हौज़ा इल्मिया ख्वाहरान के प्रबंधन केंद्र ने हफ़्ता ए बसीज के मौके पर जारी अपने बयान में कहा,यदि हर क्षेत्र और मैदान में बसीजी सोच लागू हो जाए तो इसके साथ बड़ी सफलताएं प्राप्त होंगी।
एक रिपोर्ट के अनुसार,मरकज़ ए मुदीरियत हौज़ा ए इल्मिया ख्वाहरान ने हफ्ता-ए-बसीज के अवसर पर एक बयान जारी किया है,
उनके बयान कुछ इस प्रकार है:
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
بسم الله الرحمن الرحیم
وَأَعِدُّوا لَهُمْ مَا اسْتَطَعْتُمْ مِنْ قُوَّةٍ وَمِنْ رِبَاطِ الْخَیْلِ تُرْهِبُونَ بِهِ عَدُوَّ اللَّهِ وَعَدُوَّکُمْ (آیت ۶۰ سوره انفال)
(सूरह अनफाल, आयत 60)
25 नवम्बर वह दिन है जब इमाम खुमैनी रहमतुल्लाह अलैह ने बसीज बल के गठन का आदेश दिया था। यह वही पौधा है जिसे उन्होंने 44 साल पहले तैय्यर किया था, और आज यह संगठन पूरी दुनिया में विलायत के पालन, दुश्मन की पहचान और प्रेरणादायक कार्यों के लिए जाना जाता है। जहाँ भी दुनिया में किसी मजलूम की आवाज सुनाई देती है बसीज के हाथ उसकी मदद के लिए पहुँच जाते हैं।
बसीज की भूमिका: आठ साल का युद्ध (ईरान-इराक युद्ध),बसीज ने इसमें साहस और वीरता दिखाई।शैक्षिक प्रगति,बसीज ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सांस्कृतिक हमलों का मुकाबला, पश्चिमी संस्कृति और विचारधारा के खिलाफ संघर्ष।आपदा राहत कार्य, प्राकृतिक आपदाओं के दौरान मदद और जिहाद-ए-सेहत (COVID-19 महामारी के दौरान) में सक्रिय भागीदारी। क्रांतिकारी विचारधारा,वेलायत, दृढ़ता, साहस और आशूरा की प्रेरणा से परिपूर्ण।
आज बसीज वैश्विक साम्राज्यवादी ताकतों के खिलाफ विभिन्न क्षेत्रों आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक, धार्मिक, और सामाजिक में सक्रिय है। यह संगठन दुनिया की साम्राज्यवादी शक्तियों के लिए चिंता का कारण बन चुका है।
बसीज का उद्देश्य स्वतंत्रता न्याय और समानता की स्थापना है। यह शोषितों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है और एक नया इस्लामी सभ्यता स्थापित करने का संकल्प लेता है।
मरकज़ ए मुदीरियत हौज़ा ए इल्मिया ख़वातीन का यह बयान बसीज की वैश्विक भूमिका और उसके क्रांतिकारी दृष्टिकोण को दर्शाता है।