फ़िलिस्तीन, फ़िलिस्तीनियों का है

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फ़िलिस्तीन, फ़िलिस्तीनियों का है

फ़िलिस्तीन, फ़िलिस्तीनियों का है और उन्हीं के इरादे से संचालित होना चाहिए। फ़िलिस्तीन की सभी जातियों और सभी धर्मों के मानने वालों के रिफ़्रेंडम का प्रस्ताव, जिसे हमने लगभग 20 साल पहले पेश किया है, वह एकमात्र नतीजा है जो फ़िलिस्तीन की आज और कल की चुनौतियों से सामने आना चाहिए। यह प्रस्ताव दिखाता है कि यहूदी विरोध का दावा, जिसका पश्चिम वाले लगातार ढिंढोरा पीटते रहते हैं, पूरी तरह निराधार है। इस प्रस्ताव के मुताबिक़ यहूदी, ईसाई और मुसलमान फ़िलिस्तीनी एक दूसरे के साथ एक रिफ़्रेंडम में हिस्सा लेंगे और फ़िलिस्तीनी देश की राजनैतिक व्यवस्था का निर्धारण करेंगे। जिस चीज़ को निश्चित रूप से जाना चाहिए वह ज़ायोनी व्यवस्था है और ज़ायोनिज़्म ख़ुद, यहूदी धर्म में एक ग़लत उपज है और पूरी तरह उस धर्म से अलग है।

फ़िलिस्तीन समस्या का इलाज क्या है? इलाज, साहसिक प्रतिरोध और डट कर मुक़ाबला है। फ़िलिस्तीनी राष्ट्र, फ़िलिस्तीनी संघर्षकर्ताओं और फ़िलिस्तीनी संगठनों को अपने बलिदानी जेहाद के ज़रिए ज़ायोनी दुश्मन और अमरीका को धूल चटा देनी चाहिए। उसका रास्ता सिर्फ़ यह है और पूरे इस्लामी जगत को भी इनकी मदद करनी चाहिए, सभी मुस्लिम राष्ट्रों को फ़िलिस्तीनियों का समर्थन करना चाहिए, उनका साथ देना चाहिए, यह इलाज है। अलबत्ता मेरा मानना है कि फ़िलिस्तीन के सशस्त्र संगठन डट जाएंगे, प्रतिरोध जारी रखेंगे, रास्ता, प्रतिरोध है।...

अलबत्ता फ़िलिस्तीन समस्या का बुनियादी और ठोस हल वही है जो हमने कुछ साल पहले बताया था और उसे अहम अंतर्राष्ट्रीय केंद्रों में दर्ज भी कराया गया है, फ़िलिस्तीन के सभी मूल निवासियों के बीच, न उन लोगों के बीच जो किसी देश से आ कर फ़िलिस्तीन के इलाक़े में बस गए हैं, बल्कि जो लोग फ़िलिस्तीनी हैं, चाहे किसी भी धर्म के हों, मुसलमान हों, ईसाई हों या यहूदी हों, क्योंकि कुछ फ़िलिस्तीनी मुसलमान हैं, कुछ ईसाई हैं, कुछ यहूदी हैं, इन सबके बीच रिफ़्रेंडम कराया जाए और उन्हें स्वीकार्य व्यवस्था सत्ता में आए और वही पूरे फ़िलिस्तीन पर शासन करे, केवल उस इलाक़े पर नहीं जो उन्हीं के शब्दों में अवैध अधिकृत इलाक़ा है, फ़िलिस्तीन के एक भाग को अवैध अधिकृत इलाक़ा कहते हैं, पूरे फ़िलिस्तीन में एक सरकार जनता के सार्वजनिक वोटों से सत्ता में आए जो फ़िलिस्तीन के मामलों के बारे में फ़ैसला करे। नेतनयाहू जैसे लोगों के बारे में भी वही लोग फ़ैसला करें, अधिकार उनके हाथ में है। यह एकमात्र रास्ता है जो फ़िलिस्तीन में शांति और फ़िलिस्तीन समस्या के हल के बारे में पाया जाता है।

 

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