हिज़्बुल्लाह लेबनान के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा है कि ईरान और विश्व शक्तियों के बीच होने वाले परमाणु समझौते का सबसे अधिक लाभ क्षेत्र की जनता को पहुंचा है क्योंकि इस समझौते से क्षैत्र पर बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
हिज़्बुल्लाह के प्रमुख ने मंगलवार की शाम ओ टीवी को साक्षात्कार देते हुए ईरान के परमाणु समझौते के बारे में कहा कि इससे युद्ध का विकल्प बहुत दूर हो गया है और मैं जब युद्ध की बात करता हूं तो उससे तात्पर्य पश्चिमी युद्ध, अमरीकी युद्ध और इस्राईली युद्ध है अतः इस समझौते का सबसे अधिक लाभ क्षेत्र की जनता के लिए है। सैयद हसन नसरुल्लाह ने इस समझौते ने विश्व में बहुध्रुवीय व्यवस्था व्यवस्था को प्रमाणित किया है और यह साबित हुआ है कि इस समय विश्व में केवल एक सुपर पावर या दो सुपर पावर नहीं हैं। सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि क्षेत्र की कुछ सरकारें बहुत दिनों से ईरान के विरुद्ध युद्ध आरंभ करवाने का प्रयास कर रही थीं और यदि युद्ध होता तो पूरे क्षेत्र पर इसके विनाशकारी प्रभाव पड़ते क्योंकि ईरान कमज़ोर देश नहीं है।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि ईरान ने प्रतिबंधों का डटकर मुक़ाबला किया और अमेरिका ईरान की शासन व्यवस्था को गिराने मे विफल हो गया जबकि यूरोप और अमरीका में आज़ कुछ नए तथ्य सामने हैं और यह देश किसी भी यद्ध में पड़ना नहीं चाहते। हिज़्बुल्लाह के प्रमुख ने कहा कि इस्राईल के बारे में ईरान की रणनीति में कोई परिवर्तन नहीं आया है।
परमाणु समझौते पर कुछ क्षेत्रीय देशों की कथित चिंता के बारे में सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि वाशिंग्टन के साथ तेहरान के समझौते से फ़ार्स खाड़ी के देशों को नुक़सान नहीं पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि ईरान कभी भी अपने पड़ोसी देशों से संबंध नहीं तोड़ा, समस्या दूसरे पक्ष के यहां है। सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि ईरान कई साल से सऊदी अरब के साथ सहयोग के द्वार खोलना चाहता है किंतु हर बार के प्रयास विफल हुए हैं। सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि सऊदी अरब की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उसने ईरान को शुरू से ही अपना शत्रु समझा, सऊदी अरब में यह साहस नहीं है कि वह युद्ध में भाग ले किंतु उसने धन खर्च करके हमेशा दूसरों को लड़वाया है। सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि मिस्र, सीरिया और यमन से भी सऊदी अरब की गहरी समस्याएं रही हैं। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब साझेदारी नहीं चाहता बल्कि क्षेत्र की सभी सरकारों को अपना ग़ुलाम बनाना चाहता है।