ग़ज़्ज़ा में मिलने वाली सामूहिक क़ब्रों के बारे में हम क्या जानते हैं?

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ग़ज़्ज़ा में मिलने वाली सामूहिक क़ब्रों के बारे में हम क्या जानते हैं?

ग़ज़्ज़ा में मिलने वाली सामूहिक क़ब्रों से सैकड़ों की संख्या में शव बरामद हो रहे हैं। इन घटनाओं ने संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों और अधिकारियों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।

सामूहिक क़ब्रों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई सामान्य परिभाषा मौजूद नहीं है। हालाँकि, फोरेंसिक विशेषज्ञ सामूहिक क़ब्र की घटना को "कई लोगों के अवशेषों का दफ़्न स्थान, अक्सर एक दूसरे के बग़ल में" के रूप में परिभाषित करते हैं।

ग़ज़्ज़ा में अब तक 140 सामूहिक क़ब्रें मिल चुकी हैं

यूरोप-मेडिटेरेनियन ह्यूमन राइट्स वॉच के निदेशक "मोहम्मद अलमुग़ीज़" ने बताया है कि ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनी शासन के हमलों की शुरुआत के बाद से, जो 7 अक्टूबर, 2023 को शुरू हुआ और अब तक जारी है, इर दौरान इस क्षेत्र में लगभग 140 सामूहिक क़ब्रों की खोज की गई है

ग़ज़्ज़ा में मिलीं 140 सामूहिक क़ब्रें

  1. एक ही सामूहिक क़ब्र से लगभग 400 शवों का मिलना

27 अप्रैल, 2024 को, ग़ज़्ज़ा में फ़िलिस्तीनी अधिकारियों ने नासिर अस्पताल परिसर में एक सामूहिक क़ब्र में पाए गए शवों की संख्या 392 एलान की थी।

     3.ज़ायोनी सेना के प्रतिबंधित हथियारों से फ़िलिस्तीनी शहीदों के शवों का गलना

यूरो-मेडिटेरेनियन ह्यूमन राइट्स वॉच ने बताया है कि इस्राईली सेना ग़ज़्ज़ा पट्टी में थर्मल हथियारों का उपयोग करती है, जिसके कारण फ़िलिस्तीनी शहीदों के शरीर सड़ने और गलने लगे हैं। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि थर्मोबेरिक हथियार एक प्रकार का विस्फोटक है जो उच्च तापमान विस्फोट बनाने के लिए आसपास की हवा से ऑक्सीजन का उपयोग करता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि थर्मोबेरिक (thermobaric weapon) हथियार एक प्रकार का विस्फोटक है जो आसपास की हवा की ऑक्सीजन का उपयोग करके उच्च तापमान वाले विस्फोट को उत्पन्न करने में मदद करता है।

फ़िलिस्तीनी पीड़ितों के शवों के सड़ने और गलने की एक तस्वीर

     4.ग़ज़्ज़ा में मिलने वाली सामूहिक क़ब्रों को लेकर स्वतंत्र जांच कराने को लेकर गुटेरेस का अनुरोध

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने 30 अप्रैल, 2024 को कहा कि यह ज़रूरी है कि फॉरेंसिक विशेषज्ञता वाले स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय जांचकर्ताओं को इन सामूहिक क़ब्रों के स्थलों तक तत्काल पहुंच प्रदान की जाए ताकि उन सटीक परिस्थितियों का पता लगाया जा सके जिनके तहत सैकड़ों फ़िलिस्तीनियों की मौत हुई और उन्हें दफ़नाया गया।

    5.सामूहिक क़ब्रों की खोज के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक आयोजित करना

5 मई, 2024 को अल्जीरिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से ग़ज़्ज़ा पट्टी में सामूहिक क़ब्रों की खोज के संबंध में बंद दरवाज़े के पीछे एक बैठक आयोजित करने के लिए कहा।

 

    6.फ़िलिस्तीनियों की प्रतिक्रिया

फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण के मीडिया कार्यालय ने इन सामूहिक क़ब्रों के लिए ज़ायोनी शासन को ज़िम्मेदार ठहराया और उनकी खोज और नासिर मेडिकल कॉम्प्लेक्स की सामान्य स्थिति को "जघन्य अपराध" कहा है।

ज़ायोनी शासन ने फ़िलिस्तीनी शिशुओं को भी नहीं बख़्शा

    7.इस्राईल की प्रतिक्रिया

एक बयान में इस्राईली सेना ने फ़िलिस्तीनियों के शवों को दफ़नाने के दावे को "निराधार" बताया। इस्राईली सेना का कहना है कि नासिर अस्पताल क्षेत्र में अपने ऑपरेशन के दौरान, उन्होंने बंधकों और लापता लोगों को खोजने के लिए फ़िलिस्तीनियों द्वारा दफ़नाए गए शवों की "जांच" की है।

    8.ज़ायोनियों द्वारा फ़िलिस्तीनी शहीदों के शरीर से अंगों को चुराए जाने की संभावना

सामूहिक क़ब्रों से मिलने वाले शवों की बनाई गई दस्तावेज़ी वीडियो और खींची गई तस्वीरों में साफ़ तौर से यातना के निशान दिख रहे हैं और उनके हाथ प्लास्टिक की पट्टियों से बंधे हुए हैं, उनके पेट को खोलकर असामान्य तरीक़ों से सिल दिया गया है, और उनके हाथ और पैर ऑपरेटिंग रूम के कपड़ों में कटे हुए हैं, जो इंगित करता है कि वे ज़िंदा दफ़ना दिए गए थे, मानव शरीर के कुछ अंगों के चोरी होने के भी सबूत मिल रहे हैं।

फ़िलिस्तीनी युवक अपने परिवार के सदस्यों के शवों की पहचान करने के बाद रोता हुआ

   9.घायल और बीमार दफ़नाए गए लोग

यूरो-मेडिटेरेनियन ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि ग़ज़्ज़ा पट्टी में नागरिक सुरक्षा टीमों ने सामूहिक क़ब्रों में दफ़नाए गए पीड़ितों के शवों की जांच की और पाया कि उनमें से कई को उनकी मौत के वक़्त ही हथकड़ी लगाई गई थी, और सबूत यह भी दिखाते हैं कि उनमें से कई पीड़ित घायल थे या फिर वे बीमार थे।

   10.अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों का गंभीर उल्लंघन

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता श्रीमती रवीना शामदासानी का कहना है कि इन सामूहिक क़ब्रों में पाए गए कुछ शवों के हाथ बंधे हुए थे, जो अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय क़ानून के गंभीर उल्लंघन का संकेत देता है और इसकी आगे जांच की जानी चाहिए।

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