रमज़ान में एकता प्रतीक एक अन्य उपासना " एतेकाफ़"

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रमज़ान में एकता प्रतीक एक अन्य उपासना  " एतेकाफ़"

रमज़ान में एकता प्रतीक एक अन्य उपासना  " एतेकाफ़" है। कुरआने मजीद के सूरए बक़रह की आयत नंबर 125 में कहा गया है कि हम ने इब्राहीम और इस्माईल को आदेश दिया कि मेरे घर  को तवाफ करने वालों, रहने वालों, रुक और सजदा करने वालों के लिए पवित्र करो। सभी इस्लामी मतों का कहना है कि मस्जिद में विशेष दिनों में रहना, जिसे " एतेकाफ़" कहा जाता है , एक पुण्य वाला कर्म है । " एतेकाफ़" दो भागों पर आधारित होता है, एक मस्जिद में ठहरना और रोज़ा रखना। हालांकि यह उपासना, व्यक्तिगत रूप से और अकेले होती है लेकिन पैगम्बरे इस्लाम की शैली के अनुसार एक सामूहिक रूप से भी अंजाम दिया जा सकता है और इसी लिए बहुत से इस्लामी देशों में एक उपासना सामूहिक रूप से अंजाम दी जाती है। निश्चित रूप से जब एक मुसलमान , रोजा रख कर तीन दिनों तक मस्जिद में रहता है और ईश्वर की उपासना करता है तो इसके उसके मन व मस्तिष्क पर बड़े सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं और उसकी आत्मा पवित्र हो जाती है। इसके साथ ही चूंकि वह यह काम सामूहिक रूप से करता है इस लिए उसमें सामाजिक विषयों और समाज में अपने दूसरों भाइयों की समस्याओं के निपटारे में रूचि पैदा होती है।

इस्लाम ने , मुसलमानों को एक दूसरे का भाई बताया है और स्पष्ट रूप से कहा है कि लोगों को एक दूसरे पर वरीयता, उनकी धर्मपराणता के आधार पर ही दी जाएगी तो फिर यह इस्लाम धर्म अपने अनुयाइयों से यह आशा रखता है कि एकजुटता के लिए आगे बढ़ेंगे और इस्लामी देश एक दूसरे के साथ सहयोग करेंगे लेकिन इस्लामी जगत के बहुत से मुद्दों विशेषकर फिलिस्तीनी मुद्दे पर यदि गौर किया जाए तो यह कटु वास्तविकता स्पष्ट होती है कि बहुत से ताकतवर इस्लामी देश, इस मुद्दे के बारे में एकजुटता के साथ रुख अपनाने की क्षमता नहीं रखते और इस्लामी हितों के खिलाफ, इस्राईल व अमरीका के साथ संबंध बढ़ा रहे हैं। आज इस्लामी जगत की सब से बड़ी समस्या, आपसी झगड़े हैं जो हर मुसलमान के लिए दुख की बात है। यदि हम रमज़ान के महीने और उसकी विभूतियों पर चिंतन करें तो हमें यह महीना, इस्लामी जगत की समस्याओं के समाधान का अच्छ अवसर नज़र आएगा और निश्चित रूप से इस्लामी संयुक्त बिन्दुओं पर ध्यान देकर, मुसलमान महानता की चोटियों तक पहुंच सकते हैं।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई कहते हैं कि अब समय आ गया है कि इस्लामी जगत नींद से जागे और इस्लाम को एकमात्र ईश्वरीय मार्ग के रूप में चुन ले और उस पर मज़बूती के साथ क़दम बढ़ाए। अब समय आ गया है कि इस्लामी जगत, एकजुटता की रक्षा करे और संयुक्त दुश्मन के सामने, जिससे सभी इस्लामी संगठनों ने नुक़सान उठाया है अर्थात साम्राज्य और ज़ायोनिज्म के ख़िलाफ़ एकजुटता के साथ डट जाएं, एक नारा लगाए , एक प्रचार करें और एक ही राह पर चलें। इन्शाअल्लाह उन्हें ईश्वर की कृपा का पात्र बनाया जाएगा और ईश्वरीय परंपराओं और नियमों के अनुसार उनकी मदद भी होगी  और वह आगे बढ़ेंगे।

 

 

 

 

 

 

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