हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम की अहादीस (प्रवचन)

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यहाँ पर अपने प्रियः अध्ययन कर्ताओं के लिए हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम के कुछ मार्ग दर्शक कथन प्रस्सतुत किये जारहे हैं।

1- सुरक्षित रहो

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति अपनी मान मर्यादा का ध्यान न रखता तो उसके उपद्रव से सुरक्षित रहो।

2- लाभ व हानी

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि संसार एक बाज़ार के समान है। जिसमे कुछ लोगों को लाभ होता है तथा कुछ को हानी।

3- व्यक्तित्व

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो अपने व्यक्तित्व से प्रसन्न होगा उससे बहुत से व्यक्ति अप्रसन्न रहेंगे।

4- अच्छाई व बुराई

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अच्छाई से अच्छा अच्छाई करने वाला है। सुन्दर से सुन्दरतम सुन्दरता का वर्णन करने वाला है। ज्ञान से ज्ञानी उच्च है तथा बुऱाई से बुराई करने वाला बुरा है।

5- अल्लाह का परिचय

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह का परिचय उन्ही विशेषताओं के द्वारा कराया जा सकता है जिनके द्वारा उसने अपना परिचय कराया है। और उस अल्लाह का परिचय किस प्रकार कराया जा सकता है जिसके बोध मे इंद्रियां असफल हो,विचार उस तक पहुच न पाते हों,जो कल्पना की सीमा मे न आसकता हो तथा आँखें जिसको न देख सकती हों।

6- दुआ की स्वीकृति

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि पृथ्वी पर कुछ स्थान ऐसे हैं जहाँ पर दुआऐं स्वीकृत होती हैं और अल्लाह इस बात को पसंद करता है कि वहाँ पर दुआऐं की जायें। हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की कब्र उन्ही स्थानों मे से एक है।

7- विश्वास व अविश्वास

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जब ऐसा समय आजाये कि चारो ओर न्याय का राज हो और अत्याचार कम हों तो ऐसे समय मे किसी व्यक्ति के बारे मे उस समय तक मिथ्या संदेह रखना हराम है जब तक उसके सम्बन्ध मे ज्ञान न हो जाये कि वह बुरा है। और जब ऐसा समय आजाये कि चारो ओर अत्याचार व अराजकता वयाप्त हो और न्याय व शाँति का दूर दूर भी कहीँ पता न हो तो ऐसे समय मे किसी को किसी के बारे मे उस समय तक अच्छा भ्रम नही रखना चाहिए जब तक उसके अच्छे होने का ज्ञान न हो जाये।

8- सत्यता की प्राप्ति

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति सत्यता व वास्तविक्ता की प्राप्ति के लिए आगे बढ़े परन्तु उसको प्राप्त करने से पहले उसकी मृत्यु हो जाये तो इसकी मृत्यु सत्यता पर हुई है। जैसा कि कुऑन मे वर्णन हुआ है कि जो व्यक्ति अपने घर से अल्लाह व रसूल की ओर यात्रा करे और (मार्ग मे)मर जाये तो उसका बदला अल्लाह पर है (अर्थात अल्लाह उसको इस कार्य का बदला देगा)

9- अल्लाह से डरना

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति अल्लाह से डरेगा लोग उससे डरेंगें। और जो अल्लाह की अज्ञा पालन करेगा लोग उसकी अज्ञा पालन करेंगें।

10- दृढ निश्चय

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि कार्यो के करने मे की गयी कमयों को दृढ निश्चय के साथ पूरा करो

11- ईर्श्या

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि ईर्श्या पुण्यो को समाप्त और अल्लाह को नाराज़ कर देती है।

12- भर्त्सना

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि किसी पर सख्ति करना या भर्त्सना करना अधिक कठिनाईयों का कारण बनता है। परन्तु यह द्वेष से अच्छा है।

13- माता पिता की अवज्ञा

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि माता पिता की अवज्ञा करने वाला व्यक्ति अपमानित होता हैऔर उसकी जीविका मे कमी करदी जाती है।

14- अल्लाह की अज्ञा पालन

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति अल्लाह की अज्ञा पालन करता है उसको प्रजा की अप्रसन्नता से नही डरना चाहिए। परन्तु जो अल्लाह को अप्रसन्न कर दे उसको विश्वास रखना चाहिए कि प्रजा उससे अनिवार्य रूप से अप्रसन्न होगी।

15- शिक्षा

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि छात्र व गुरू दोनो विकास मे सम्मिलित हैं।

16- जागना व भूखा रहना

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि रात का जागना नीँद को तथा भूक भोजन को स्वादिष्ट बना देती हैं।

17- अल्लाह का धन्यवाद

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अपनी सम्पत्ति को सही कार्यों मे व्यय करके उसको सुरक्षित रखो व अल्लाह का धन्यवाद करके अपनी सम्पत्ति मे वृद्धि करो।

18- संसार व परलोक

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह ने संसार को विपत्तियों का और परलोक को बदले का स्थान बनाया है।तथा संसार की विपत्तियों को परलोक के पुण्य का साधन बनाया है और परलोक के पुण्य को संसार की विपत्तियो का बदला बनाया है।

19- सदुपदेश

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह जब अपने किसी बन्दे की भलाई चाहता है तो(उसके मन मे यह बात डाल देता है कि) जब उसको कोई सदुपदेश देता है तो वह उसे स्वीकार कर लेता है।

20- मालदारी

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि इच्छाओं का कम रखना और प्रयाप्त वस्तुओं पर प्रसन्न रहना ही मालदारी है।

21- आश्रितो पर क्रोधित होना

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि धिक्कार है उस व्यक्ति पर जो अपने आश्रितो पर क्रोधित होता है।

22- आदर

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि व्यक्ति का आदर संसार मे उसके माल से है व परलोक मे उसके कार्यो से।

23-- ईर्श्या

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि ईर्श्य़ा से बचो क्योकि यह तुम्हारे शत्रु को नही तुमको हानी पहुँचायेगी।

24- दूषित व्यक्ति

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि दूषित प्रकृति वाले व्यक्तियों पर सदुपदेश का प्रभाव नही होता।

25- व्यर्थ की बहस

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि व्यर्थ की बहस पुरानी दोस्ती को भी समाप्त कर देती है।

26- क्रोध व विश्वासघात

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि तुम जिस व्यक्ति पर क्रोधित हुए हो उससे विन्रमता की और जिसके साथ विशवास घात किया है उससे वफ़ा की उम्मीद न रखो।

27- प्रेम व अज्ञापालन

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति अपने प्रेम व अपने मत दोनो को तुम्हारे लिए आरक्षित करदे तुम उसकी अज्ञापालन करो।

28- व्यर्थ की बातें

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि व्यर्थ की बातें मूर्खों का काम है और इनसे मूर्खो को ही प्रसन्नता होती है।

29- एक व दो विपत्तियाँ

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि विपत्ति पर सब्र करने वाले (धैर्य से काम करने वाले) व्यक्ति के लिए एक विपत्ति होती है। और उस पर चीख पुकार करने वाले के लिए दो विपत्तियाँ होती है।

30- स्वेच्छा चारीता

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि सवेच्छचारिता ज्ञान के मार्ग मे बाधक है और व्यक्ति की अज्ञानता व पिछड़े पन का कारण भी बनती है।

31- गुनाह करने पर मजबूर

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जिसका विचार यह है कि वह गुनाह (पाप) करने पर बाध्य है। उसने अपने गुनाहों को अल्लाह के ऊपर डाल दिया और अल्लाह को बन्दो को बदला देने के बारे मे अत्याचारी घोषित किया।

32- उपद्रव से सुऱक्षा

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति अपने आप को स्वंय नीच समझता हो उसके उपद्रव से स्वंय को सुरक्षित रखो।

33- निस् वार्थता

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति किसी कार्य को अप्रसन्नता पूर्वक करे तो अल्लाह उस कार्य को स्वीकार नही करता । क्योकि वह तो केवल उन कार्यो को ही स्वीकार करता है जो साफ़ हृदय के साथ निस्वार्थ रूप से किया जाये।

34- विनम्रता

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि विनम्रमता यह है कि दूसरे लोगों के साथ ऐसा व्यवहार करो जैसा तुम दूसरो से अपने लिए चाहते हो।

35- मुक़द्दर(भाग्य)

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि मुक़द्दर उन चीज़ो को तुम पर प्रकट करता है जो कभी तुम्हारे विचार मे भी नही आती।

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