ग़ज़ा पट्टी में मानवीय स्थिति के बिगड़ने और फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ भोजन और दवा को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की ज़ायोनी शासन की साज़िश से पर्दा उठने के बाद विश्व समुदाय यहां तक कि इस शासन के कुश पश्चिमी समर्थक सदमे में हैं।
ग़ज़ा में ज़ायोनी शासन भुखमरी को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है और वह भोजन और दवा की डिलीवरी को रोकने के गंभीर परिणामों की चेतावनी के बावजूद अपनी इस साज़िश पर अमल कर रहा है। यूरोपीय संघ की आयुक्त एलिसा फ़रेरा ने इस साज़िश से पर्दा उठाते हुए यूरोपीय संसद को इसके भयानक परिणामों से अवगत करवाया है। उन्होंने ग़ज़ा में युद्ध विराम, तत्काल रूप से मानवीय सहायता बढ़ाने और क़ैदियों को रिहा करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
यूरोपीय संघ की आयुक्त का कहना था कि जो कोई भी ग़ज़ा की स्थिति के बारे में चिंतित है, उसे ग़ज़ा को सहायता भेजने के लिए इस्राईल पर दबाव डालना चाहिए। फ़रेरा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ग़ज़ा में निर्दोष नागरिकों को भूख और ज़ायोनी सेना की हिंसा से बचाने के लिए व्यवहारिक क़दम उठाने चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि यूरोपीय संघ फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) के साथ सहयोग जारी रखेगा। फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) ने घोषणा की है कि अगर इस एजेंसी का फिर से समर्थन शुरू नहीं किया गया, तो वह जल्द ही अपनी गतिविधियां बंद कर देगी। अमरीका, इंग्लैंड और जर्मनी सहित कई पश्चिमी देशों ने यूएनआरडब्ल्यूए के ख़िलाफ़ ज़ायोनी शासन के आरोपों के आधार पर इसके साथ सहयोग बंद कर दिया है। इस्राईल ने अपने इन सहयोगियों के इस क़दम का स्वागत किया है। इससे पता चलता है कि इस्राईल, ग़ज़ा के पीड़ित लोगों की सहायता के लिए बढ़ने वाले हर हाथ को काट देना चाहता है।
यूएनआरडब्ल्यूए को वित्तीय सहायता बंद करने और उसके बाद युद्ध की कठिन परिस्थितियों में फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए इस अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी की सेवाओं को रोकने से फ़िलिस्तीनियों की स्थिति पहले से कहीं अधिक कठिन हो जाएगी, जिन्हें तत्काल बुनियादी चीज़ों की ज़रूरत है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक़, कुपोषण और पानी की कमी के कारण ग़ज़ा पट्टी के उत्तर में अब तक 23 बच्चों की मौत हो चुकी है। ग़ज़ा पर ज़ायोनी सेना के हमलों में मरने वालों और घायलों के भयावह आंकड़े क्रमश: 31 हज़ार और 72 हज़ार को पार कर गए हैं।
ज़ायोनी शासन और उसके समर्थकों का ग़ज़ा को सहायता भेजने से रोकने का निर्णय दर्शाता है कि ग़ज़ा वासियों और प्रतिरोध के ख़िलाफ़ युद्ध की विफलता के बाद इस्राईल और उसके समर्थक फ़िलिस्तीनोयों की इच्छा शक्ति को कमज़ोर करना चाहते हैं और लोगों को प्रतिरोध के ख़िलाफ़ खड़ा करने के लिए मजबूर करना चाहता हैं।