माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं।
اَللّهُمَّ طَہرْني فيہ مِنَ الدَّنسِ وَالْأقْذارِ وَصَبِّرْني فيہ عَلى كائِناتِ الْأَقدارِ وَوَفِّقْني فيہ لِلتُّقى وَصُحْبَة الْأبرارِ بِعَوْنِكَ ياقُرَّة عَيْن الْمَساكينِ..
अल्लाह हुम्मा तह्हिरनी फ़ीहि मिनल दन सि वल अक़ ज़ार, व सब्बिरनी फ़ीहि अला काएनातिल अक़दार, व वफ़्फ़िक़नी फ़ीहि लित्तुक़ा व सुहबतिल अबरार, बेऔनिका या क़ुर्रता ऐनिल मसाकीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)
ख़ुदाया! इस महीने में मुझे आलुदगियों और नापाकियों से पाक कर दे, और मुझे सब्र अता कर उन चीज़ों पर जो मेरे लिए मुकर्रर हुई हैं और मुझे परहेज़गारी व नेक लोगों की हमनशीनी की तौफ़ीक़ अता फ़रमा, तेरी मदद के वास्ते ऐ बेचारों (मिस्कीनों) की आंखों की ठंडक.