ब्रिटेन के ईसाई विचारक और पादरी ने इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता द्वारा अमरीका और यूरोपीय देशों के युवाओं को लिखे दूसरे पत्र संदेश को महत्वपूर्ण करार दिया है। उन्होंने देश के ईसाई युवाओं से अपील की है कि वे वरिष्ठ नेता के संदेश को जितना हो सके फैलाएं।
ब्रिटेन से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार लंदन में रहने वाले ईसाई विचारक और पादरी फ्रैंक जूलियन गेली ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मैंने ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई के पत्र का अध्ययन किया है। उन्होंने कहा कि मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने अपने पत्र के माध्यम से आज के युवाओं का चरित्रहीनता की ओर बढ़ते झुकाव का उल्लेख किया है।
ब्रिटिश पादरी के अनुसार इस बात के मद्देनज़र कि कुछ युवा आतंकवादी गुटों में शामिल हो रहे हैं, इतने महत्वपूर्ण पद पर आसीन एक धार्मिक नेता द्वारा इस तरह का पत्र लिखा जाना मेरी नज़र में बहुत महत्वपूर्ण है।
ब्रिटिश विचारक फ्रैंक गेली ने इस बात की ओर संकेत करते हुए कि युवाओं को अपनी ओर खींचने में कुछ ब्रिटिश चर्च भी बहुत सक्रिय हैं, कहा कि यह वही ईसाई शक्तियां हैं जो आयतुल्लाह ख़ामेनेई के संदेश पर विश्वास रखती हैं और हम इस संबंध में संयुक्त मोर्चा बनाने पर विचार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कैथोलिक ईसाइयों के धार्मिक नेता पॉप फ्रांसिस, जो पश्चिमी संस्कृति के नकारात्मक दृष्टिकोणों के ख़िलाफ़ सक्रिय हैं, पश्चिम में आयतुल्लाह ख़ामेनेई के सहयोगी माने जाते हैं।
इस ब्रिटिश पादरी ने कहा कि जैसा कि आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अपने पत्र में बताया है कि कुछ युवा, आतंकवादी गुटों के जाल में फंस गए हैं तो मेरे विचार में उन्होंने अपने पत्र के माध्यम से इस बात का उल्लेख करके बहुत महत्वपूर्ण काम किया है।
ज्ञात रहे कि ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनेई ने 13 नवंबर को फ्रांस में हुई आतंकवादी घटनाओं के बाद पिछले रविवार को अमरीका और यूरोप के युवाओं के नाम एक महत्वपूर्ण पत्र में इस तरह की आतंकवादी घटनाओं के मूल कारणों पर प्रकाश डाला था।