ईरान के इंक़ेलाब का मक़सद

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ईरान के इंक़ेलाब का मक़सद

इरानी पब्लिक ने इस्लामी इन्क़ेलाब की कामयाबी तक हज़रत इमाम ख़ुमैनी रह. के नेतृत्व में जितने प्रयास किये या इन्क़ेलाब की कामयाबी के बाद इस देश नें जितनी मुश्किलों का सामना किया है, सबका सिर्फ़ एक ही मक़सद यानि इस्लामी पाक व पवित्र ज़िन्दगी की तलाश थी।

इस्लाम चाहता है कि इन्सान एक अच्छी और इज़्ज़त वाली ज़िंदगी जिये। अगर इस्लाम में बताये गए ज़िंदगी के क़ानूनों को समाजी आदत बना लिया जाए तो इन्सान बहुत ही आसानी के साथ कामयाबी और नजात पा सकता है। सभी नबियों, मज़हबी लोगों और इंसानियत की सेवा करने वाले महान रहनुमाओं (मार्ग-दर्शकों) का सिर्फ़ एक मक़सद था समाज में इसी पवित्र ज़िन्दगी को राएज (प्रचलित) करना था और इसके मुक़ाबले में शैतानी आदतों वाले और इंसानियत के दुश्मन लोग समाज को ऐसी अच्छी ज़िन्दगी से दूर रखना चाहते थे।

 हम इसी पवित्र इस्लामी ज़िन्दगी को पाने के कोशिश कर रहे हैं न सिर्फ़ अपने लिये बल्कि पूरी इंसानियत के लिये। इसका मतलब यह नहीं है कि हम एक फ़ौज जमा करके इस बात का पता लगायें कि ज़ालिमों और उनके सहयोगियों ने कहां-कहाँ इन्सानी पाक व पाकीज़ा ज़िन्दगी को नुक़सान पहुंचाया है ताकि उनके ख़िलाफ़ जंग छेड़ दें, नहीं हमारी लड़ाई इस तरह की बिल्कुल नहीं है बल्कि हमारा प्रयास यह है कि फ़राडी और मक्कार दुश्मन को बेनक़ाब करते हुए दुनिया वालों को इंटर-नेशनल बेकार और घटिया हुकूमती नियमों में दिन प्रतिदिन दम तोड़ती इंसानियत की हालत बता सकें, ऐसी हालत में केवल इस्लाम दम तोड़ती इंसानियत में नई रूह फूंक सकता है।

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