इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने ईरान की इस्लामी क्रान्ति के इतिहास, पवित्र प्रतिरक्षा, फ़िलिस्तीन और इस्लामी जागरूकता को फ़िल्म निर्माण के लिए महत्वपूर्ण विषय बताते हए कहा कि एक ग़लत बात जिसका प्रचार विश्व में हो रहा है, यह है कि कहा जाता है कला को राजनीति से दूर रखना चाहिए जबकि हालीवुड सहित पश्चिम के कला उद्योग पूरी तरह राजनीति से प्रभावित हैं और अगर एसा नहीं है तो ईरान में ज़ायोनियों के विरुद्ध बनाई गई फ़िल्म को फ़िल्मी मेलों में शामिल होने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनई ने कहा कि ईरान विरोधी फ़िल्मों का निर्माण और इस प्रकार की फ़िल्मों को मिलने वाले पुरस्कार पश्चिम और विशेष रूप से अमरीका में राजनीति और कला में गठजोड़ के साक्ष्य हैं।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि पश्चिम में ह्युमन साइंस की सबसे बड़ी समस्या उसके ग़लत वैचारिक आधार हैं और जब तक इन आधारों को ठीक नहीं किया जाता उस समय तक पश्चिम के फ़िल्म जगत में परिवर्तन नहीं आ सकता।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने धर्म, धार्मिक शिक्षाओं, ईरान की इस्लामी क्रान्ति और क्रान्ति के मूल्यों पर ध्यान दिए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि इस्लामी कला और धार्मिक फ़िल्मों के बारे में सही योजनाबंदी, भविष्य के संबंध में भरपूर आशावाद के साथ दीर्घकालीन दृष्टिगत के परिप्रेक्ष्य में काम करना चाहिए।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि भविष्य के बारे में आशावाद और दृष्टिकोण की विशालता ईरान की इस्लामी क्रान्ति के प्रमुख लक्ष्यों में हैं। उन्होंने कहा कि ईरान की इस्लामी क्रान्ति का सफ़र जो वर्ष 1979 में क्रान्ति की सफलता के साथ शुरू हुआ और 34 वर्ष की अवधि में घटने वाली विभिन्न घटनाएं तथा अमरीकी दबदबे का ख़ात्मा यह सब इस्लामी व्यवस्था के अपने लक्ष्य तक पहुंचने की भूमिकाएं हैं।