किताबे " चेहरये दरख़शाँ हुसैन इबने अली अलैहिमस्सलाम " के पेज न0 227 और 230 पर इस तरह लिखा है महान आलिम हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लमीन जनाब हाज मुर्तज़ा मुज्तहेदी सीस्तानी इस तरह बयान करते हैः
मेरे चाचा जनाब सय्यद इब्राहीम मुज्तहेदी सीस्तानी इमाम-ए-रज़ा अलैहिस्सलाम के पुराने ज़ाकरीन में से थे. मेरे स्वर्गीय चाचा ने एक सपने मे सिद्दीक़ए कुबरा हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा को देखा कि एक सूची उन के सामने रखी है जो खुली हुई है मैं ने उन इस बारे में पूछा कि यह किस की सूची है ?
सिद्दीक़ए कुबरा हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा ने फ़रमायाः मेरे बेटे हुसैन की मजलिस पढ़ने वालों का नाम इस सूची में है।
मेरे स्वर्गीय चाचा ने देखा कि कुछ मजलिस पढ़ने वालों का नाम उस सूची में है और वह पैसा कि जो उन को मजलिस पढ़ने का उस मोहर्रम में दिया गया था वह भी उस सूची में लिखा है।
मेरे स्वर्गीय चाचा ने अपना भी नाम उस सूची में देखा और यह भी देखा कि उन के नाम के आगे लिखा था 30 तूमान (ईरानी पैसे को तूमान कहते हैं।)
नींद से जागे तो जो सपना उन्हों ने देखा था बहुत आश्चर्यचकित हुए क्योंकि 30 तुमान उस ज़माने में एक मजलिस का बहुत ज़्यादा पैसा था मगर दो महीने और ज़्यादा मजलिसों के कारण इत्ना पैसा हो सकता था लेकिन संजोग से उसी वर्ष वह बीमार हो गए यहाँ तक कि घर से निकलने की भी ताक़त नही थी और उन की बीमारी हर दिन बढ़ती ही जा रही थी यहाँ तक कि मोहर्रम और सफ़र को महीना ख़तम होने का था। इस दो महीने में सिर्फ़ एक दिन उन की हालत कुछ ठीक हुई और सिर्फ़ एक ही मजलिस में जा सके मजलिस के बाद जिसने मजलिस करवाई थी उस ने उन को एक पैकेट दिया कि जिस में 30 तूमान था ।
इस बात से उन के सपने को सच होना सिध्द है और यह भी सिध्द होता है कि सिद्दीक़ये कुबरा हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा मजलिस पढ़ने वालों पर कृपा करती हैं और सब कुछ उस महान हस्ती के कन्टरोल में है ।
मजलिस पढ़ने वालों का सिद्दीक़ये कुबरा हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा की नज़र में क्या पद है और वह लोग कित्ने महान है उन की नज़र में, इस बात का पता इमाम-ए-जाफ़रे सादिक़ अलैहिस्सलाम की इस बात से चलता हैः
कोई भी ऐसा नहीं है कि जो इमाम-ए-हुसैन अलैहिस्सलाम पर आंसू बहाये और रोये मगर यह कि उस का रोना सिद्दीक़ये कुबरा हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा तक पहुँचता है और सिद्दीक़ये कुबराहज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा इमाम-ए-हुसैन अलैहिस्सलाम पर रोने वालों की सहायता करती हैं, और उस का रोना रसूले ख़ुदा तक भी पहुंचता है और वह इन आंसूओं की क़ीमत अदा करते हैं।
एक दूसरी रेवायत मे भी इमाम-ए-हुसैन अलैहिस्सलाम पर रोने के सिलसिले में इमाम-ए-जाफ़रे सादिक़ अलैहिस्सलाम से वारिद हुआ है कि आप ने फ़रमायाः
जो कोई इमाम-ए-हुसैन अलैहिस्सलाम पर रोता है इमाम उस को देखते हैं और उस के लिए इस्तिग़फ़ार करते हैं और हज़रत अली अलैहिस्सलाम से भी कहते हैं कि वह भी रोने वालों के लिए इस्तिग़फ़ार करें और रोने वालों से कहते हैः
अगर तुम लोगों को मालूम हो जाये कि इश्वर ने तुम लागों के लिए क्या तय्यार किया है तो तुम जित्ना ज़्यादा दुखी होते उस से ज़्यादा उस के लिए ख़ुश होते और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम उस के लिए इस्तिग़फ़ार करते हैं हर उस गुनाह के लिए जो उस ने किया है।
इमामे हुसैन अलैहिस्सलाम के दुख में एक बूंद आँसु सारे गुनाह को ख़त्म कर देता है रेवायतों में आया है कि जो भी व्यक्ति इमाम-ए-हुसैन अलैहिस्सलाम की मजलिस में आता है उस को चाहिए कि उन के सम्मान का ध्यान रखे।
एक अहम बात यह है कि जो कोई इमाम-ए-हुसैन अलैहिस्सलाम कि मजलिस में रोता है उस को चाहिए कि वह इमाम-ए-ज़माना आज्जल्लाहू फ़रजहुश्शरीफ़ के ज़हूर के लिए दुआ करे और ईश्वर से यह दुआ करे कि वह इमाम के ज़हूर में जल्दी करे ताकि इमाम-ए-ज़माना की दुआ का मुस्तहेक़ हो।
एक जगह इमाम-ए-ज़माना आज्जल्लाहू फ़रजहुश्शरीफ़ ने फ़रमायाः
मैं हर उस व्यक्ति के लिए दुआ करता हूँ जो इमाम-ए-हुसैन अलैहिस्सलाम की मजलिस मे मेरे लिए दुआ करता है।