पश्चिम का अफ़्रीक़ा में अपनी उपस्थिति बढ़ाने का प्रयास

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29 जनवरी 2013 को तेहरान में 26 वें इस्लामी एकता अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने वालों और देश के वरिष्ठ अधिकारियों के एक समूह को संबोधित करते हुए।

 

प्रेस टीवी

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने कहा है कि पश्चिम ने अफ़्रीक़ा महाद्वीप में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए नया हमला किया है।

 

उन्होंने 26वें इस्लामी एकता अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने वाले देशी व विदेशी मेहमानों और देश के वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए यह बात कही।

 

उन्होंने अपने संबोधन में पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परपौत्र इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस की बधाई देते हुए इस्लामी जगत विशेष रूप से उत्तरी अफ़्रीक़ा में इस्लामी जागरुकता को ईश्वरीय वादे के एक भाग के व्यवहारिक होने से उपमा दी।

 

वरिष्ठ नेता ने कहा कि आज इस्लामी जागरुकता के मुक़ाबले में विश्व साम्राज्य फूट डालने और इस्लामी देशों को आपस में लड़वाने की नीति पर अमल कर रहा है इसलिए इस्लामी जगत के विद्वानों, बुद्धिजीवियों और राजनेताओं का दायित्व है कि वे इस्लामी जगत के सामने शत्रु के षड्यंत्रों को स्पष्ट करें और इस्लामी एकता के लिए गंभीरता से कोशिश करें। उन्होंने कहा कि आज इस्लामी जागरुकता की लहर आरंभ होने से इस्लामी जगत की स्थिति पैग़म्बरे इस्लाम के आदेशों को व्यवहारिक बनाने के अनुकूल हो गयी है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस्लामी जगत पर पश्चिम के दसियों वर्षों के वर्चस्व व दबाव के बाद अब मुसलमान यह महसूस कर रहे हैं कि इस्लाम उनके सम्मान, वैभव और स्वाधीनता के लिए परिस्थिति को अनुकूल बना सकता है और इस्लामी जगत की समस्त इच्छाएं इस्लाम की बरकत से पूरी हो सकती हैं।

 

वरिष्ठ नेता ने इस्लामी एकता के नारे को एक पवित्र नारा बताया और कहा कि इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह ने अपने पूरे जीवन में बारंबार इस बात पर बल दिया था कि हम इस्लामी भाईचारे पर विश्वास रखते हैं और उनका यह आंदोलन उनके बाद भी आज तक जारी है। वरिष्ठ नेता ने इस बात का उल्लेख करते हुए कि फूट डालने के षड्यंत्र से मुक़ाबले का एकमात्र रास्ता मुसलमानों के बीच एकता की भावना है, मुसलमानों के बीच मतभेद पैदा किए जाने के परिणाम के कुछ उदाहरण जैसे पाकिस्तान की घटनाएं, शाम में जनसंहार, बहरैन की जनता का दमन किए जाने और मिस्र में जनता का एक दूसरे के आमने-सामने आ जाने जैसी घटनाओं का हवाला दिया और कहा कि मुसलमान राष्ट्रों के बीच या किसी भी इस्लामी देश में किसी भी प्रकार के मतभेद पर आधारित क़दम का अर्थ निःसंदेह उस ज़मीन पर खेलना है जिसे दुश्मन ने तय्यार किया है।

 

वरिष्ठ नेता ने कहा कि यदि आज पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहे व आलेही हमारे बीच होते तो तमाम मुसलमानों को आपसी मतभेद से बचने और एकता बनाए रखने का निमंत्रण देते।

 

ज्ञात रहे तेहरान में दो दिवसीय इस्लामी एकता सम्मेलन रविवार को आरंभ हुआ जिसमें 102 देशों के सुन्नी और शीया बुद्धिजीवियों व विचारकों ने भाग लिया।

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