माह ऐ रमज़ान इस्लामिक केलिन्डर का ९वां और सबसे पवित्र महीना है जो अब शुरू होने वाला है | दुकाने सज चुकी है बाज़ारों में रोना है | इस महीने में मुसलमानो की सबसे पवित्र किताब क़ुरआन उतरी थी इसी लिए इसे इबादतों का महीना भी कहा जाता है | इस माह दुंनिया के सभी मुसलमान उपवास रखते हैं जो सबको आत्मसंयम , आत्मनियत्रण ,समूची मानव जाति को प्रेम, करुणा और भाईचारे का संदेश देता है |
यह उपवास जो सुबह सूर्य उदय के कुछ पहले शुरू होता है और सूर्यास्त के साथ ख़त्म हो जाता है | इस दौरान खाना , पानी के साथ साथ आत्मसंयम रखना होता है | हर तरह पे पाप से बचना होता है और समस्त मानव जाती को प्रेम सन्देश दिया जाता है और ध्यान रखा जाता है की किसी को भी को दुःख कोई तकलीफ क्कोई नुक्सान हमसे ना पहुंचे |
इस रोज़े का ख़ास मक़सद यह भी है की एक इंसान दूसरे इंसान की भूख प्यास को महसूस करे जिससे पूरे वर्ष गरीबों की मदद करता रहे और यही कारन है की इस महीने दान जिसे सदक़ा , ज़कात खैरात की शक्ल में गरीबों तक पहुंचाया जाता है |
इस माह शाम को रोज़ा खोलते वक़्त सभी धर्म केलोगों को मिलजुल के रोज़ा खोलते देखा जा सकता है जिसे इफ्तार पार्टी का नाम दिया जाता है | इसे हमारे गंगा जमुनी तहज़ीब वाले देश में आपसी भाईचारे ,समाज में सांप्रदायिक सद्भाव और मुहब्बत को बढ़ाने का एक तरीक़ा भी कहा जा सकता है |
इस रमज़ान के ख़त्म होते ही यह माना जाता है की मुसलमानो को उनका दींन याद दिलाया गया जो अमन और भाईचारे का पैगाम देता है , गरीबों की मदद का पैगाम देता है और दुनिया के समस्त मानवजाति के लिए दिलों में मुहब्बत का सन्देश देता है और आप कह सकते हैं की यह एक महीने का प्रशिक्षण है जिस का मक़सद एक अच्छा इंसान बनाना है |