शिया उलेमा और बुद्धिजीवी धार्मिक संबंधी सीमाओं के रक्षक

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शिया उलेमा और बुद्धिजीवी धार्मिक संबंधी सीमाओं के रक्षक

मजलिस ए ख़ुबरेगान ए रहबरी आज़रबाइजाने शर्क़ी के नुमाइंदे ने कहा, शिया उलेमा और बुद्धिजीवी धार्मिक और वैचारिक सीमाओं के संरक्षक हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार,मजलिस ए ख़ुबरेगान ए रहबरी में ईरान के सूबे आज़रबाइजान-ए-शर्क़ी के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलमीन मोहम्मद तकी पूर मोहम्मदी ने तबरीज़ शहर में आयोजित अल्लामा सैयद मोहम्मद हुसैन तबातबाई की याद में एक कार्यक्रम में भाषण देते हुए कहा,शिया विद्वान और उलेमा धार्मिक और विश्वास संबंधी सीमाओं के रक्षक हैं ताकि दुश्मन धर्म में घुसपैठ न कर सके और युवाओं को गुमराह न कर पाए।

उन्होंने अल्लामा तबातबाई की वैज्ञानिक हैसियत और दर्शनशास्त्र एवं हिकमत में उनके योगदान का उल्लेख करते हुए कहा,ग़ैबत-ए-हज़रत-ए-हुज्जत अ.ज. के दौर में अगर अल्लामा तबातबाई जैसे विद्वान न हों, तो विश्वास और आस्था की सीमाओं के रक्षक भी शेष नहीं रहेंगे।

हुज्जतुल इस्लाम पूर मोहम्मदी ने आगे कहा,अल्लामा तबातबाई जैसे विद्वानों की मौजूदगी दुश्मनों के वर्चस्व को रोकने का कारण बनती है।

 

 

 

 

 

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