हज़रत ज़ैनब अ.स. की एक और सबसे अहम विशेषता जिसको सैय्यद नूरुद्दीन जज़ाएरी ने ख़साएसुज़ ज़ैनबिय्या में ज़िक्र किया है वह यह कि आप क़ुर्आन की मुफ़स्सिरा थीं, और वह एक रिवायत को इस तरह बयान करते हैं कि जिन दिनों इमाम अली अ.स. कूफ़ा में रहते थे उन्हीं दिनों हज़रत जैनब अ.स. कूफ़े की औरतों के लिए क़ुर्आन की तफ़सीर बयान करती थीं
हज़रत ज़ैनब अ.स. एक रिवायत के अनुसार 5 जमादिल अव्वल को मदीने में पैदा हुईं, आपके वालिद इमाम अली अ.स. और मां हज़रत ज़हरा स.अ. थीं, आप केवल पांच साल की थीं जब की मां शहीद हुई, आपने अपने ज़िदगी में बहुत सारी मुसीबतों का सामना किया,
मां बाप की शहादत से ले कर भाइयों और बच्चों की शहादत तक आपने देखी, और इस्लाम की राह में क़ैद की कठिन सख़्तियों को भी बर्दाश्त किया, आपके जीवन की यही सख़्तियां थीं जिन्होंने आपके सब्र धैर्य और धीरज को पूरी दुनिया के लिए मिसाल बना दिया। (रियाहीनुश-शरीयह, जिल्द 3, पेज 46)
आपके बहुत सारे लक़ब हैं जिनमें से मशहूर सिद्दीक़-ए-सुग़रा, आलेमा, मोहद्देसा, आरेफ़ा और सानि-ए-ज़हरा हैं, आपके सिफ़ात और आपकी विशेषताएं देख कर आपको अक़ील-ए-बनी हाशिम कहा जाता है, आपकी शादी हज़रत जाफ़र के बेटे अब्दुल्लाह से हुई थी, और आपके दो बेटे औन और मोहम्मद कर्बला में इमाम हुसैन अ.स. के साथ दीन को बचाने की ख़ातिर शहीद कर दिए गए थे। (रियाहीनुश-शरीयह, जिल्द 3, पेज 210)
आमतौर से बच्चों के नाम उनके मां बाप रखते हैं लेकिन हज़रत ज़ैनब अ.स. का नाम आपके नाना पैग़म्बर स.अ. ने रखा।
जब आपकी विलादत हुई तो पैग़म्बर स.अ. सफ़र पर गए हुए थे जब आप वापस आए और जैसे ही आपको हज़रत ज़ैनब अ.स. की विलादत की ख़बर मिली आप तुरंत इमाम अली अ.स. के घर आए और हज़रत ज़ैनब अ.स. को गोद में ले कर प्यार किया और उसी समय आपने ज़ैनब यानी बाप की ज़ीनत नाम रखा। (रियाहीनुश-शरीयह, जिल्द 3, पेज 39)
इंसान की अहमियत उसके इल्म और ज्ञान से पहचानी जाती है, जैसाकि क़ुर्आन में सूरए बक़रह की आयत न. 31 और 32 में हज़रत आदम अ.स. के बारे में भी यही कहा गया है, और सबसे अहम इल्म और ज्ञान वह है जो सीधे अल्लाह से हासिल किया जाए जिसे इल्मे लदुन्नी कहा जाता है, हज़रत ज़ैनब अ.स. का इल्म भी कुछ इसी तरह का था जैसाकि इमाम सज्जाद अ.स. ने आपको आलिम-ए-ग़ैरे मोअल्लमा नाम दिया यानी ऐसी आलिमा जिसने दुनिया में किसी से कुछ सीखा न हो। (मुनतहल आमाल, जिल्द 1, पेज 298)
औरत के लिए सबसे बड़ा कमाल और सबसे बड़ी सआदत यह है कि उसकी पाकीज़गी और पवित्रता पर कोई सवाल न कर सके, हज़रत ज़ैनब अ.स. ने पवित्रता का सबक़ अपने वालिद से सीखा जैसाकि यहया माज़नदरानी से रिवायत है कि मैंने कई सालों तक मदीने में इमाम अली अ.स. की ख़िदमत की है और मेरा घर हज़रत ज़ैनब अ.स. के घर से बिल्कुल क़रीब था लेकिन कभी न मैंने उनको देखा और ना ही उनकी आवाज़ सुनी।
आप जब भी पैग़म्बर स.अ. की क़ब्र की ज़ियारत को जाना चाहतीं तो रात के सन्नाटे में जातीं और आपके साथ आगे आगे इमाम अली अ.स. चलते और आपके दाहिने इमाम हसन अ.स. और बाएं इमाम हुसैन अ.स. चलते, और जब पैग़म्बर स.अ. की क़ब्र के क़रीब पहुंचते तो पहले इमाम अली अ.स. जा कर चिराग़ की रौशनी को धीमा कर देते थे, एक बार इमाम हसन अ.स. ने अपने वालिद से इसका कारण पूछा तो आपने जवाब दिया कि मुझे डर है कि कहीं कोई हज़रत ज़ैनब अ.स. को देख न ले।
आपने कठिन परिस्थितियों में भी अपनी पाकीज़गी और पवित्रता को ध्यान में रखा, कूफ़ा और शाम जैसे घुटन के माहौल में जहां आपके सर पर चादर नहीं थी लेकिन फिर भी आप अपने हाथों से अपने चेहरे को छिपाए हुए थीं। (अल-ख़साएसुज़ ज़ैनबिय्या, पेज 345)
हज़रत ज़ैनब अ.स. की एक और सबसे अहम विशेषता जिसको सैय्यद नूरुद्दीन जज़ाएरी ने ख़साएसुज़ ज़ैनबिय्या में ज़िक्र किया है वह यह कि आप क़ुर्आन की मुफ़स्सिरा थीं, और वह एक रिवायत को इस तरह बयान करते हैं कि जिन दिनों इमाम अली अ.स. कूफ़ा में रहते थे उन्हीं दिनों हज़रत जैनब अ.स. कूफ़े की औरतों के लिए क़ुर्आन की तफ़सीर बयान करती थीं, एक दिन इमाम अली अ.स. घर में दाख़िल हुए देखा हज़रत ज़ैनब अ.स. सूरए मरयम के शुरू में आने वाले हुरूफ़े मोक़त्तए की तफ़सीर बयान कर रही थीं,
आपने हज़रत ज़ैनब अ.स. से कहा बेटी इसकी तफ़सीर मैं बयान करता हूं और फिर आपने फ़रमाया इन हुरूफ़ में अल्लाह ने एक बहुत बड़ी मुसीबत को राज़ बना कर रखा है और फिर आपने कर्बला की दास्तान को बयान किया जिसको सुन कर हज़रत ज़ैनब अ.स. बहुत रोईं।
शैख़ सदूक़ बयान करते हैं कि इमाम हुसैन अ.स. ने इमाम सज्जाद अ.स. की बीमारी के समय हज़रत ज़ैनब अ.स. को यह अनुमति दी थी कि जो लोग शरई मसले पूछें आप उनका जवाब दीजिएगा।
शैख़ तबरिसी ने नक़्ल किया है कि हज़रत ज़ैनब अ.स. ने बहुत सारी हदीसें अपनी मां हज़रत ज़हरा स.अ. बयान की है, इसी तरह एमादुल मोहद्देसीन से नक़्ल हुआ है कि आप अपनी मां, वालिद, भाईयों, उम्मे सलमा, उम्मे हानी और भी दूसरे लोगों से बहुत सी हदीसें बयान की हैं, और जिन लोगों ने आपसे हदीसें नक़्ल की हैं उनके नाम इस तरह हैं इब्ने अब्बास, इमाम सज्जाद अ.स., अब्दुल्लाह इब्ने जाफ़र।
इसी तरह फ़ाज़िल दरबंदी और भी दूसरे बहुत से उलमा ने हज़रत ज़ैनब अ.स. के बारे में यह बात भी लिखी है कि हज़रत ज़ैनब अ.स. को इल्मे मनाया वल बलाया था यानी ऐसा इल्म जिसमें आने वाले समय में कौन सी घटना पेश आने वाली है इन सबके बारे में आपको मालूमात थी।