हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़हूर से पहले जो अलामतें ज़ाहिर होंगी उनकी तकमील के दौरान ईसाई दुनिया को फ़तह करने के इरादे से उठ खड़े होगें और बहुतसे मुल्कों पर क़ब्ज़ा कर लेंगे।
उसी ज़माने में अबूसुफ़यान की नस्ल से एक ज़ालिम पैदा होगा जो अरब और शाम पर हुकूमत करेगा। उसकी दिली तमन्ना यह होगी कि दुनिया को सादात से ख़ाली कर दिया जाये और मुहम्मद (स.) की नस्ल का एक इंसान भी बाक़ी न रहे। लिहाज़ा वह सादात को बहुत बेदर्दी से क़त्ल करेगा।
इसी दौरान रोम के बादशाह को ईसाईयों के एक फ़िर्क़े से जंग करनी पड़ेगी। यह बादशाह एक फ़िरक़े को अपने साथ लेकर दूसरे फ़िरक़े से जंग करते हुए क़ुसतुनतुनिया शहर पर क़ब्ज़ा कर लेगा। क़ुसतुनतुनियाँ का बादशाह वहाँ से भाग कर शाम में पनाह लेगा और नसारा के दूसरे फ़िर्क़े की मदद से अपने मुख़ालिफ़ फ़िर्क़े से जंग करेगा। यहाँ तक कि इस्लाम को फ़तह हासिल होगी। इस्लाम की फ़तह के बावजूद ईसाई यह शोहरत देंगे कि सलीब ग़ालिब आ गई है।। इस पर ईसाईयों और मुसलमानों में जंग होगी और ईसाईयों को कामयाबी मिलेगी।
मुसलमानों का बादशाह क़त्ल होगा, शाम पर ईसाईयों का झण्डा लहराने लगेगा और मुसलमानों का क़त्ले आम होगा। मुसलमान अपनी जान बचाने के लिए मदीने की तरफ़ भागेगें और ईसाई अपनी हुकूमत को बढ़ाते हुए ख़ैबर तक पहुँच जायेंगे। मुसलमानों की कोई पनाहगाह न होगी और वह अपनी जान बचाने से आजिज़ होंगे। उस वक़्त वह पूरी दुनिया में महदी को तलाश करेंगे ताकि इस्लाम महफ़ूज़ रह सके और मुसलमानों की जान बच सके। इस काम में अवाम ही नही तमाम क़ुतब, अबदाल और औलिया भी इस जुसतूजू में मसरूफ़ रहेंगे। अचानक आप मक्क-ए-मोज़्ज़मा में रुक्न व मक़ाम से बरामद होंगे।.........(क़ियामत नामा, शाह रफ़ी उद्दीन देहलवी)
आप सफ़ा व मरवा के दरमियान से बरामद होंगे। उनके हाथ में हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम की अंगूठी और हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का असा होगा। आप का काम यह होगा कि आप अल्लाह के मुख़ालिफ़ और उसकी आयतों पर यक़ीन न रखने वलाले लोगों की तसदीक़ नही करेंगे। जब क़ियामत क़रीब होगी तो आप असा व अंगुश्तरी से हर मोमिन व काफ़िर की पेशानी पर निशान लगायेंगे। मोमिन की पेशानी पर हाज़ा मोमिन हक़्क़ा व काफ़िर की पेशानी पर हाज़ा काफ़िर तहरीर हो जायेगा। ....(इरशाद उत तालेबीन पेज न.400 व क़ियामत नामा )
शिया व सुन्नी दोनों मज़हबों के उलमा का कहना है कि आप क़रआ नामी क़रिये से रवाना होकर मक्क -ए- मोज़्ज़मा में ज़हूर फ़रमायेंगे।............(ग़ायत उल मक़सूद पेज न. 165 व नूर उल अबसार पेज न. 154)
अल्लामा कुन्जी शाफ़ई और अली बिन मुहम्मद साहिबे किफ़ायत उल अस्र अबू हुरैरा के हवाले से नक़्ल करते हैं कि हज़रत सरवरे काएनात ने फ़रमाया कि इमाम महदी क़रिया-ए- क़रआ (यह क़रिया मक्के और मदीने के दरमियान मदीने से तीस मील के फ़ासले पर वाक़े है।) से निकल कर मक्क -ए- मोज़्ज़मा में ज़हूर करेंगे। वह मेरी ज़िरह पहने होंगे, मेरी तलवार लिये होंगे और मेरा अम्मामा बाँधें होंगे। उनके सिर पर अब्र का साया होगा और एक फ़रिश्ता आवाज़ देता होगा कि यह इमाम महदी हैं इनकी इत्तबा करो। एक रिवायत में है कि जिब्राईल आवाज़ देंगे और हवा उसको पूरी काएनात में पहुँचा देगी और लोग आपकी ख़िदमत में हाज़िर हो जायेंगे।
लुग़ाते सरवरी में है कि आप ख़ैरवाँ नामी क़स्बे से ज़हूर फ़रमायेंगे।
मासूमीन का क़ौल है कि इमाम महदी के ज़हूर का वक़्त मुऐय्यन करना अपने आपको अल्लाह के इल्मे ग़ैब में शरीक करना है। वह मक्के में बे ख़बर ज़हूर करेंगे, उनके सिर पर ज़र्द रंग का अम्मामा होगा, बदन पर रसूल की चादर और पैरे में उन्हीं के जूते होंगे। वह अपने सामने कुछ भेड़ें रखेंगे, कोई उन्हें पहचान न सकेगा और वह इसी तरह बग़ैर किसी दोस्त के तन्हे तन्हा ख़ाना -ए- काबा में आ जायेंगे। जब रात का अंधेरा छा जायेगा और लोग सो जायेंगे, उस वक़्त आसमान से फ़रिश्ते सफ़ बा सफ़ उतरेंगे और जिब्राईल व मिकाईल उन्हें अल्लाह का यह पैग़ाम सुनायेंगे कि अब सारी दुनिया पर उनका हुक्म जारी है। यह पैग़ाम सुनते ही इमाम अल्लाह का शुक्र अदा करेंगे और रुकने हजरे असवद व मक़ामें इब्राहीम के बीच ख़ड़े हो कर बलंद आवाज़ से फ़रमायेंगे कि ऐ वह लोगो ! जो मेरे मख़सूसो और बुज़ुर्गों से हो और ऐ वह लोगो ! जिन्हें अल्लाह ने मेरे ज़हूर से पहले ही मेरी मदद करने के लिए ज़मीन पर जमा किया है आजाओ ! आपकी यह आवाज़ उन लोगों के कानों तक पहुँचेंगी चाहे वह मशरिक में रहते हों या मग़रिब में। वह लोग हज़रत की यह आवाज़ सुनते ही पल भर में हज़रत के पास जमा हो जायेंगे। इन लोगों की तादाद 313 होगी और यह नक़ीबे इमाम कहलायेंगे। उस वक़्त एक नूर ज़मीन से आसमान तक बलंद होगा जो पूरी दुनिया में हर मोमिन के घर में दाख़िल हो जायेगा और इससे उनके दिल ख़ुश हो जायेंगे लेकिन मोमेनीन को यह मालूम न हो सकेगा कि इमाम का ज़हूर हो चुका है।
सुबह को इमाम अपने उन 313 साथियों के हमराह जो रात में उनके पास जमा हो चुके होंगे काबे में खड़े होंगे और दीवार से तकिया लगा कर अपना हाथ खोलेंगे। आपका यह हाथ मूसा के यदे बैज़ा की तरह होगा और आप फ़रमायेंगे कि जो इस हाथ पर बैअत करेगा ऐसा है जैसे उसने यदुल्लाह पर बैअत की हो। सबसे पहले आपके हाथ पर जिब्राईल बैअत करेंगे और उनके बाद दूसरे फ़रिश्ते बैअत करेंगे। फ़रिश्तों के बाद आपके 313 नक़ीब आपकी बैअत करेंगे। इस हलचल से मक्के में तहलका मच जायेगा और लोग हर तरफ़ यही पूछ ताछ करेंगे कि यह कौन शख़्स है ? यह तमाम वाक़ियात सूरज निकलने से पहले अंजाम पायेंगे।
सूरज निकलने के बाद सूरज के सामने एक मुनादी करने वाला बलंद आवाज़ में कहेगा कि ऐ लोगो ! यह महदी- ए- आले मुहम्मद हैं, इनकी बैअत करो। इस आवाज़ को ज़मीन व आसमान पर रहने वाले सभी जानदार सुनेगें। इस आवाज़ के बाद फ़रिश्ते और आपके 313 साथी इसकी तसदीक़ करेंगे। तब दुनिया के हर गोशे से लोग आपकी ज़ियारत के लिए जूक़ दर जूक़ रवाना होंगे और आलम पर हुज्जत क़ायम हो जायेगी। इसके बाद दस हज़ार अफराद आपकी बैअत करेंगे और कोई यहूदी व नसरानी बाक़ी न छोड़ा जयेगा। बस अल्लाह का नाम होगा और इमाम महदी अलैहिस्सलाम का काम होगा। मुख़लेफ़त करने वालों पर आसमान से आग बरसेगी जो जला कर राख कर देगी।
(नूर उल अबसार इमाम सिबलंजी शाफ़ेई सफ़ा नम्बर 155 व आलाम उल वरा सफ़ा न. 264)
उलमा ने लिखा है कि कूफ़े से 27 ऐसे मुख़लिस आपकी ख़िदमत में पहुँचेंगे, जो हाकिम बनायें जायेंगे। किताब मुनतख़ब उल बसाइर में उनके नामों की तफ़्सील इस तरह दी गई है। यूशा बिन नून, सलमाने फ़ारसी, अबू दज्जाना अंसारी, मिक़दाद बिन असवद, मालिके अशतर, सात असहाबे कहफ़ और पन्द्रह लोग जनाबे मूसा की क़ौम से।
(आलाम उल वरा, सफ़ा न. 264 व इरशादे मुफ़ीद सफ़ा न. 536)
अल्लामा अब्दुर रहमान जामी का कहना है कि कुतब, अबदाल, उरफ़ा सब आपकी बैअत करेंगे। आप जानवरों की ज़बान से भी वाक़िफ़ होंगे और जिन्नो इंस में अद्ल व इंसाफ़ करेंगे।
(शवाहेदुन नबूवत सफ़ा न. 216)
अल्लामा तबरसी का कहना है कि आप हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम के उसूल पर अहकाम जारी करेंगे। आपको गवाहों की ज़रूरत न होगी। आप हर एक के अमल से अल्लाह के इल्हाम के ज़रिये वाक़िफ़ होंगे।
(आलाम उल वरा सफ़ा न. 264)
इमाम शिबलंजी शषाफ़ेई का बयान है कि जब इमाम महदी अलैहिस्सलाम का ज़हूर होगा तो तमाम् मुसलमान अवाम व ख़वास ख़ुश हो जायेंगे। उनके कुछ वज़ीर होंगे जो आपके अहकाम पर लोगों से अमल करायेंगे।
(नूर उल अबसार सफ़ा न. 153)
अल्लामा हल्बी का कहना है कि असहाबे कहफ़ आपके वज़ीर होंगे। ........(सीरते हल्बिया)
हमूयनी का बयान है कि आपके जिस्म का साया न होगा।...(ग़ायत उल मक़सूद जिल्द न. 2 सफ़ा न. 150)
हज़रत अली अलैहिस्सलाम का फ़रमान है कि इमाम महदी अलैहिस्सलाम के असहाब व अंसार ख़ालिस अल्लाह वाले होंगे। आपके गिर्द लोग इस तरह जमा होंगे जिस तरह शहद की मक्खियाँ अपने यासूब बादशाह के पास जमा हो जाती हैं।.....(अरजेह उल मतालिब सफ़ा न. 469)
एक रिवायत में है कि ज़हूर के बाद आप सबसे पहले कूफ़े तशरीफ़ ले जायेंगे और वहां पर कसीर अफ़राद को क़त्ल करेंगे।
प्रस्तुतकर्ता एस एम् मासूम