किसी चीज़ पर ज़ोर दे क्योंकि अक्ल और दीन का ख़ालिक एक ही है सभी अंबिया किराम ने अक्ल के मुताबिक़ बातें की हैं, इसलिए वही अक्ल जो कहती है कि किसी बड़े नुकसान के करीब न जाना वही इस बात पर भी ज़ोर देती है कि फहश और गुनाह के करीब भी न जाएं।

एक रिपोर्ट के अनुसार, मजलिस ए ख़ुबर्गान रहबरी के सदस्य आयतुल्लाह सैयद अबुलहसन महदवी ने मस्जिद इमाम हुसैन अ.स. बाहुनर में आयोजित हज़रत ज़हरा स. की शहादत की मजलिस के दौरान बातचीत करते हुए कहा ज़बानी और अमली गुनाह और फहाशी अल्लाह तआला के नज़दीक नापसंद हैं।

उन्होंने कहा, जो बात अक्ल ने बयान की है, उसे दीन ने भी बयान किया है और जिस चीज़ से अक्ल मना करती है दीन भी उससे मना करता है।

इस्फ़हान के इमामे जुमआ ने आगे कहा,फहश या गाली एक ऐसा गुनाह है जो अक्ल शरीअत और आम रिवाज के ऐतबार से भी बुरा अमल समझा जाता है और बदकिस्मती से कुछ मज़हबी लोग भी फहाशी के खिलाफ वैसी चेतावनी नहीं देते जैसी देनी चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा, किसी भी बुराई या गुनाह के खिलाफ नही अन अनिल-मुंकर न करना भी बेहद ग़लत है और चाहे अक्ल कितनी भी तरक्की कर ले समाज को अम्र-बिल-मअरूफ और नहय-अनिल-मुंकर की ज़रूरत हमेशा रहती है।

 

 

 

 

 

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