फ़िलिस्तीन के विभिन्न क्षेत्रों में जायोनी शासन की विध्वंसक कार्यवाहियां यथावत जारी हैं।
इस संबंध में हालिया दिनों में पश्चिमी किनारे पर जायोनी शासन की ओर से फिलिस्तीनियों के मकानों को ध्वस्त करने की प्रक्रिया तेज़ हो गयी है और यह विषय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय बना है। जायोनी शासन द्वारा फिलिस्तीनियों के मकानों को ध्वस्त करने के कारण बेघर होने वाले फिलिस्तीनियों की संख्या तेज़ वृद्धि हो रही है जिस पर संयुक्त राष्ट्रसंघ ने चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने एक विज्ञप्ति जारी करके घोषणा की है कि जायोनी शासन द्वारा फिलिस्तीनियों के मकानों को ध्वस्त करने की प्रक्रिया में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग चार गुना की वृद्धि हो गयी है। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने इसी प्रकार घोषणा की है कि वर्ष 2016 के आरंभ से अब तक फिलिस्तीनियों के 588 मकानों को ध्वस्त किया जा चुका है।
फ़िलिस्तीनियों के मकानों को ध्वस्त करने से जायोनी शासन का लक्ष्य जनसंख्या के ताने- बाने को इस्राईल के हित में बदलना है।
जायोनी शासन की ओर से फिलिस्तीनियों के मकान तोड़ने में तेज़ी के बीच ही इस्राईल और फिलिस्तीनी प्रशासन के मध्य तथाकथित शांतिवार्ता आरंभ किये जाने की भी बात की जा रही है।
इसी बीच फ्रांस ने एक योजना पेश की है जिसके तीन मूल बिन्दु हैं पहला यह कि एसी वार्ता आरंभ की जाये जिसके परिणाम 18 महीने के अंदर निकल जायें, दूसरे जो फिलिस्तीनी जहां पर शरणार्थी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं उन्हें कुछ हर्जाना देकर वहीं बसा दिया जाये और तीसरे इस्राईल को यहूदी सरकार के रूप में मान्यता दी जाये। इस विषय की 30 मई को समीक्षा किये जाने का कार्यक्रम है। फ्रांस की इस योजना को संचारिक हल्के ख़तरनाक बता रहे हैं। जायोनी शासन हमेशा ऐसी कार्यवाहियों की चेष्टा में रहता है जिससे फिलिस्तीनियों को अपना घर बार छोड़ना पड़े और उसकी यह नीति फिलिस्तीनी शरणार्थियों की संख्या में निरंतर वृद्धि का कारण बनी है।
ज्ञात रहे कि इस समय लगभग 55 लाख फिलिस्तीनी शरणार्थी हैं जो बहुत ही दयनीय स्थिति में रह रहे हैं। इस परिस्थिति में जायोनी शासन के अपराधों पर मानवाधिकार की रक्षा का दावा करने वाली पश्चमी सरकारों की चुप्पी उसके अपराधों में वृद्धि और उनके जारी रहने का कारण बनी है और पूरे दुस्साहस के साथ यह शासन फिलिस्तीनियों के विरुद्ध अपने अपराधों को जारी रखे हुए है।