सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनईः

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सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनईः

जो नहजुल बलाग़ा नहीं पढ़ता वह कुरान से बेखबर है।

हमें नहजुल बलाग़ा की ओर अधिक ध्यान देना चाहिए, उसकी और ज़्यादा शिक्षा लेनी चाहिए, अमीरूल मोमिनीन के इस मौजें मारते ज्ञान व हिकमत के समंदर से और ज्यादा लाभान्वित होना चाहिए। यह किताब सभी पहलू स्पष्ट करती है और हमें हर तरह की शिक्षा से मालामाल करती है।

इस्लामिक रिपब्लिक ईरान की रिपोर्टर क्लब की राजनीतिक डेस्क की रिपोर्ट के अनुसार ईरान के इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर की वेबसाइट www.khamenei.ir रमज़ान के दिनों में सुप्रीम लीडर के नमाज़, नहजुल बलाग़ा और कुरान से सम्बंधित बयान रमज़ान के क्रमशः पहले, दूसरे और तीसरे दहे में प्रसारित कर रही है।

यहाँ नहजुल बलाग़ा से सम्बंधित आपके कुछ बयानों का हिन्दी अनुवाद पेश कर रहे है:

मेरे प्यारे भाईयों और बहनों नहजुल बलाग़ा से सम्पर्क पैदा करें, यह किताब लापरवाही से जगाती और जागरूक करती है, उसके शब्दों पर बहुत विचार करने की जरूरत है। आपकी सभाएं नहजुल बलाग़ा और अमीरूल मोमिनीन सलवातुल्लाह अलैह के कथनों से सुसज्जित होनी चाहियें। इसके बाद जब अल्लाह ने तौफ़ीक़ दी और एक कदम आगे बढ़ गए तो सहीफह सज्जादिया को ज़िंदगी का हिस्सा बना लें। ऐसा प्रतीत होता है कि यह दुआओं की किताब है, लेकिन वास्तव में नहजुल बलाग़ा ही की तरह शिक्षा, ज्ञान और ज़िंदगी की मार्गदर्शक है।

हमारे पास अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम का बहुत कुछ है। अगर हम उसे सामने ले आएं तो निश्चित रूप से दुनिया हैरान रह जाएगी। जैसे नहजुल बलाग़ा, इस महान किताब पर रिसर्च होनी चाहिए, महत्वपूर्ण बातें जमा की जाएं, उन्हें अलग अलग किया जाये, उसकी तफ़सीर और व्याख्या की जाये, रियातों पर शोध व रिसर्च हो। हमारे पास ऐसी उच्च शिक्षा हैं जिनकी आज हर इंसान को जरूरत है। यह अहलेबैत अ.ह का कलाम, अहलेबैत अ.ह का बयान और वह इस्लाम है जिसे अहलेबैत अ.ह ने पहचनवाया है।

इस नहजुल बलाग़ा को पढ़िए और सीखिये। आज के दौर में केवल मुसलमान ही नहीं बल्कि कई ग़ैर मुस्लिम विचारकों को जब नहजुल बलाग़ा का पता चला और उन्होंने अमीरूल मोमिनीन अ. के कलाम को पढ़ा और देखा, आपके कलाम की हिकमतें सुनी और सीखीं तो इस कलाम और इस कलाम के मालिक की महानता व महिमा पर चकित रह गये। हमें नहजुल बलाग़ा की ओर अधिक ध्यान देना चाहिए, उसकी शिक्षा लेनी चाहिए, अमीरूल मोमिनीन के इस मौजें मारते ज्ञान व हिकमत के समंदर से और ज्यादा लाभान्वित होना चाहिए। यह किताब सभी पहलू स्पष्ट करती है और हमें हर तरह की शिक्षा से मालामाल करती है। इस किताब से संबंधित अहले सुन्नत के बुज़ुर्ग उलमा के बयानात पढ़कर आदमी हैरान रह जाता है।

यह नहजुल बलाग़ा एक तरह इस्लामी शिक्षाओं का इंसाइक्लोपीडिया है। नहजुल बलाग़ा बहुत महान है और हम उससे कितने दूर हैं???? लोगों ने नहजुल बलाग़ा का केवल नाम सुन रखा है, उन्हें हरगिज खबर नहीं कि यह अमल करने की किताब है वास्तव राह बलाग़ा अमल करने की किताब है, इससे इस्लाम पहचाना जाता है। मेरी ओर से इस्लाम के दुश्मनों से कह दीजिए, उन से कह दीजिए कि जो इस्लाम की आलोचना करते हैं, ताने देते और ज़हर उगला करते हैं, जो इस्लाम पर हमले का कोई भी मौका गंवाना नहीं चाहते, उनसे कह दीजिए, नए उदारवादी लोग उन तक मेरी बात पहुंचा दें कि अगर आप इस्लाम को रद्द करना चाहते हैं तो ऐसा करने से पहले एक बार शुरू से आख़िर तक नहजुल बलाग़ा का अध्ययन कर लें। जो नहजुल बलाग़ा नहीं पढ़ता वह कुरान से बेख़बर है और जब उसे इस्लाम और कुरान की ख़बर ही नहीं तो उसे यह कहने का क्या हक पहुंचा कि इस्लाम (नऊज़ो बिल्लाह) ग़लत दीन है, उसे कोई अधिकार नही। हां उसका दिल ऐसा चाह रहा है तो करता रहे, लेकिन यह जेहालत के अतिरिक्त कुछ नहीं। कोई भी समझदार, कोई भी पढ़ा लिखा उनके इस काम को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होगा।

निःस्वार्थ ईमान, जेहाद और क़ुर्बानी, अल्लाह के अम्र व नही (आदेश) में फ़ना हो जाना, अल्लाह का बिना किसी शर्त आज्ञापालन और उसकी इबादत, दुनियावी और भौतिक चमक की अनदेखी, हर इंसान के प्रति दयालुता और रहेमदिली, न्याय और इंसाफ़ का ख्याल रखना, मज़लूमों, कमज़ोरों और दबे कुचले लोगों पर मेहरबानी, दीन के दुश्मनों का बहादुरी से मुक़ाबला और हर क़िस्म के हालात और हर तरह की सख्ती और परेशानी में अपनी जिम्मेदारी पर अमल करना ही अमीरूल मोमिनीन अ. की हकीमाना बातों का संदेश है जिसकी इंसान को कल भी जरूरत थी, आज भी है और कल भी रहेगी। अमीरूल मोमिनीन अ. की नहजुल बलाग़ा मानवता व इंसानियत के लिए हमेशा दर्स है। यह अमीरूल मोमिनीन (अ.स.) का वह ज़ाहिरी कैरेक्टर है जिसे हमारी सीमित निगाहें देख और महसूस कर सकती हैं, आपके ज़ाहिरी गुणों को दर्क कर सकते हैं। लेकिन उन गुणों और कमालात के आध्यात्मिक, पवित्र और रूहानी पहलुओं को समझना केवल सदाचारियों औऱ सिद्दीक़ीन के लिए संभव है। वही उनके कमालात देख सकते हैं हमारी आँखें अल्लाह के वलियों और अल्लाह के चहेते बंदों के समान देखने से असमर्थ हैं।

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