माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं।
اَللَّـهُمَّ اِنّي اَسْئَلُكَ فيهِ ما يُرْضيكَ، وَاَعُوذُبِكَ مِمّا يُؤْذيكَ، وَاَسْئَلُكَ التَّوْفيقَ فيهِ لاَِنْ اُطيعَكَ وَلا اَعْصِيَكَ، يا جَوادَ السّآئِلينَ...
अल्लाह हुम्मा इन्नी अस अलुका फ़ीहि मा युरज़ीक, व अऊज़ु बेका मिम्मा यूज़ीक, व अस अलुका अत्तौफ़ीक़ा फ़ीहि ले अन उतीअका व ला आसियक, या जवादस्साएलीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)
ख़ुदाया! इस महीने में तेरे दर पर हर उस चीज़ का सवाली हूं जो तुझे ख़ूशनूद करती है, और हर उस चीज़ से तेरी पनाह का तलबगार हूं जो तुझे नाराज़ करती है, और तुझसे तौफ़ीक़ का तलबगार हूं कि मैं तेरा इताअत गुज़ार रहूं, और तेरी नाफ़रमानी न करूं, ऐ सवालियों को बहुत ज़ियादा अता करने वाले...
अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम.