माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं।
اَللّٰهُمَّ لاَ تَخْذُلْنِی فِیهِ لِتَعَرُّضِ مَعْصِیَتِكَ وَلاَ تَضْرِبْنِی بِسِیاطِ نَقِمَتِكَ وَزَحْزِحْنِی فِیهِ مِنْ مُوجِباتِ سَخَطِكَ، بِمَنِّكَ وَأَیادِیكَ یَا مُنْتَهی رَغْبَةِ الرَّاغِبِینَ۔
ऐ माबूद ! आज के दिन मुझे छोड़ ना दें!कि
तेरी नाफ़रमानी में लग जाऊं और ना मुझे अपने ग़ज़ब का ताज़ियाना मार,आज के दिन मुझे अपने एहसान और नेमत से अपनी नाराज़गी के कामों से बचाए रखें ए रग़बत करने वालों की आखिरी उम्मीदगाह,