इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाह हिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा है कि श्रमिक और उत्पादन के क्षेत्र में सक्रिय लोगों का सम्मान एक ऐसी आवश्यकता है जिस पर इस्लाम धर्म बहुत अधिक बल देता है।
उन्होंने बुधवार को देश की विभिन्न औद्योगिक कंपनियों में सक्रिय कर्मियों और मज़दूर वर्ग के एक समूह को संबोधित करते हुए बल दिया कि इस्लाम धर्म में काम और प्रयास को बहुत अधिक सम्मानीय दृष्टि से देखा गया है और श्रमिक और उत्पादन के क्षेत्र में सक्रिय समस्त लोगों के अधिकारों और स्थान पर इस्लाम धर्म का ध्यान देना, इसी उच्च विचार पर आधारित है। वरिष्ठ नेता ने इस्लामी क्रांति की सफलता से पूर्व ईरानी राष्ट्र के अपमान की ओर संकेत करते हुए कहा कि जिन दिनों, पश्चिमी देश, वास्तविक अज्ञानता का शिकार थे, सभ्य ईरान ने दुनिया के सामने विज्ञान व संस्कृति के क्षेत्र में दक्ष लोगों को पेश किया किन्तु पश्चिमी लुटेरों ने अत्याचारी शासकों की तुच्छता से लाभ उठाते हुए ईरान की राजनीति, अर्थव्यवस्था और सामाजिक मामलों को अपने हाथ में ले लिया और महान सभ्यता व संस्कृति के स्वामी ईरान के लिए यह कटु वास्तविकता, एक बड़ा अपमान था।
वरिष्ठ नेता ने इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद ईरानी जनता के अपमान जनक दौर की समाप्ति की ओर संकेत करते हुए कहा कि यदि ईरानी राष्ट्र आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से उच्च और योग्य स्थान तक पहुंचना चाहता है और वैज्ञानिक विकास का मापदंड बनना चाहता है तो उसे अपनी बुद्धिमत्ता, क्षमताओं, गंभीरता और दृढ़ इरादे पर भरोसा करना होगा। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था के महत्त्वपूर्ण आधार अर्थात स्वेदशी उत्पाद और विदेशी बाज़ार में उपस्थिति की ओर संकेत करते हुए कहा कि हमें भीतरी स्तर पर विकास करना होगा और दुनिया पर नज़र रखते हुए विश्व बाज़ार में सक्रिय रूप से उपस्थित रहना होगा।
वरिष्ठ नेता ने बल दिया कि जब ईरान ने बीस प्रतिशत यूरेनियम के संवर्धन के लिए इरादा किया तो बड़ी शक्तियों को विश्वास नहीं हो रहा था किन्तु अब जब हमारे परमाणु वैज्ञानिकों ने अपनी बुद्धिमानी और गंभीरता से परमाणु तकनीक प्राप्त कर ली है तो समस्त शक्तियां कहती हैं कि वह ईरान को संवर्धित यूरेनियम देने को तैयार हैं ताकि ईरान में यूरेनियम का संवर्धन न हो सके।