जामिया ए मुदर्रिसीन हौज़ा इल्मिया क़ुम के प्रमुख ने कहा कि लेबनान में युद्धविराम ने नेतन्याहू के उस सपने को मिट्टी में मिला दिया जिसमें वह हिज़बुल्लाह का खात्मा चाहता था हालांकि प्रतिरोध को नुकसान पहुंचा और महत्वपूर्ण नेता खो दिए लेकिन ख़ुदा के बंदों ने साबित कर दिया कि वह जीवन और मृत्यु दोनों में इस्लाम ए मुहम्मदी के अनुयायी हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, जामिया-ए-मुदर्रिसीन हौज़ा इल्मिया क़ुम के प्रमुख आयतुल्लाह सैयद हाशिम हुसैनी बुशहरी ने कहा कि लेबनान में युद्धविराम ने नेतन्याहू के उस सपने को मिट्टी में मिला दिया कि हिज़बुल्लाह का खात्मा हो जाएगा।
हालांकि प्रतिरोध को नुकसान पहुंचा और महत्वपूर्ण नेता शहीद हो गए लेकिन ख़ुदा के बंदों ने यह साबित कर दिया कि वे जीवन और मृत्यु दोनों में इस्लाम-ए-मुहम्मदी स.ल.व. के सच्चे अनुयायी हैं।
उन्होंने कहा कि दुश्मन हर संभव अत्याचार कर रहा है लेकिन यह वास्तव में अत्याचार के विरुद्ध सच्चाई की लड़ाई है लेबनान में युद्धविराम के बाद नेतन्याहू के इरादे नाकाम हो गए और प्रतिरोधी नेता शहादत के बावजूद अपने उद्देश्य पर डटे रहे।
आयतुल्लाह हुसैनी बुशहरी ने कहा कि शहीद क़ासिम सुलेमानी की शहादत के बाद भी दुश्मन उनके नाम से खौफज़दा है उनकी याद और कुर्बानी आज भी अत्याचार के खिलाफ एक बड़ी ताकत है।
उन्होंने उपदेशकों को यह नसीहत की कि हज़रत फ़ातिमा (सल.) की ज़िंदगी को मौजूदा दौर की ज़रूरतों के मुताबिक पेश करें हज़रत फ़ातिमा (स.) न केवल रसूल-ए-अकरम स.ल. की बेटी होने के कारण महान हैं बल्कि उनका व्यक्तित्व चरित्र और ईमान भी बेमिसाल है।
उन्होंने कहा कि हज़रत फ़ातिमा स.ल. ने कम उम्र से ही रसूल-ए-अल्लाह और विलायत का समर्थन किया और यह संघर्ष आखिरी सांस तक जारी रहा उनकी कुर्बानियों और शिक्षाओं को अय्याम-ए-फातिमिया में खास तौर पर उजागर किया जाना चाहिए ताकि उनकी सीरत और किरदार को लोगों की व्यावहारिक ज़िंदगी से जोड़ा जा सके।
आयतुल्लाह हुसैनी बुशहरी ने कहा कि धर्म के उपदेशक केवल फ़ज़ाइल बयान करने तक सीमित न रहें बल्कि हज़रत फ़ातिमा (स.) की ज़िंदगी को मौजूदा समस्याओं का समाधान बताएं। यही अय्याम-ए-फातिमिया का असल मकसद है कि हम उनके किरदार से सबक लेकर सामाजिक चुनौतियों का सामना करें।