ईरान में चुनाव, दुश्मनों की नज़र, जनता देगी वोट की चोट

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ईरान में चुनाव, दुश्मनों की नज़र, जनता देगी वोट की चोट

जैसे जैसे पहली मार्च को 12वीं संसद और विशेषज्ञ एसेंबली के 6वें कार्यकाल के चुनाव निकट आ रहे हैं, सबसे बेहतरीन और सबसे योग्य प्रत्याशी को चुनने का मुद्दा, पिछले सभी चुनावों की तरह प्रमुख बिंदुओं में बदल गया है और इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने एक बार फिर विशेष रूप से इस बात ज़ोर दिया है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान में पहली मार्च 2024 को, संसद के बारहवें और विशेषज्ञ एसेंबली अर्थात वरिष्ठ नेता का चयन करने वाली समिति के छठे चुनाव का आयोजन किया जाएगा। इसी संदर्भ में शहीदों के परिवारों और पहली बार मतदान करने वालों ने बुधवार को तेहरान में आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।

उन्होंने इस मुलाक़ात के दौरान अपने संबोधन में, चुनावों में राष्ट्र की भरपूर भागीदारी को, राष्ट्रीय शक्ति का प्रदर्शन, राष्ट्रीय सुरक्षा की गैरंटी और ईरान के कट्टर दुश्मनों को मायूस करने वाला तत्व बताया।

उन्होंने सबसे उचित और योग्य उम्मीदवार की विशेषताएं बयान करते हुए कहा कि जनता की भरपूर भागीदारी से आयोजित होने वाले चुनाव से मुश्किलों को दूर करने और देश के विकास का रास्ता समतल होता है,  इस हिसाब से चुनाव, देश का सिस्टम सही चलाने वाले स्तंभों में से एक है।

मौजूदा संसद का कार्यकाल मई में समाप्त हो रहा है। संसद की 290 सीटों के लिए 15200 उम्मीवारों के नामों को निरीक्षण संस्था की ओर से मंज़ूरी मिली है। यह वर्ष 1979 में इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद से उम्मीवारों की सबसे बड़ी संख्या है।

उम्मीदवारों में 1713 महिलाएं हैं जो वर्ष 2020 के संसदीय चुनाव में भाग लेने वाली 819 महिला उम्मीदवारों की तुलना में दो गुना है।

संसद के चुनाव के साथ ही विशेषज्ञ असेंबली की 88 सीटों के लिए 144 धर्मगुरुओं के बीच मुक़ाबला हो रहा है। यह संस्था देश के सुप्रीम लीडर के कामकाज पर नज़र रखती है और अगला सुप्रीम लीडर चुनने का अधिकार उसे होता है।

ईरान की जनता सांसदों, राष्ट्रपति और शहर और गांव परिषद के सदस्यों और इस्लामी परिषदों के सदस्यों की नियुक्ति करती है, इसीलिए ईरान की राजनीतिक व्यवस्था में लोगों की प्रमुख भूमिका और स्थान है। इस्लामी व्यवस्था ने हमेशा जनता की अधिकतम भागीदारी पर ज़ोर दिया है और यह न केवल व्यवस्था के अधिकार के स्तर को बढ़ाने के लिए है बल्कि ईरानी जनता की मानवीय गरिमा का सम्मान और रक्षा करने के लिए भी है।

दूसरा मुद्दा, ईरान के चुनाव में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा से जुड़ा है। ईरान में होने वाले चुनावों में व्यक्तियों और गुटों के बीच प्रतिस्पर्धा ज़बरदस्त तरीक़े से होती है और मतपेटियों में प्रत्याशियों के भाग पड़े होते हैं और देश का चुनाव आयोग पारदर्शिता के साथ मतगणना कराता है और जीतने वाले प्रत्याशियों के नामों का एलान करता है। ईरान में व्यक्तियों और दलों के बीच एक वास्तविक प्रतिस्पर्धा का ख़ूबसूरत दृश्य भी नज़र आता है।

यह ऐसी हालत में है कि दुश्मनों ने ईरान के चुनावों के लिए साज़िशें रच रखी हैं और यहां तक ​​कि उनकी खुफिया एजेंसियों ने भी चुनावों पर पूरी तरह से नजर रख रखी है और मीडिया की ताकत का उपयोग करके इसमें हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहे हैं।

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