माहे रमज़ान के तेईसवें दिन की दुआ (23)

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माहे रमज़ान के तेईसवें दिन की दुआ (23)

माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं।

أللّهُمَّ اغْسِلني فيہ مِنَ الذُّنُوبِ وَطَہرْني فيہ مِنَ العُيُوبِ وَامْتَحِنْ قَلبي فيہ بِتَقْوى القُلُوبِ يامُقيلَ عَثَراتِ المُذنبين..

अल्लाह हुम्मग़-सिलनी फ़ीहि मिनज़ ज़ुनुब, व तह्हिरनी फ़ीहि मिनल उयूब, वम तहिन क़ल्बी फ़ीहि बे तक़्वल क़ुलूब, या मुक़ीला असरातिल मुज़-निबीन... (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)

ख़ुदाया! मुझे इस महीने में गुनाहों से पाक कर दे, और मुझे तमाम ऐबों से पाक फ़रमा, और मेरे दिल को दिलों की परहिज़गारी से आज़मा ले, ऐ गुनाहगारों के गुनाहों को नज़र अंदाज़ करने वाले.

अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम..

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