योरोपीय संघ के कुप्रचार
योरोपीय संघ के एक प्रवक्ता ने कहा है कि इस संघ ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में अधिक वार्ता के संबन्ध में एक स्थान और कुछ तिथियों का प्रस्ताव दिया है। रोएटर समाचार एजेन्सी के अनुसार योरोपीय संघ की विदेश नीति प्रभारी कैथरीन एश्टन के प्रवक्ता माइकल मैन ने शुक्रवार को कहा है कि हमने वार्ता के लिए कुछ तिथियों और एक स्थान का प्रस्ताव दिया है और हम ईरान के उत्तर की प्रतीक्षा में हैं। माइकल मैन ने कहा कि इस प्रस्ताव का अभी तक ईरान ने कोई उत्तर नहीं दिया है। माइकल मैन का यह बयान एसी स्थिति में सामने आया है कि जब इस्लामी गणतंत्र ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा की सर्वोच्च परिषद के सचिव सईद जलीली ने शुक्रवार को नई दिल्ली में कहा था कि हमने इस बात पर सहमति जताई है कि यह वार्ता जनवरी में की जाए किंतु इस वार्ता का पूरा ब्योरा अबतक प्राप्त नहीं हुआ है। अपने इस वक्तव्य में सईद जलीली ने स्पष्ट किया है कि वार्ता को पुनः आरंभ करने के लिए ईरान ने पांच बातों का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने आगे कहा कि गुट पांच धन एक का कहना है कि यह प्रस्ताव सार्थक है और इसका अध्ययन करके वे इसका उत्तर देंगे। किंतु इस वार्ता को छह महीने का समय गुज़र चुका है। हाल ही में उन्होंने घोषणा की है कि वे वार्ता की मेज़ पर वापस आने के लिए तैयार हैं। यह वार्ता पिछले वर्ष तीन चरणों में अंकारा, बग़दाद और मास्को में हुई। मास्को वार्ता के परिणाम के बारे में कुछ समीक्षकों ने सकारात्मक विचार व्यक्त किये किंतु एसी स्थिति में कि जब मास्को, ईरान तथा गुट पांच धन एक के बीच तीसरे चरण की परमाणु वार्ता में भाग लेने की तैयार कर रहा था तो पश्चिम की ओर से ईरान पर प्रतिबंधों में वृद्धि ने सार्थक वार्ता प्रक्रिया को आघात पहुंचाया। मास्को तथा बग़दाद वार्ता के अंतराल में ईरान ने वार्तापक्ष को पांच पत्र भेजकर इस बात पर बल दिया था कि वार्ता में सफलता के लिए विशेषज्ञ स्तर की वार्ता का गठन आवश्यक है। इस विषय को इससे पहले इस्तांबूल वार्ता में भी प्रस्तुत किया गया था किंतु दो महीने के विलंब से दोनो पक्षों ने विशेषज्ञ स्तर की बैठकें करने पर सहमति जताई थी। बग़दाद वार्ता में ईरान ने प्रस्तावों का जो पैकेज पेश किया था उसमें चार बातें तो परमाणु ऊर्जा से संबन्धित थीं जबकि एक अन्य, विभिन्न विषयों के बारे में थी। इसके बावजूद पश्चिम ने अतार्किक व्यवहार अपनाकर सार्थक वार्ता को एक किनारे डाल दिया और हर बार तार्किक वार्ता के वातावरण को ख़राब करने के प्रयास किये। यह व्यवहार दर्शाता है कि अमरीका और कुछ पश्चिमी देश, दोहरे मापदंड को अपनाए हुए हैं और इसीलिए ज़ायोनी शासन की परमाणु गतिविधियों के बारे में कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की जाती जिसके पास ३०० परमाणु वार हेडस मौजूद हैं जबकि ईरान के विरुद्ध एकपक्षीय रूप में पांच प्रस्ताव पारित किये गए हालांकि ईरान की समस्त परमाणु गतिविधियां पूर्ण रेस आईएईए के नियंत्रण में हो रही हैं। निःसन्देह, पश्चिम के भेदभावपूर्ण व्यवहार तथा तार्किक वार्ता में उसकी ओर से आनाकानी के कारण ईरान का परमाणु विषय, तकनीकी और क़ानूनी बहस से निकलकर एक राजनैतिक विषय में परिवर्तित हो गया है। एश्टन के प्रवक्ता ने विषय को कुछ इस प्रकार से प्रस्तुत किया है कि मानो ईरान, वार्ता से बच रहा है जबकि यह बात पूर्ण रूप से वास्तविकता के विपरीत है।